उनके घोषित ‘आध्यात्मिक राजनीति’ के कदम को भाजपा के हलकों में प्रधानमंत्री मोदी के करीब ले जाने के लिए एक अनुकूल सूचक के रूप में देखा गया था। लेकिन उनकी नवीनतम घोषणा 29 दिसंबर को, हैदराबाद में एक अस्पताल में कुछ दिनों की भर्ती होने के बाद हुई, जिसमें उन्होंने ‘भगवान की चेतावनी’ के रूप में लोगों के सामने पेश किया।
70 वर्षीय रजनीकांत ने चेन्नई में हैदराबाद से लौटने के बाद कहा कि वह एक पार्टी का गठन कर राजनीति में आने में असमर्थ हैं। उन्हें 31 दिसंबर को पार्टी की घोषणा करनी थी। उन्होंने कहा कि हालांकि, वह चुनावी राजनीति में प्रवेश किए बिना लोगों की सेवा करते रहेंगे।
इस घोषणा से उनके राज्यव्यापी प्रशंसक क्लब को जबर्दस्त झटका लगा जो उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे थे। उनका इरादा राजनीतिक पार्टी का गठन कर 2021 के राज्य विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेना था और तमिलनाडु में संपूर्ण परिवर्तन लाने के उद्देश्य से ‘आध्यात्मिक राजनीति’ करना था।
श्री रजनीकांत के फैसले से राज्य स्तर दो प्रमुख द्रविड़ प्रतिद्वंद्वियों सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक और द्रमुक के बीच बनी अनिश्चितता समाप्त हो गई है। दोनों पार्टियों के नेतृत्व में बनने वाले गठबंधनों की स्थिति को लेकर बना भ्रम भी अब समाप्त होने लगा है। वे दोनों पार्टियां पहली बार क्रमशः करुणानिधि और जयललिता के बिना ही इस बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगी।
हालांकि एआईएडीएमके-भाजपा गठबंधन को लेकर बना भ्रम पूरी तरह अब भी समाप्त नहीं हुआ है। गठबंधन पर मतभेदों के बादल अभी भी मंडरा रहे हैं। उन गठबंधन के चुनाव के मुद्दे क्या होंगे, यह स्पष्ट नहीं है और मुख्यमंत्री पद के दावेदार के नाम पर भी सहमति होना अभी बाकी है। हालांकि एआईएडीएमके ने फैसला किया है कि पलानीस्वामी ही चुनावी लड़ाई में उसके नेता होंगे। पर गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा, इस पर सवालिया निशान है।
27 दिसंबर को चेन्नई में एआईएडीएमके के चुनाव अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने किया। यह साफ देखा गया कि वे अपने दल के नेताओं से इस बात के लिए दबाव में हैं कि सत्ता में हिस्सेदारी के लिए बीजेपी की किसी भी मांग का विरोध करें और द्रविड़ विचारधारा का जोरदार ढंग से बचाव करें। राष्ट्रीय पार्टी को एआईएडीएमके के साथ गठबंधन के माध्यम से अपनी विचारधारा को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
तमिलनाडु के लिए भाजपा के प्रभारी श्री सुधाकर रेड्डी चाहते हैं कि एआईएडीएमके मंत्री संतुलित टिप्पणियां करें और गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि एआईएडीएमके एनडीए का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि राज्य भाजपा ने सभी पंचायत कार्यालयों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाने के लिए राज्य सरकार से अपील की है। गठबंधन संबंधी सभी मुद्दों पर भाजपा के केंद्रीय संसदीय बोर्ड द्वारा चर्चा की जाएगी।
दूसरे ओर, डीएमके नेता श्री एम के स्टालिन ने एआईएडीएमके शासन के खिलाफ राज्यपाल को एक याचिका दी है, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं और राज्यपाल की पार्टी की शिकायतों पर कार्रवाई करने में संकोच करने पर अदालत का रुख करने की धमकी दी है।
