नरेन्द्र मोदी को भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गठित एसआईटी के सामने उपस्थित होने की नौबत आ रही है। और वे भी अपने नेता लालकृष्ण आडवाणी के कदमों का अनुसरण करते दिखाई पड़ रहे हैं। जांच टीम के सामने उपस्थित होने में वे आनाकानी कर रहे हैं। वे उपस्थित तो होंगे, लेकिन आडवाणी की तरह वे भी भाषणबाजी से शायद ही बाज आएं।
जांच टीम के सामने उपस्थित होने के पहले श्री मोदी ने नाटकबाजी शुरू भी कर दी है। उन्होंने कहना शुरू कर दिया है कि गुजरात को अपमानित करने के लिए उन्हें जांच टीम के सामने हाजिर होने के लिए कहा जा रहा है। ऐसा कहने के पहले श्री मोदी यह भूल जाते हैं कि उनके कारण गुजरात का तो पहले से ही अपमान हो रहा है। गोधरा के दगों के बाद जो गुजरात का अपमान हुआ, वह अभी तक जारी है। स्वयं श्री मोदी को अमेरिकी वीजा नहीं मिलता। गुजरात का इससे बड़ा अपमान और क्या हो सकता है कि उसके मुख्यमंत्री को एक देश ने वीजा देने से इनकार कर दिया है।
श्री मोदी का जांच टीम के सामने उपस्थित होना किसी भी मुख्यमंत्री के लिए इस तरह की पहली घटना होगी। इस तरह के इलजाम में आजतक किसी मुख्यमंत्री को किसी जांच टीम के सामने उपस्थित नहीं होना पड़ा है। यही कारण है कि वे टीम के सामने उपस्थित होने में झिझक रहे हैं। उनकी छवि को इससे यकीनन नुकसान होगा।
श्री मोदी की समस्या यह है कि उनपर बहुत ही भयंकर आरोप लगे हैं। उन पर आरोप है कि जब दंगे हो रहे थे, तो उन्होंने पुलिस अघिकारियों को आदेश देकर कहा कि हिंदुओं के गुस्सें को नहीं रोका जाए और उनके आदेश के कारण ही पुलिस ने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया। उनके खिलाफ लगाण् गए इस आरोप का कोई सीधा प्रमाण नहीं, क्योंकि इस तरह के आदेश लिखकर नहीं दिए जाते। यह मौखिक ही होता है। जिन अधिकारियों को उन्होंने उस तरह के मौखिक आदेश दिए, वे भी उनके खिलाफ गवाही नहीं देंगे, क्योंकि इससे उनका अपना भी नुकसान हो जाएगा। आखिर सरकारी अघिकारी कानून की रक्षा के लिए होते हैं और उनका पहला कर्तव्य कानून की रक्षा करना ही होता है और उसके लिए वे किसी मौखिक आदेश के मुहताज नहीं होते।
यही कारण है कि मादी जांच टीम के सामने हाजिर होने में ना नुकुर कर रहे हैं। उनके खिलाफ कोई सीधे प्रमाण नहीं होने ेके बावजूद उन्हें अनेक मामलों में सफाई देनी पड़ सकती है। और वे सफाई देने में घबरा रहे हैं। (संवाद)
एसआईटी से कौन डरता है
इसे टालना मोदी के लिए आसान नहीं होगा
अमूल्य गांगुली - 2010-03-28 03:14
जब भाजपा के नेता वोट पाने के लिए दंगा भड़काते हैं, तो उस समय वे भूल जाते हैं कि उन्हें उसकी कीमत भी कभी चुकानी पड़ सकती है। जब वे उसके लिए कानूनी फंदे मे फंसने लगते हैं और जांच के लिए बुलावा आता है, तो वे बगलें झांकने लगते हैं। नरेन्द्र मोदी आज यही कर रहे हैं। बाबरी मस्जिद विध्वंस की जा्रच कर रहे लिब्राहन आयोग ने जब लालकृष्ण आडवाणी को समन जारी किया था, तो उन्होंने भी वैसा ही किया था। पहले तो वे कमीशन के सामने हाजिर होने में टाल मटोल करते रहे और जब वहां हाजिर हुए तो भाषणबाजी शुरू कर दी।