क्या इससे यह नहीं लगता है कि कांग्रेस को बिल पास होने के बारे में भरोसा नहीं है। सर्वदलीय बैठक में किसी प्रकार की सहमति तो होनी नहीं है, इसका इस्तेमाल महिला आरक्षण विधेयक को ठंढे बस्ते में डालने के लिए ही होना है। दोनों पक्षों के बीच खाई को देखते हुए किसी समझौते पर पहुँच पाना आसान नहीं होगा।

यदि कोई आम सहमति नहीं हाती है, तो कांग्रेस संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के दूसरे कार्यकाल की एक प्रमुख उपलब्धि के रूप में इस बिल को पेश नहीं कर सकती। यादव नेताओं ने दलित और पिछड़ा वर्ग की की बात करते करते मुसलमानों के आरक्षण के मामले को भी उछाल दिया है। केन्द्र की और और कांग्रेस कह सकती है कि पिछड़े वर्गों का प्रतिनिघित्व बिना कोटा के संभव है, लेकिन वह मुसलमानों के बारे में ऐसा नहीं कह सकती क्योंकि मुसलमानों का प्रतिनिघित्व पहले से ही कम है।

कांग्रेस अल्पसंख्यकों को लेकर अत्यंतं संवेदनशील है, क्योंकि बाबरी मस्जिद विध्वंस के विध्वंस के बाद मुसलमानों के बीच उसने अपना जो आधार खो दिया था, उसे वह पाने की कोशिश कर रही है। उत्तर प्रदेश में संतोषजनक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस को लग रहा था कि मुसलमानों पार्टी में कल्याण सिंह के साथ मुलायम सिंह की नजदीकी के बाद लौट रहे हैं लेकिन यदि यादव तिकड़ी मुसलमानों के लिए आरक्षण के बारे में बात कर रही है और इसने कांग्रेस को खुद संशय में डाल दिया है।

यूपीए ने अपने पहले कार्यकाल में कुछ ऐसे काम किए थे जिनका उल्लेख आज भी कांग्रेसी गर्व से करते हैं। सूचना का अघिकार कानून, न्रेगा, और भारत निर्माण जैसे उसके कार्यक्रम उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा अमेरिका के साथ परमाणु करार को भी वह अपनी उपलब्धि बता सकती हैं। लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरे होने के बाद उसके पास दिखाने के लिए शायउ ही कुछ है। उूसरे कार्यकाल में वह वामपंथी दबावों से भी मुक्त है, लेकिन अपने दो सहयोगी. तृणूमूल कांगेस और डीएमके के दबाव के कारण उसे अपनी इच्छा के अनुसार काम करने में दिक्कतें आ रही है.

अपने सहयोगी दलों के साथ साथ मनमोहन सिंह व सोनिया गांधी भाजपा और वाम दलों के बीच बढ़ती नजदीकी के बारे में भी चिंतित होंगे। पहली यूपीए सरकार के आखिरी दिनों से में परमाणु मसले पर दोनों की नजदीकी बनी थी वह इस साल भी जारी है। उन्हें न केवल इस अनौपचारिक गठबंधन के बारे में चिंता है, बल्कि लालू यादव, मुलायम सिंह और मायावती के भी उनके साथ आ खड़ा होने का खतरा उनके ऊपर मंडरा रहा है।. (संवाद)