प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है और इस बात से चिंतित सरकार लगातार भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अभियान छेडने की बात कर रही है। इसके बावजूद भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस ने यह तय किया था कि इस बार बजट सत्र में भ्रष्टाचार के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा। विधायक दल की अनौपचारिक बैठक में य्ाह भी तय किया गया था कि इस बार सदन में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव लाया जाएगा और भ्रष्टाचार एवं बिजली संकट पर सरकार को घेरा जाएगा पर कांग्रेस की य्ाह एकजूटता सदन में बिखरी-बिखरी नजर आई। नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेसी विधायक ने कहा, ’’कांग्रेस की यह कमजोरी सरकार को मजबूत कर रही है और भ्रष्टाचार, बिजली संकट, सूखा, पलाय्ान, कुपोषण जैसे गंभीर मुद्दे होने के बावजूद सरकार विपक्षी दल से न विधानसभा में परेशान हुई और न ही बाहर परेशानी महसूस कर रही है।‘‘ मध्यप्रदेश में एक बार फिर भ्रष्टाचार का जिन्न सक्रिय्ा हो गय्ाा है। बजट सत्र्ा से पूर्व प्रदेश के वरिष्ठ आइ.ए.एस. दंपत्ति सहित कई अधिकारियों के घर आय्ाकर के छापे के बाद प्रदेश में लगातार कहीं आयकर विभाग के तो, कहीं लोकायुक्त के छापे पड़ रहे हैं। छोटे कर्मचारियों के घरों से भी करोड़ों की संपत्ति मिल रही है।

बजट सत्र्ा में कई कांग्रेसी सदस्यों ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव लगाया था, जिसे विधानसभा अध्य्ाक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने नामंजूर कर दिय्ाा और कहा कि बजट सत्र्ा में अति महत्वपूर्ण मुद्दों पर ही स्थगन प्रस्ताव लिया जाता है। इस पर कांग्रेसी सदस्यों ने आपत्ति की और इसी दरम्यान नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने यह कह दिया कि भ्रष्टाचार तो जनरल बात है। इस बात पर उत्तेजित विपक्ष के आगे सरकार असहाय्ा नजर आ रही थी, और आखिरकार अध्य्ाक्ष ने य्ाह कहा कि इस पर वे पुनर्विचार करेंगे। अगले दिन उन्होंने स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए य्ाह कहा कि विपक्ष के उप नेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्य्ावाद प्रस्ताव के दरम्य्ाान अपनी बात रखें और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी बात रखते समय्ा उत्तर में सदस्यों के सवालों का समाधान करें। इस व्यवस्था से नाखुश कांग्रेसी विधाय्ाक आरिफ अकील एवं डॉ. कल्पना परूलेकर ने कहा कि उन्होंने भी स्थगन प्रस्ताव दिया है। उनके लिए क्या व्यवस्था है? इस मामले में कुछ कांग्रेसी सदस्य्ा संतुष्ट नजर आए तो कुछ असंतुष्ट। बाद में इस भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कल्पना परूलेकर ही ज्यादा सक्रिय नजर आई। अन्य किसी ने भी भ्रष्टाचार के मुद्दे को उतनी गंभीरता से नहीं उठाय्ाा, जितनी गंभीरता के लिए विधाय्ाक दल की बैठक में नेताओं ने एकजुटता दिखाई थी।

इस बीच डॉ. कल्पना परूलेकर ने मीडिया को उत्तर की वह सूची दी, जिसमें उन्हें एक प्रश्न के जवाब में उन्हें यह जानकारी मिली थी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित प्रदेश के 14 मंत्रियों के खिलाफ लोकायुक्त में मामले दर्ज हैं. इसमें से कुछ मंत्री पिछले कायाकाल के भी हैं। इनमें से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर दो प्रकरण, लक्ष्मीकांत शर्मा पर तीन प्रकरण, अजय विश्नोई पर दो प्रकरण, जयत मलैया पर तीन प्रकरण, हिम्मत कोठारी (पूर्व मंत्री) पर एक प्रकरण, ढाल सिंह बिसेन (पूर्व मंत्री) पर एक प्रकरण, राजेंद्र शुक्ला पर एक प्रकरण, दिलीप भटेरे (पूर्व मंत्री) पर एक प्रकरण, बाबूलाल गौर पर एक प्रकरण, चौधरी चंद्रभान सिंह (पूर्व मंत्री) पर एक प्रकरण, कमल पटेल (पूर्व मंत्र्ाी) पर एक प्रकरण, अखंड प्रताप सिंह (पूर्व मंत्री) पर एक प्रकरण, कैलाश विजय्ावर्गीय्ा पर एक प्रकरण एवं अनूप मिश्रा पर एक प्रकरण लोकाय्ाुक्त में दर्ज हैं। कांग्रेस विधाय्ाक उमंग सिंघार को भी एक तारांकित प्रश्न के जवाब में य्ाह जानकारी मिली कि प्रदेश के लोकाय्ाुक्त संगठन में जनवरी 2004 से जनवरी 2010 तक 2675 प्रकरण दर्ज हैं, जिनामें से 1149 प्रकरण जांच के बाद समाप्त कर दिए गए और कुल 243 प्रकरणों में नोटिस जारी किए गए हैं। इसमें उन्होंने बताया कि वर्तमान मंत्रिमंडल के 6 सदस्यों एवं कई आइ.ए.एस. एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर लोकायुक्त में मामला विचाराधीन है।

भ्रष्टाचार के लगातार आ रहे मामलों के बीच विपक्ष में एकजुटता के अभाव ने सरकार को राहत दी है। विपक्ष के उप नेता चौधरी राकेश सिंह विपक्ष में बिखराव को नकारते हैं। उनका कहना है, ’’विपक्ष एकजूट है. भ्रष्टाचार, बिजली संकट, कुपोषण हम सभी के लिए चिंता का विषय्ा है और इन मुद्दों पर हम सरकार को लगातार घेरने का प्रय्ाास कर रहे हैं.‘‘ स्थगन वाले मसले पर उन्होंने कहा, ’’इस पर अंतिम फैसला अध्य्ाक्ष का ही होता है, तो हमने इस पर अध्य्ाक्ष की बात मान ली. य्ादि कोई विधाय्ाक व्य्ाक्तिगत मुद्दे पर बहिर्गमन करता है, तो पूरा विपक्ष उसके साथ उठकर बाहर नहीं जा सकता।‘‘ वरिष्ठ कांग्रेसी नेता आरिफ अकील ने बताया, ’’मैं य्ाह स्वीकार करता हूं कि य्ाह मुद्दा जितना पुरजोर तरीके से उठाय्ाा जाना चाहिए, उतना नहीं हो पाया।‘‘ बहुजन समाज पार्टी के विधायक दल के नेता रामलखन सिंह का कहना है, ’’इस बार विपक्ष की सर्वदलीय बैठक नहीं हो पाई। कई बार लोगों को यह लगा है कि इस मुद्दे को जिसने उठाया है, वह उसी का मुद्दा है। क्रेडिट लेने की समस्य्ाा के कारण भी सभी विपक्षी पार्टियां सदन में एकजूट नहीं थी।‘‘ (संवाद)