अन्य लोगों के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी मुख्यमंत्री कमलनाथ को कई पत्र लिखे हैं। ऐसे ही एक पत्र में, सिंधिया ने ग्वालियर के लिए मेट्रो सेवा की मांग की है, जो कि उनका गृहनगर है। उन्होंने मुरैना में एक सैनिक स्कूल स्थापित करने की भी मांग की। उन्होंने कृषि ऋणों की माफी में देरी के बारे में भी शिकायत की है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस द्वारा जारी किए गए ‘वचन पत्र’ में वादे के अनुसार ऋण माफी नहीं की जा रही है। उन्होंने दो दलित बच्चों की मौत के लिए क्षतिपूर्ति की भी मांग की है। दो दलित बच्चों के परिवारों को 50-50 लाख रुपये देने की मांग की गई है। यादव जाति के लोगों द्वारा खुले में शौच करते पाए जाने के बाद वे मारे गए थे। सिंधिया ने यह भी मांग की कि दोनों परिवारों को 10 बीघा कृषि भूमि भी दी जाए।

इसी तरह, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री को कई मांगें करते हुए पत्र लिखे। हाल के एक पत्र में, सिंह ने शिकायत की कि राज्य में गायों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त काम नहीं किया जा रहा है।

सिंधिया ने हाल ही में एक सार्वजनिक बैठक में कहा था कि उनके पारंपरिक लोकसभा क्षेत्र में हार ने उन्हें तोड़ दिया है। उन्होंने कहा, ‘मैं हार के सदमे से उबर नहीं पाया हूं। इसके बावजूद मैं लोगों की भलाई के लिए काम करना जारी रहूंगा।’

शायद पार्टी के दिग्गजों द्वारा सार्वजनिक आलोचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि लोग भूल जाते हैं कि उन्हें वह राज्य विरासत में मिला था जो आर्थिक रूप से दिवालिया था। किसान आत्महत्याओं के मामले में यह देश का नंबर एक राज्य था। यह बेरोजगारी की दर में भी नंबर एक था, यह भ्रष्टाचार का एक केंद्र था। राज्य के सामने आने वाली कई समस्याओं से छुटकारा पाने में समय लगेगा।

भाजपा ने अपने 15 साल के शासन के दौरान प्रशासनिक व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया। भाजपा के मुख्यमंत्री ने केवल वादे किए थे। यहां तक कि पार्टी के कई नेता तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को ‘घोषना वीर’ कहते थे। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह मध्य प्रदेश को देश के सबसे समृद्ध राज्य में बदल देंगे। उन्होंने कहा, ‘मैंने कई ऐसी योजनाएं शुरू की हैं, जो किसानों के लिए खुशहाली और युवाओं के लिए रोजगार के बड़े अवसरों की शुरूआत करंेगी।’

हालांकि, कांग्रेस को एक और झटका लगा, जब भाजपा के विधायक नारायण त्रिपाठी ने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस के साथ मतदान किया और व्यापक संकेत दिया कि वह सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो रहे थे, उन्होंने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वह अभी भी भाजपा के साथ हैं। मीडियाकर्मियों के सामने आने पर उन्होंने दावा किया कि भाजपा फिर से मप्र में अपनी सरकार बनाएगी। कांग्रेस ने इसका मजाक उड़ाया और कहा कि सरकार त्रिपाठी के कदम से अप्रभावित है।

त्रिपाठी और एक अन्य भाजपा विधायक शरद कोल ने पिछले 24 जुलाई को विधानसभा में सरकार द्वारा पेश संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान किया था, जिससे भाजपा को बहुत शर्मिंदा होना पड़ा। त्रिपाठी ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान के तुरंत बाद अपने क्षेत्र के खराब विकास के लिए पूर्व सीएम चैहान पर हमला किया और कमलनाथ के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

एक महीने से भी कम समय पहले, कोल ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि वह भाजपा के साथ हैं। और मंगलवार को, त्रिपाठी ने बीजेपी के मुख्य कार्यालय में 24 जुलाई के विवाद के बाद पहली बार कहा - उन्होंने यह कभी नहीं कहा था कि वे भगवा पार्टी को छोड़ रहे हैं।

“मैंने कभी भाजपा नहीं छोड़ी। मैंने विधानसभा में कांग्रेस के पक्ष में नहीं, संशोधन के पक्ष में मतदान किया था। यह एक आकस्मिक आवेग था। यह कांग्रेस थी जिसने मेरे पार्टी में शामिल होने के बारे में गलत सूचना फैलाई। मतदान करने के बाद, मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र में काम करने के लिए एक विधायक के रूप में मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ गया। विधायकों के लिए मंत्रियों और मुख्यमंत्री से मिलना कोई नई बात नहीं है’’, त्रिपाठी ने यह बात राज्य भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में कही। (संवाद)