फरवरी में दोनेां उल्फा नेताओं की रिहाई हुई थी। उसके बाद दोनों नेता क्षेत्र का सघन दौरा कर रहे हैं। लोगों से समस्या को हल करने के लिए सहमति प्राप्त करने मे जुटे हुए हैं। वे लोगों से राय मशविरा के बातचीत में उठाए जाने वाले मसलों और सहमति के बिन्दुओं पर अपनी राय निश्चित करना चाहते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार असम के लोग उन्हें बातचीत के द्वारा २शांति कायम करने की राय दे रहे हैं। लोग चाहते हैं कि राज्य में अमन का राज कायम हो और शांतिपूर्ण माहौल में विकास के काम आगे बढ़ें। लोग उन्हें संप्रभुता के मसले को बड़ा मुद्दा नहीं बनाने की भी राय दे रहे हैं। यानी लोग चाहते हैं कि उल्फा नेता संप्रभुता के मामले पर बातचीत को नहीं तोड़े।
गौरतलब है कि संप्रभुता की मांग को छोड़कर केन्द्र सरकार उल्फा से अन्य किसी भी मसले पर बातचीत करने को तैयार है। केन्द्र सरकार देश के संवैधानिक दायरे के अंदर ही असम की उल्फा समस्या के हल की हिमायती है।
इस महीने के आरंभ में राज्य के 20 बुद्धिजीवियों ने उल्फा नेताओं से अपील जारी कर केन्द्र से बातचीत करने को कहा। उन्होंने उल्फा नेताओं को कहा कि वे संप्रभुता की अपनी मांग को छोड़ दे और राज्य में अमन कायम करने को प्राथमिकता दें। उन्होने केन्द्र सरकार से अपील की कि वह बातचीत के पहले किसी प्रकार की शर्त सामने नहीं लाए। उन्होंने गिरफ्तार उल्फा नेताओं को रिहा करने की भी मांग की, ताकि बातचीत का अच्छा माहौल बन जाय।
ये बौदिधक नेता आगामी 24 अपैल को एक राज्यस्तरीय सम्मेलन भी आयोजित कर रहे हैं। उस सम्मेलन को कफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि उससे पता चलेगा कि राज्य के बौद्धिक समुदाय की उल्फा की मांगो पर क्या सोचना है। सम्मेलन उल्फा नेताओं पर शांति वार्ता में संप्रभुता की मांग को लेकर लचीला रुख अपनाने में के लिए दबाव बनाने में भी कामयाब हो सकता है।
एक विरोधाभासी बात भी की जा रही है। कुछ लोग कह रहे हैं कि उल्फा भारत से अलग होने की मांग को तो छोड़ दे, लेकिन संप्रभुता की मांग को बरकरार रखे। वे कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार संप्रभुता देने के लिए तैयार हो जाए और बदले में उल्फा अलग देश की मांग छोड़ देंगे।
सवाल उठता है कि किसी भाग को संप्रभु घोषित करते हुए उसे भारत की संप्रभुता के अंदर कैसे रखा जा सकता। एक संप्रभुता संपन्न राष्ट्र किसी दूसरे संप्रभु राष्ट्र का हिस्सा कैसे रह सकता। आगामी 24 अपैल को होने वाले सम्मेलन में शायद इस पर पैदा हुए भ्रम का निवारण हो। (संवाद)
उल्फा से बातचीत की पृष्ठभूमि हो रही है तैयार
संप्रभुता शब्द पर संशय
बरुण दास गुप्ता - 2010-04-17 08:33
कोलकाताः पूर्वात्तर के असम की उल्फा समस्या के हल के लिए बातचीत की पृष्ठीाूमि तैयार हो रही है। बातचीत को संभव बनाने में प्रदीप गोगोय और मथिंगा दायमारी की टाडा अदालत द्वारा दी गई जमानत काम आ रही है। इससे वातावरण बेहतर बना है।