प्रमुख द्रविड़ियन प्रतिद्वंद्वी डीएमके का नेतृत्व करते हुए स्टालिन उनसे बेफिक्र हैं। जबकि एआइएडीएमके का नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी अपने बीजेपी गठबंधन सहयोगी के साथ सत्ता फिर हासिल करने के लिए जमीन आसमान एक कर रहे हैं। इसी बीच पुदुचेरी में भी भयानक उठापटक का दौर चल रहा है। भारतीय जना पार्टी की उस केन्द्र शासित प्रदेश पर खास नजर है। वहां अभी कांग्रेस की सरकार है, जिसे स्टालिन के नेतृत्व वाले डीएमके का समर्थन हासिह है। लेकिन एस सरकार के सामने अस्तित्व का संकट आ खड़ा हो गया है।

कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने दलबदल कराते हुए कांग्रेस के कुछ विधायकों का इस्तीफा करवा दिया, जिसके कारण कांग्रेस की नारायणसामी सरकार अल्पमत में आ गई है। उसके अल्पमत में आते ही केन्द्र सरकार ने उपराज्यपाल किरण बेदी को अपने पद से हटा दिया और उनकी जगह तेलंगाना की राज्यपाल को उपराज्यपाल बना दिया है। किरण बेदी को हटाया जाना बिल्कुल ही आकस्मिक था। उसके पहले उनसे बात तक नहीं की गई। उनसे कोई स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा गया। सच कहा जाय तो किरण बेदी को इस बात की भनक भी नहीं थी कि उन्हें हटाया जा रहा है।

यह सच है कि सीएम और उपराज्यपाल के बीच पांच साल से सत्त संघर्ष चल रहा था। दोनों शासन में एक दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रहे थे, और दोनों लोगों के सामने अलोकप्रिय हो रहे थे। नारायणस्वामी सरकार अधर में लटकी होने के साथ, भाजपा यह देखने की कोशिश कर रही है कि प्रतिद्वंद्वी पार्टी एनआर कांग्रेस कुछ भाजपा और अन्नाद्रमुक सदस्यों के समर्थन के साथ बदलाव कर सकती है या नहीं, जो दो महीने के भीतर अगले चुनाव तक 30 सदस्यीय विधानसभा में बचेगी।

अगली बार तेलंगाना में अपना शासन बढ़ाने पर भाजपा की लगातार महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए। मोदी सरकार ने दो साल पहले तमिलनाडु के भाजपा नेता तमिलिसाई सुन्दरराजन को तेलंगाना का राज्यपाल नियुक्त किया था। अब उसे पुदुचेरी में उपराज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालने के लिए कहा गया है और भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि वह वर्तमान राजनैतिक संकट को उनके अनुकूल मोड़ देंगी।

स्थानीय एनआर कांग्रेस और अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन में अप्रैल-मई में अगले चुनाव में भाजपा यहां सत्ता पर कब्जा करने की उम्मीद करती है। डीएमके के नेता श्री स्टालिन वहां अकेले जाने की योजना बना रहे थे। इसका कारण यह है कि पिछले 5 सालों में मुख्यमंत्री और राज्यपाल के झगड़े के कारण सरकार का प्रदर्शन बेहद की खराब रहा है और स्टालिन नहीं चाहते हैं कि उस खराब प्रदर्शन का दाग लेकर उनकी पार्टी वहां चुनाव में उतरे।

यह स्पष्ट है कि बीजेपी इस साल दक्षिण, (तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल) में बड़ी उपस्थिति दर्ज करने के लिए कृतसंकल्प है, जो पहले की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक अनुकूल स्थिति में है।

तमिलनाडु और केरल दोनों में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कई परियोजनाओं की शुरुआत की गई है। अनेक की शुरुआत की घोषणा की गई है। कहा जा रहा है कि उनसे विकास को बढ़ावा मिलेगा और नौकरियों का सृजन होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 फरवरी को पुडुचेरी की यात्रा करने वाले हैं। वह उस दिन तमिलनाडु में अपनी पार्टी के चुनाव अभियान को भी आगे बढ़ाएंगे। 14 फरवरी को, जब वह मेट्रो और अन्य परियोजनाओं को शुरू करने के लिए चेन्नई गए, तो उन्होंने मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी और डिप्टी सीएम श्री ओ पन्नीरसेल्वम दोनों के साथ विचार-विमर्श किया और उन्हें एकजुट रखने को कहा।

तीन दिन बाद उन्होंने एक प्राकृतिक गैस पाइपलाइन सहित तीन प्रमुख ऊर्जा परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया और रुपये की लागत से कावेरी बेसिन रिफाइनरी की आधारशिला रखी। नागपट्टिनम के पास, 31,580 करोड़ की वह परियोजना है।

जबकि श्री सीएम पलानीस्वामी ने मुसलमानों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को आश्वस्त किया कि एआइएडीएमके अपनी धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध है ..., राज्य स्तर पर गठबंधन के सहयोगी, भाजपा ने आने वाले मतदान को ‘देशभक्त और देशद्रोहियों’ के बीच लड़ाई के रूप में वर्णित किया है। (संवाद)