मई 2021 में 234-सदस्यीय विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन बनाने के लिए दो मुख्य द्रविड़ पार्टियों के अलावा, वर्तमान में तीसरी ताकत एक और प्रमुख अभिनेता कमल हासन द्वारा स्थापित मक्कल निधि मदाम है। श्री हासन हाल ही में ’ईमानदार दिमाग’ के लिए ‘भ्रष्ट शासन’ को समाप्त करने और ‘ईमानदार राजनीति’ के युग में प्रवेश करने के लिए गहन अभियान चला रहे हैं।
जहां तक डीएमके की बात है तो पार्टी के नेता श्री एम के स्टालिन ने चुनाव अभियान शुरू कर दिया है। वे लगातार सभाएं आयोजित और संबोधित कर रहे हैं। लेकिन जनवरी के अंत तक पार्टी के चुनाव कार्यक्रम आ जरने की उम्मीद है। कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम और राज्य स्तरीय दलों के कुछ दल डीएमके के नेतृत्व वाले धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गठबंधन में पारंपरिक भागीदार रहे हैं।
श्री स्टालिन और कुछ अन्य डीएमके नेताओं को लगता है कि अगर डीएमके खुद 200 सीटों पर चुनाव लड़ती है तो एक अच्छा बहुमत हासिल हो सकता है। जाहिर है, उनके पास बिहार का उदाहरण है, क्योंकि कांग्रेस ने वहां खराब प्रदर्शन किया था। इसलिए स्टालिन कांग्रेस को मुहमांगी सीटें नहीं देना चाहेंगे।
चार महीने से अधिक समय बीतने के साथ, गठबंधन के रूपों में कोई मजबूत रुझान नहीं हैं, लेकिन राज्य स्तरी पर भाजपा लगातार जोर लगा रही है। वह आगामी चुनाव को भाजपा और द्रमुक के बीच प्रत्यक्ष संघर्ष के रूप में परिकल्पित करती है, इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से वह सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के महत्व को कम कर देना चाहती है। जबकि अन्नाद्रमुक लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के लिए भाजपा से गठबंधन जरूरी समझती है। भाजपा चाहती है कि संघर्ष को एनडीए बनाम डीएमके के के रूप में पेश किया जाय और अन्नाद्रमुक पलानीस्वामी की अगुवाई में एलडीए का नेतृत्व करे। चुनाव के बाद भाजपा सत्ता में भागीदारी भी करना चाहेगी।
रजनीकांत के राजनीति में प्रवेश न करने के फैसले पर विविध प्रतिक्रियाएँ आई हैं। कमल हासन ने निराशा व्यक्त की है कि वे श्री रजनीकांत के साथ मिलकर तीसरे मोर्चे के विकल्प पर चर्चा नहीं कर सके, लेकिन कहा कि स्वास्थ्य अधिक महत्वपूर्ण है। श्री रजनीकांत ने कहा कि उन्हें लाखों प्रशंसकों को निराश करने के लिए खेद है, लेकिन उम्मीद है कि रजनी मक्कल मानराम जो कुछ समय से वहां है, अपनी कल्याणकारी गतिविधियों के साथ जारी रहेंगे। (संवाद)
रजनीकांत राजनैतिक परिदृश्य से बाहर
द्रविड़ प्रतिस्पर्धी आपस में करेंगे दो दो हाथ
एस सेतुरमन - 2020-12-31 09:46
मेगा स्टार रजनीकांत ने अंततः 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में एक प्रमुख राजनीतिक भूमिका से स्वास्थ्य के आधार पर को बाहर रखने करने का फैसला किया है। वे अब न तो राजनैतिक पार्टी का गठन करेंगे और न ही चुनाव में किसी तरह की भूमिका निभाएंगे। कुछ सालों से वह लगातार इस संभावना को बल दे रहे थे कि वे भी राजनीति में अपना हाथ आजमाएंगे। लेकिन उनके स्पष्टीकरण के बाद उनके लाखों फिल्म प्रशंसकों की उम्मीदें अब समाप्त हो गई हैं।