उस अधिकारी का नाम है जसबिंदर सिंह बीर। बीर की समस्या यह है कि उन्होंने कानून का पालन करने और कराने की कोशिश की। पटियाला जिले में उनकी पोस्टिंग थी और वे जिले के अघिारी थै।

उन्हें शिकायत मिली थी कि बिना परमिट और लाइसंेस के अनेक गाड़ियां चल रही थीं। उसके कारण सरकार के खजाने को नुकसान हो रहा था। उन गाड़ियों को रिहायशी इलाकों से चलाया जा रहा था, जिसके कारण वहां के लोगों को समस्या हो रही थी, क्योकि रिहाइशी इलाके ही उन गाड़ियों के लिए टर्मिनस बन गए थे।

जिलाधिकारी बीर ने अपने मातहत अधिकारियों को आदेश दिए कि उन गाड़ियों के खिलाफ कार्रवाई की जाय। लेकिन उनके आदेश पर बमल नहीं हुआ। उन्होंने अपने मातहत अधिकारियों की बैठक बुलाई और उन्हें आदेश का पालन न करने के लिए लताड़ लगाई।

गाड़ियों के अवैध रूप से चलने से रोकने क लिए वे कुछ करते, एसके पहले ही उनका तबादला हो गया। उन्हें चंडीगढ़ में एक ऐसे पद पर लाकर पटक दिया गया जिस पर राज्य सेवा के अधिकारी बैठते हैं। इस तरह एक आई ए एस अघिकारी को अपमानित किया गया।

बीर ने अवैध रूप से चल रही जिन गाड़ियों को रोकने के आदेश दिए थे, वे गाड़ियां किसी साधारण आदमी की नहीे थीख् बल्कि मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के परिवार की थी। उसके कारण ही जिलाधिकारी के नीचे काम कर रहे अधिकारी आदेश का पालन नहीं कर सके। और जब जिलाघ्किारी बीर ने आदेश न मानने के कारण उन्हें लताड़ लगाई तो उनका तबादला ही कर दिया गया।

अधिकारी बीर से जुड़ी इस घटना से पता चलता है कि पंजाग की सरकार जिन लोगों के हाथों में है, उन्हें कानून और कायदों की कितनी फिक्र है। वे खुद तो कानून का खुलेआम उल्लंधन करते ही हैं, कानून का पालन करवाने की कोशिश करने वाले अघिकारियों को भी अपमानित करते हैं।

कानून के साथ खिलवाड़ करने वाले और राजनीति के द्वारा घंघेबाजी को बढ़ावा देकर पैसा कमाने वाले एकमात्र नेता प्रकाश सिंह बादल नहीं हैं, बल्कि ऐसे अनेक नेता देश भर में फैले हुए हैं। सभी क्षेत्रीय दलों के नेता लगभग इसी तरह का व्यापार कर रहे हैं। मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, मायावती और ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ तो आय से ज्यादा संपत्ति अर्जित करने के मुकदमे चले हैं और अभी भी चल रहे हैं। (संवाद)