संदर्भ तीन तलाक कानून का है। अपने विडियो में वह कहती हैं कि कांग्रेस इसलिए तीन तलाक के खिलाफ है, क्योंकि जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल की 5 बीविंयां थी और जवाहरलाल नेहरू खुद मोतीलाल नेहरू के सौतेले बेटे थे। इस तरह की बातें जिसका न सिर हो और न पैर फैलाना निश्चय ही बहुत ही आपत्तिजनक है। आजादी की लड़ाई के जिन नेताओं ने देश को आजाद करने के लिए अपने आपको दांव पर लगा दिया था, उनका इस तरह चरित्रहनन करना शरारतपूर्ण ही नहीं दुर्भाग्यपूर्ण भी है। कोई भी सभ्य समाज इस तरह की बातों की इजाजत नहीं दे सकता। लेकिन दुर्भाग्य से सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर ऐसा खूब हो रहा है। इस तरह के चरित्रहनन के प्रयासों को राजनैतिक पार्टियों द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है। अनेक राजनैतिक पार्टियों का आईटी सेल है, जिस पर सैंकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं और उनके द्वारा समाज में झूठ फैलाया जा रहा है।
यह काम पिछले कई सालों से हो रहा है, लेकिन अबतक सरकारें मौन रहीं। बहुत ही कम मामलों में किसी मामले पर कार्रवाई हुई। कार्रवाई भी हुई तो उसका उद्देश्य सत्ता में बैठे मौजूद नेताओ को बचाने के लिए हुआ न कि हमारे महापुरुषों के ऊपर कीचड़ डालने वालों के खिलाफ। पिछले 8-10 साल से गांधी के खिलाफ जमकर दुष्प्रचार हुआ। दुष्प्रचार होता रहा और अभिव्यक्ति की आजादी मानकर सरकारें अपनी आंखें मूंदी सोती रहीं। नेहरू के बारे में भी जमकर दुष्प्रचार हुआ। फीरोज गांधी के बारे में तो बहुत पहले से ही होते रहे हैं। लेकिन आश्चर्य की बात है कि नेहरू- गांधी परिवार के लोग सत्ता में होते हुए भी अपने पूर्वजों के खिलाफ हो रह दुष्प्रचार पर चुप रहे। उन्होंने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा। इसका असर यह हुआ कि दुष्प्रचार करने वाले का साहस बढ़ता गया और आमलोगांे को लगने लगा कि उनके बारे में कही जा रही बातें सच्ची हैं। जाहिर है, झूठी बातें फैलने से रोकने के लिए कोई सक्रिय भूमिका नहीं अपनाने की दोषी वे सरकारें भी हैं, जिनके ऊपर राहुल और सोनिया गांधी का नियंत्रण था।
कांग्रेस की हार के बहुत सारे कारणों में एक कारण उसके द्वारा अपने विरोधियों द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार का मुकाबला नहीं करना था। यदि उसके नेता चाहते तो उसका मुकाबला कर सकते थे। कम से कम वे अपने नेताओं की हो रही चरित्रहत्या को रोक सकते थे, क्योंकि उसके पास केन्द्र में ही नहीं, बल्कि कुछ राज्यों में भी सरकारें थीं, लेकिन उन सरकारों में बैठे लोगांे की प्राथमिकता सत्ता का उपभोग करना ही था। उनकी उदासीनता के कारण कांग्रेस को जो नुकसान होना था, वह तो हुआ ही, लेकिन उसके साथ देश का भी नुकसान हो रहा है। अफवाह फैलाने वाले सोशल मीडिया के द्वारा इतिहास को ही गलत तरीके से पेश करने में लगे हुए हैं। वे नायक को खलनायक और खलनायक को नायक बना रहे हैं। उनका प्रचार इतना तीव्र है कि औसत ज्ञान का व्यक्ति भी उनके प्रचार के प्रभाव में सच को झूठ और झूठ को सच मानने लगते हैं। नई पीढ़ी को जो वे बता रहे हैं, वे सच्चाई के विपरीत