उनके करीबी लोगों का कहना है कि उनकी महत्वाकांक्षा बरकरार है, हालांकि इन चार सालों में तमिलनाडु की राजनीति बदल गई है। चूंकि वह कानून के अनुसार अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकती, इसलिए वह केवल सिंहासन के पीछे एक शक्ति के रूप में रह सकती है।
अम्मा ’की अनुपस्थिति में चिन्नम्मा’ का राजनीति में क्या प्रभाव पड़ेगा? हालाँकि जयललिता की छाया से उभरने के बाद शशिकला का एक राजनेता के रूप में विकास अचानक कम हो गया है और उन्हें एहसास होना चाहिए कि जया की छाया में उनके पास जो शक्ति थी वह पूरी तरह से जयललिता की शर्तों पर थी।
लेकिन उनके पास विकल्प कम हैं। जेल की अवधि के दौरान राज्य में बहुत कुछ हुआ है। मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी ने न केवल सरकार और पार्टी दोनों में अपनी शक्ति को मजबूत किया है, बल्कि भाजपा के साथ मित्रतापूर्ण संबंध अपनी शर्तों पर बनाए रखने में सफलता भी पाई है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि पार्टी को अब तक एकजुट रखना है।
पहला यह है कि वह अन्नाद्रमुक को वापस हथियाने की कोशिश कर सकती है क्योंकि पार्टी में अभी भी उनके कई वफादार हैं। लेकिन उनका संभावित प्रवेश राज्य में राजनीतिक माहौल को और जटिल बना देगा। उनके एक समय के वफादार - वर्तमान मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी और उनके डिप्टी ओ पन्नीरसेल्वम उनकी राजनीति का विरोध करेंगे। पार्टी लाइन पर मंत्री तो चलते रहेंगे, पर दूसरी पंक्ति के कुछ पार्टी नेता शशिकला-दिनकरन के साथ कामकाजी संबंध बनाना पसंद करेंगे।
कोरोनावायरस संकट ने एआईडीएमके को शुरू में राज्य में अपना कद सुधारने में मदद की है। हालांकि, राज्य में पलानीस्वामी की लोकप्रियता में कमी भी आई है। छवि बन रही है कि एआईएडीएमके का संचालन अब दिल्ली से होता है। इन सबसे ऊपर, पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के साथ गठबंधन की भी घोषणा की है। भाजपा राज्य में गठबंधन सरकार की अवधारणा को बढ़ावा देती दिख रही है। यह एक ऐसा विचार है, जिसे अन्नाद्रमुक ने खारिज कर दिया है। अबतक पार्टी ने कभी सत्ता साझा नहीं की है।
चेन्नई के पॉश पोएस गार्डन में शशिकला की संपत्ति पर अचानक छापा और जयललिता के घर के सामने एक नए महलनुमा बंगले के निर्माण के लिए आयकर विभाग का नोटिस इस ओर इशारा करता है।
अगला सबसे अच्छा विकल्प उनके पास अपने भतीजे टी.टी.वी. दिनाकरन की अम्मा मक्कल कड़गम का अध्यक्ष बन जाना है। यहां तक कि यह तमिलनाडु चुनावों में अन्नाद्रमुक के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती हैं। टीटी ने अपनी सीट आर.के. नगर उपचुनाव में जीत लिया था, लेकिन उनकी पार्टी ने 2019 के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। उन्होंने 2017 में शशिकला के अनुमोदन के साथ पार्टी का गठन किया था। हालांकि वह अगले छह वर्षों के लिए चुनावों में नहीं लड़ सकती हैं, लेकिन वह टीटी के पीछे की शक्ति तो हो ही सकती है।। एएमएमके ने एआईएडीएमके के पांच प्रतिशत वोट पहले ही 2019 के लोकसभा चुनाव में छीन लिए हैं।
जयललिता के साथ उनका अंदरूनी राजनैतिक अनुभव रहा था। इसके अलावा उनके पास बहुत पैसा भी है और राजनीतिक अंतर्दृष्टि भी है। ऐसा कहा जाता है कि तमिलनाडु के दक्षिण में उनका और उनके भतीजे का कुछ प्रभाव है। यह एआईएडीएमके के वोटों में कटौती कर सकती है। दिनकरन की चुप्पी, इस बात का संकेत है कि कुछ सौदा हो सकता है। एआईडीएमके के साथ उनकी पार्टी के विलय की भी चर्चा है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि शशिकला इस सेट-अप में क्या भूमिका निभाएंगी।
तीसरा विकल्प है, चुपचाप एआईडीएमके का समर्थन करना और 2026 का इंतजार करना, जब वह चुनाव लड़ने के योग्य हो जाएंगी। यह उनका आखिरी विकल्प हो सकता है। शशिकला जैसी महत्वाकांक्षी महिला शायद इसके लिए तैयार नहीं होंगी।
यह याद रखना चाहिए कि तमिलनाडु ने 1967 से डीएमके और एआईडीएमके में से किसी एक को चुना है। अब डीएमके की बारी है।
मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने हाल ही में कहा, ‘शशिकला से जुड़े मामलों में पार्टी के रुख में कोई बदलाव नहीं होगा।’ यह कथन महत्त्व रखता है, क्योंकि यह पहली बार है जब पलानीस्वामी ने शशिकला की रिहाई और एआईडीएमके में उनके भविष्य पर एक सार्वजनिक बयान दिया है।
इस बीच, एएमके ने दावा किया कि उनकी रिहाई से राज्य की राजनीति पर असर पड़ेगा। एएमके के प्रवक्ता सीआर सरस्वती ने कहा, ‘हमें चिन्ना अम्मा की रिहाई का बेसब्री से इंतजार है। (संवाद)
जेल से निकल कर राजनीति में सक्रिय होंगी शशिकला
एआईएडीएमके की अभी से बढ़ रही हैं धड़कनें
कल्याणी शंकर - 2021-01-07 09:39
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की साथी शशिकला जल्द ही जेल से बाहर आने वाली हैं। 2016 में जयललिता के निधन के बाद सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के भीतर बड़े पैमाने पर राजनीतिक उथल-पुथल हो रही थीं। वह उथल-पुथल का केन्द्र थीं शशिकला। पार्टी का पूरा नियंत्रण शशिकला के हाथ में आ रहा था। उसी समय उसी समय उन्हें फरवरी 2017 में चार साल के लिए जेल भेज दिया गया। वह भ्रष्टाचार के मामले में संलिप्त पाईं गई थीं। उनके जेल का कार्यकाल अगले महीने समाप्त हो रहा है। क्या वह अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु की राजनीति का एक कारक बन जाएगी? कुछ लोगों का मानना है कि वह भूमिका निभा सकती हैं और कुछ लोगों का मानना है कि वे अपने समय का इंतजार करेंगी और राजनीति पर सिर्फ अपनी नजर अभी रखेंगी।