ज्ञात हो रहा है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मामले को एसआईटी को सौंपने के लिए पुलिस के आला अधिकारियों की खिंचाई की है। “क्या इसमें किसी प्रकार की आतंकवादी गतिविधि शामिल थी? एसआईटी गठित करने की आवश्यकता कहां थी,’’ उन्होंने राज्य के पुलिस प्रमुख से पूछा है।

मीडिया के एक हिस्से की रिपोर्ट बताती है कि कुछ मंत्रियों ने भी लगातार बदलावों पर प्रतिक्रिया दी है। गृह मंत्री बाला बच्चन ने हालांकि कहा कि एसआईटी के प्रमुख को ‘‘जांच से संबंधित सभी मापदंडों को कवर करने के लिए’’ बदल दिया गया है।

“नए एसआईटी प्रमुख (राजेंद्र कुमार) एक डीजी स्तर के अधिकारी हैं। उनकी नियुक्ति जांच के सभी मापदंडों को कवर करने के लिए की गई है। वह काफी वरिष्ठ अधिकारी हैं। वह आईपीएस के 1985 बैच से हैं, जबकि पूर्व प्रमुख (संजीव शमी) 1993 बैच के थे। ” मंत्री ने कहा कि एडीजीपी (साइबर अपराध) मिलिंद कानेस्कर और एसएसपी इंदौर रूचि वर्धन मिश्रा जांच को आगे बढ़ाएंगे।

हालांकि परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने इस मुद्दे पर अलग राय रखी। “कुछ वीडियो क्लिप जांच के दौरान सोशल मीडिया पर पहुंच गए। यह नहीं होना चाहिए, ”उन्होंने कहा। गृह मंत्री ने इस बात से इनकार किया कि राज्य सरकार राजनीतिक या किसी अन्य प्रकार के दबाव में काम कर रही है। उन्होंने कहा, ’’जांच को लेकर (शीर्ष पुलिस अधिकारियों के बीच) कोई टकराव नहीं है। जो भी दोषी पाया जाएगा उसे सजा दी जाएगी। किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा।’’ मंत्री ने कहा कि सरकार अधिकारियों और राजनेताओं के नाम सार्वजनिक कर देगी। बच्चन ने कहा, ‘‘हम इस मामले में निष्पक्ष जांच का आश्वासन देते हैं।’’

एसआईटी में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने उज्जैन में कहा कि “यह (मामला) पिछले कुछ समय से चक्कर लगा रहा है और कुछ परिणाम सामने आने चाहिए। अगर राज्य सरकार इसे गंभीर मामला मानती है, तो उसे इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के बारे में सोचना चाहिए।’’ भाजपा मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।

इंदौर एसएसपी रूचिवर्धन मिश्रा, जो पहले दिन से ही जांच में शामिल हैं, अब तक गठित तीनों एसआईटी का हिस्सा रही हैं। एसआईटी के गठन से पहले, 24 घंटे के भीतर, तीन अलग-अलग अधिकारियों को मामले की जांच सौंपी गई थी। इस घोटाले के भंडाफोड़ के तीन दिन बाद, इंदौर के पलासिया पुलिस स्टेशन के तत्कालीन प्रभारी अजीत सिंह को, जहां मामला दर्ज किया गया था, हटा दिया गया। आधिकारिक कारण एक पुराने ड्रग्स मामले की जांच में बरती गई लापरवाही बताई गई थी। एसआई बार सिंह खंडला को एक संक्षिप्त अवधि के लिए जांच अधिकारी नियुक्त किया गया और उन्हें भीं निरीक्षक शशिकांत चैरसिया द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया। उसके एक दिन बाद एसआईटी का गठन किया गया।

हालांकि, हनी ट्रैप के इस विवाद ने कई अधिकारियों और नेताओं को असहज कर दिया है।(संवाद)