लेकिन शशि थरूर अपने विवादों के लिए पत्रकारो को भी दोष नहीं दे सकते, क्योंकि जिन बयानों के उन्होंने अपने लिए मुसीबतें खड़ी की थी, वे सभी के सभी एक वेबासाइट पर उन्होंने खुद पूरे होशों हवास में लिखी थी और कोई पत्रकार उनके मुह में अपनी बात डालने के लिए उस समय उनके पास मौजूद नहीं था।

शशि थरूर ने एक से बढ़कर एक गैरजिम्मेदाराना बयान दिए, लेकिन फिर भी वे मनमोहन सिंह सरकार में बने हुए हैं। वे कभी देश की राजनीमि से जुड़े नहीं रहे, फिर भी वे एक बड़े राजनैतिक पद पर बैठे हुए हैं। उनके जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र संघ की नौकरी करते बीता है। वे संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव पद का चुनाव भी लड़ चुके हैं। उस चुनाव में वे पराजित हुए और उसके बाद भारत की लोकसभा का चुनाव जीतकर केन्द्र में मुत्री बन गए है।

अबतक शशि थरूर अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहते थे। अब वह अपनी एक करतूत के कारण सुर्खियों में आ गए हैं। आइपीएल की कोच्ची टीम को एक कंपनी को दिलाने के लिए उन्होंने पैरची की। यह उनपर आरोप नहीं है, बल्कि उन्होंने सह बात खुद स्वीकार की है कि उन्होंने एक कंपनी को कोच्ची टीम का स्वामित्व दिलाने के लिए फेसिलिटेटर की भूमिका निभाई। यह भूमिका मुफ्त में नहीं निभाई गई थी। उस कंपनी में उनकी एक महिला मित्र के भी शेयर थैं उस महिला मित्र से उनकी जल्द ही शादी भी होनेवाली है। वह उनकी तीसरी पत्नी होगी।

अपनी महिला मित्र की कंपनी को एक आइपीएल टीम का स्वामित्व दिलाने के लिए थरूर ने अपने पद का दुरुपयोग किया। यह अपने आपमें एक अनैतिक मामला है। पर बात सिर्फ अनैतिकता की ही नहीं है। उनकी महिला मित्र का उस कंपनी के शेयर मुफ्त में मिले थे। कंपनी के मालिक शेयर मु्फृत में नहीं बांटते। जाहिर है विदेश राज्य मंत्री थरूर की नजदीकी के कारण और इस उम्मीद में कि वे आपीएल की टीम का स्वामित्व दिलाने में उनके काम आएंगे, कंपनी मालिक ने थरूर की महिला मित्र, जो उनकी पत्नी भी होने वाली है, अपनी कंपनी के शेयर मुफ्त में दिए।

उस शेयरों की कीमत 70 करोड़ रुपए हैं। यानी विदेश राज्य मंत्री ने अपनी महिला मित्र को अपने पद और रुतवे से 70 करोड़ रुपये का फायदा करवा दिया। यह 70 करोड रुपए वास्तव में उस कंपनी के लिए शशि थरूर द्वारा कराए गए काम का कमिशन था। वह महिला मित्र उनकी पत्नी होने वाली है। यानी शादी के बाद उनकी महिला मित्र की संपत्ति दरअसल उनकी पारिवारिक संपत्ति होगी।

जाहिर है, यह सरासर भ्रष्टाचार का मामला है जिसके तहत 70 करोड़ रुपए का कमिशन दिया और लिया गया है। सब बातें इतनी स्पष्ट हैं कि इसमें जांच करने की भी कोई जरूरत नहीं है। शशि थस्र खुद कह चुके हैं कि उन्होंने उस कंपनी को कोच्ची टीम का मालिकाना दिलाने के लिए फेसिलिटेटर का काम किया था। उस कंपनी को वह टीम भी मिल गई है। जिस महिला को उस कंपनी ने 70 करोड़ रुपये का मुफ्त शेयर दे रखा है, वह उनकी होने वाली पत्नी है। उस महिला ने भी यह स्वीकार कर लिया है कि उस कंपनी के शेयर को उसने पैसे देकर नहीे खरीदे थे। यानी 70 करोड़ रुपये के शेयर उन्हें मुफ्त में मिले हैं, यह बात भी जाहिर है। हालांकि वह महिला कह रही हैं कि उस कंपनी के कर्मचारी की हैसियत से उन्हें वेतन के बदले 70 करोड़ रुपए के शेसर मिले। इस बात को कौन मानेगा कि ब्यूटीशियन का काम करने वाली एक महिला को खेल की कोई कंपनी 70 करोड़ रुपए की तनख्वाह पर नौकरी पर रखेगी।

यानी भ्रष्टाचार का मामला स्वतः स्पष्ट है, फिर भी शशि थरूर अपने पद पर बने हुए हैं। प्रधानमंत्री अपनी ईमानदारी के लिए देश भर में एक मिसाल की तौर पर देखे जाते हैं, लेकिन फिर भी वेएक भ्रष्टाचरी मंत्री को वे हटा नहीं पा रहे हैं। आखिर प्रधानमंत्री शशि थरूर के खिला् कब कार्रवाई करेंगे? (संवाद)