लोकसभा चुनावों के कारण रिक्त 11 सीटों में इगलास, जैदपुर, बलहा, टूंडला, मानिकपुर, गंगोह, रामपुर, जलालपुर, प्रतापगढ़, लखनऊ छावनी और गोविंद नगर शामिल हैं।
मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी तभी हरकत में आई जब राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने परिवार के साथ विदेश में छुट्टी मनाने के बाद भारत लौटे। समाजवादी पार्टी एकमात्र ऐसी पार्टी है जहाँ लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन की कोई समीक्षा नहीं की गई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी की बैठक नहीं की है और न ही पराजित उम्मीदवारों से मुलाकात की है।
अभी तक अखिलेश यादव ने लोकसभा के नतीजे घोषित होने के बाद से अब तक मीडिया को संबोधित तक नहीं किया है। दो दिन पहले समाजवादी पार्टी ने विधानसभा के 12 उपचुनावों के लिए पार्टी उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए हैं। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चैधरी ने कहा कि उपचुनावों का सामना कर रहे 12 विधानसभा क्षेत्रों में बूथ समितियांे का पुनर्गठन किया जाएगा।
समाजवादी पार्टी संगठन को फिर से सक्रिय करने और सभी 12 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रभारी नियुक्त करने की प्रक्रिया में है। खराब प्रदर्शन और बीएसपी से नाता तोड़ने के बाद अखिलेश यादव के लिए ये उपचुनाव बहुत बड़ी चुनौती है। समाजवादी पार्टी को एक बार फिर अल्पसंख्यक समुदाय को लुभाना होगा क्योंकि मायावती ने अखिलेश यादव पर आरोप लगाया है कि वह लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों को अधिक टिकट देने के खिलाफ थे।
यहां यह उल्लेख किया जाएगा कि समाजवादी पार्टी ने केवल पांच लोकसभा सीटें जीतीं, जिनमें दो स्वयं और पिता मुलायम सिंह यादव की थीं। विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों के लिए बहुजन समाज पार्टी ने अन्य दलों का नेतृत्व किया है। नतीजे घोषित होने के बाद मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को एकतरफा समाप्त कर दिया। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने घोषणा की कि उनकी पार्टी सभी उपचुनाव लड़ेगी। यह पहली बार है जब बसपा उपचुनाव लड़ेगी।
मायावती ने पहले ही दिल्ली और लखनऊ में कई बैठकों का आयोजन किया है और सभी 12 निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे अपनी पिछली सरकारों के दौरान किए गए अच्छे कार्यों का संदेश फैलाएं। मायावती ने अपनी पार्टी में बदलाव भी किए हैं। अपने छोटे भाई आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और आकाश को पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया है।
प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने उपचुनावों का सामना कर रहे सभी 12 विधानसभा क्षेत्रों में प्रभारी बनाना शुरू कर दिया है। प्रियंका गांधी ने प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में दो पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया है जो छोटी छोटी बैठकें करके तैयारी कर रहे हैं।
यह सर्वविदित तथ्य है कि कांग्रेस का आखिरी तुरुप का इक्का तब बेकार साबित हुआ, जब प्रियंका गांधी यूपी में कांग्रेस के लिए सीटें जीतने में नाकाम रहीं। वह अमेठी अपने भाई राहुल गांधी की भी जीत सुनिश्चित नहीं कर सकीं।
अब एक बार फिर प्रियंका गांधी को यूपी में पार्टी को पुनर्जीवित करने और 2022 के विधानसभा चुनावों में सरकार बनाने की जिम्मेदारी दी गई है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए से बाहर हो चुके सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने भी स्वतंत्र रूप से उपचुनाव लड़ने की घोषणा की है। राजभर की पूर्वी यूपी में पिछड़ों में जबरदस्त अपील है। (संवाद)ं
उत्तर प्रदेश में उपचुनावों की सरगर्मी बढ़ी
प्रियंका गांधी ने एक बार फिर कांग्रेस की कमान संभाली
प्रदीप कपूर - 2019-07-16 10:07
लखनऊः 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान हुए घमासान के बाद विपक्षी दल 12 विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनावों की तैयारियों में जुट गया है। भाजपा के आठ और विपक्ष के तीन सहित 11 विधायकों को लोकसभा के लिए चुने जाने के कारण रिक्तियां पैदा हो गई हैं। एक हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद भाजपा विधायक की सीट खाली हो गई है।