हैं। ऐसे तत्व कोई एक संगठन से नहीं जुड़े हुए हैं, बल्कि कई संगठनों ने संगठित रूप से अपने प्रचार अभियान को चला रखा है। किसी मसले पर वे एक दूसरे का साथ देते दिखते हैं, तो किसी मसले पर एक दूसरे के खिलाफ दिखाई पड़ते हैं, लेकिन झूठ का प्रसार रोकने में सरकारों की भूमिका अबतक नही ंके बराबर रही है। ममता बनर्जी के खिलाफ यदि कोई व्यंग्य करता हुआ कार्टून बना दे तो उसकी तो गिरफ्तारी हो जाती है, लेकिन वही ममता बनर्जी इतिहास को झुठलाते हुए सोशल मीडिया पर चलाए जाने वाले अभियान पर चुप रहती है।
सवाल उठता है कि क्या यह सरकार का दायित्व नहीं है कि लोगों को अपने इतिहास के बारे में सही जानकारी मिले? क्या यह सरकार का दायित्व नहीं है कि देश के महापुरुषों के बारे में फैलाई जा रही गलत जानकारी को रोके और फैलाने वालों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करे, जो अन्य लोगों को ज्यादा जिम्मेदार बना दे? यह सच है कि अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल करते हुए लोग गलत भी बोल जाता है। कहा जाता है कि गलत करना मानवीय स्वभाव भी है, लेकिन कोई जानबूझकर बहुत ही कुत्सित इरादे से गलती करता है, तो राज्य उसे रोक सकता है और इसके लिए कानून भी बने हुए हैं। पायल रोहतगी का मामला ही लीजिए। वह राजस्थान में नहीं रहती है। लेकिन राजस्थान पुलिस में उसके खिलाफ मुकदमा हुआ और उसे गुजरात से गिरफ्तार किया गया। वह फिलहाल राजस्थान के बुंदी केन्द्रीय कारागार में कैद है। वह कानून के तहत ही गिरफ्तार हुई है।
अब यदि पायल रोहतगी गिरफ्तार हो सकती है, तो उसी तरह की गलती करने वाले अन्य लोग क्यों गिरफ्तार नहीं हो सकते? ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब में ऐसी सामग्रियां भरी पड़ी हैं, जो हमारे महापुरुषों का निरादर करने वाली हैं। यह सच है कि हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है और अभिव्यक्ति की आजादी किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की जान होती है, लेकिन संविधान ने ही इस आजादी को कुछ जिम्मेदारियों की बेड़ियों से भी बांध रखा है। राज्य का यह काम है कि वह यह देखे कि कहीं कोई आजादी का दुरुपयोग कर संविधान द्वारा लगाई जा रह उन बंदिशों को तो नहीं तोड़ रहा है। इस समय सबसे ज्यादा हमला आजादी की लड़ाई में अपना सबकुछ त्याग करने वाले महापुरुषों के खिलाफ हो रहा है और वे कांग्रेस के ही नेता रहे हैं। तो कम से कम कांग्रेस की राज्य सरकारों का यह दायित्व बनता है कि ऐसे लोगों को न्याय के दायरे में लाए।(संवाद)
पायल रोहतगी की गिरफ्तारी
कांग्रेसी सरकारों को एक्शन में आना ही चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-12-18 09:49
बाॅलीवुड की फ्लाॅप फिल्म एक्ट्रेस पायल रोहतगी अब जेल में है। उसे राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर झूठ फैला रही थीं। देश के महान नेताओं का चरित्र हनन कर रही थी। अपना विडियो बनाकर वह नेट पर डालती थी और अंटशंट बातें फैलाती थीं। उनकी अनेक बातें सामाजिक सद्भावना को बिगाड़ने वाली भी होती थीं। जिस मामले में वे जेल में है वह जवाहरलाल नेहरू और उनके पिता मोतीलाल नेहरू से संबंधित है।