रुपयों की माला पहनने के बाद सभी विरोघी पार्टियांे ने एक सुर में मायावती की उस हरकत की निंदा की थी। सपा प्रमुख मुलायम सिंह ने कहा था कि माला में 51 करोड़ रुपए थे। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने आयकर विभाग से जांच की मांग की थी। आयकर विभाग ने जांच की कार्रवाई शुरू भी कर दी थी, लेकिन उसके बाद मायावती ने एक और रुपयों की माला पहनकर अपना आक्रामक रुख दिया और आयकर विभाग द्वारा माला प्रकरण की जा्रच की चुनौती स्वीकार कर ली। उसके बाद तो विपक्ष ने मामले की सीबीआई की जांच की मा्रग शुरू कर दी।
कुछ लोगों ने सीबीआई की जांच की मांग करते हुए उच्च न्यायालय कर दरवाजा भी खटखटाया, लंेकिन वहां से उन्हें निराशा हाथ लगी है। उच्च न्यायालय में वह मामला खारिज हो चुका है।
राजनैतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि माला पर छिड़ा यह विवाद मायावती के पक्ष में है। उन्हो्रने इस पर वहीी राजनीति अपनाई है, जो उनकी पार्टी के हितों के अनुकूल है। उनकी पार्टी के नेता अब उसी तरह की मालाएं पहनाकर विरोधियों को मुह चिढ़ाने वाले हैं।
कांशीराम के जन्मदिन पर आयोजित की गई रैली, जिन्हें पार्टी के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में की गई रेली का भी नाम दिया गया, बसपा के शक्ति प्रदर्शन में सफल रही। उस रैली में मायावती के तेवर से साफ हो गया कि वे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती मानती है। समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी को अब बसपा राज्य की मुख्य दो ताकतों में एक नहीं मानती।
यही कारण है कि मायावती ने अपने भाषण में कांग्रेस पर सबसे ज्यादा प्रहार किए। कांग्रेस में भी सबसे ज्यादा खतरा वह राहुल गांधी से महसूस करती हैं, इसलिए उन्होंने श्री गांधी को ही अपना मुख्य निशाना बनाया। अपने भाषण में तो उन्होंने समाजवादी पार्टी और भाजपा का जिक्र तक नहीं किया।
उन्होंने मूर्ति निर्माण को जायज बताते हुए कहा कि कांग्रेस को यह सब अच्छा नहीं लगता, क्योंकि उसके नेता नहीं चाहते कि दलितों की मूर्तियां बन सके। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा दलितों के घरों में खाना खाने को महज एक नाटक बताया।
कांग्रेस पर उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग के साथ मिलकर वह उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह को जग्त कराना चाहती है। गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग के पास एक मामला लंबित है, जिसमें हाथी चुनाव चिन्ह को जब्त करने की मांग इस बिना पर की गई है कि मायावती सरकार ने राजकोष के पैसे से राज्य में अनेक हाथियों की प्रतिमा खड़ी करवा दी है। (संवाद)
मायावती केन्द्र के साथ मुठभेड़ की मुद्रा में
विपक्ष ने माला प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग की
प्रदीप कपूर - 2010-03-28 09:04
लखनऊः मुख्यमंत्री मायावती एक तरफ कांग्रेस के साथ, तो दूसरी तरफ केन्द्र की यूपीए सरकार के साथ टकराव की राजनीति की ओर बढ़ रही है। रुपयों की माला के लिए हो रही आलाचना और उस पर आयकर विभाग की जांच के बाद रुपयों की दूसरी माला पहनकर मुख्यमंत्री ने यह संकेत दे दिया है कि वह आलोचनाओं से डरने वाली नहीं हैं।