कांवड़ यात्रा सावन के महीने में होती है। झारखंड के देवघर में कांवड़िया कांवड़ लेकर पहुंचते हैं। वे बिहार के सुल्तानगंज से गंगा का पानी लेते हैं और वहां से करीब 125 किलामीटर पैदल चलकर देवघर पहुंचकर शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाते हैं। बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड के लोग कांवड़ियों में ज्यादातर शामिल रहते हैं। फिलहाल, हम चर्चा बिहार के सुल्तानगंज और झारखंड के देवघर की नहीं कर रहे हैं। यह हरिद्वार से जुड़ी कांवड़ यात्रा है। इस यात्रा में लोग कांवड़िया बनकर हरिद्वार पहुंचते हैं। वहां से गंगा जल लेते हैं और फिर वहां से वापस अपने अपने गांवों या इलाकों में आकर शिवलिंगों पर जल चढ़ाते हैं। ये लोग ज्यादातर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के होते हैं। गंगा जल जिस हरिद्वार से उठाया जाता है, वह उत्तराखंड में है और उत्तराखंड के बाहर के कांवड़िया जल लेने के लिए उत्तर प्रदेश के रास्ते ही ज्यादातर आते हैं।
यही कारण है कि कांवड़ यात्रा में उत्तराखंड के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण स्थान उत्तर प्रदेश का है, क्योंकि अन्य राज्य के कांवड़िए वहीं से गुजरते हुए हरिद्वार पहुंचते हैं। उत्तराखंड ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी है। जाहिर है, वहां की सरकार कांवड़ियों को अपने प्रदेश में बाहर से प्रवेश नहीं करने देगी। यह जानने के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा की इजाजत दे दी है। तो सवाल उठता है कि आखिर योगी सरकार का इरादा क्या है? दिलचस्प बात यह है कि योगी सरकार ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि अन्य राज्यों के संपर्क स्थापित कर वे यह सुनिश्चित करें कि कांवड़ यात्रा के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन हो। लेकिन जब हरिद्वारा में कांवड़ियों का प्रवेश ही निषिद्ध हो गया है, तो फिर कांवड़िए वहां के लिए निकलेंगे ही क्यों?
शायद योगी आदित्यनाथ ने उसका विकल्प भी ढूंढ़ लिया होगा। गंगा हरिद्वार से होती हुई उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। हरिद्वार तक नहीं पहुंच पाने की स्थिति में कांवड़िए गंगा के उत्तर प्रदेश स्थित किसी अन्य घाट से या घाटों से भी गंगा जल उठा सकते हैं और वहां से वापस अपने गांव जाकर अपने शिवालय में चढ़ा सकते हैं। आखिर बिहार के सुल्तानगंज से भी तो कांवड़िए गंगा जल लेकर देवघर जाते ही हैं। यही कारण हे कि हरिद्वार में कांवड़ियों का प्रवेश वर्जित करने के उत्तराखंड सरकार के निर्णय के बावजू उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कांवड़ यात्रा करवाने पर आमादा है।
इसी साल मार्च-अप्रैल महीने में हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन किया गया। समझदार लोगों ने उसे प्रतिबंधित करने की सलाह दी थी। इस लेखक ने भी प्रधानमंत्री से अनुरोध किया था कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए कुंभ की इजाजत नहीं दी जाय। लेकिन तमाम सलाहों और अपीलों को ठेंगे पर रखते हुए मोदी सरकार ने उसकी इजाजत दी और उसके कारण देश भी में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो गई, जिससे लाखों लोग मरे और करोड़ों तबाह हो गए।
अब मोदी सरकार से लेकर राज्य सरकारें तक कोरोना की तीसरी लहर आने की चेतावनी दे रही है। यह चेतावनी गलत नहीं है, लेकिन सिर्फ जनता को ही क्यों चेताया जाता है? सरकारें खुद क्यों नहीं चेतती? मोदी जी खुद क्यों नहीं चेतते? कावड़ यात्रा अनेक प्रदेश के लोग करते हैं। यह किसी एक प्रदेश तक सीमित नहीं है। इसलिए मोदी सरकार को आगे आकर इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए। कुंभ मेले में वे एक बार मोदीजी गलती कर चुके हैं, जिसका खामियाजा देश भुगत चुका है। उसी तरह की गलती कांवड़ यात्रा में क्यों दुहराई जा रही है?
हरिद्वार कुंभ में करीब 91 लाख लोग देश भर से आए थे और वे कोरोना को देश के हर हिस्से में फैलाने का कारण बने। कांवड़ यात्रा में भी करोड़ों लोग जल लेने के लिए हरिद्वार जाते हैं। जाहिर है, इस यात्रा में कोरोना की तीसरी लहर पैदा करने की पूर्ण संभावना है। हरिद्वारा निषिद्ध होने पर उत्तर प्रदेश के किसी गंगा घाट से ही कांवड़िए जल उठाएं और लाखों की संख्या में मूवमेंट करें, तो उससे भी कोरोना की तीसरी लहर फैल सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी इस तथ्य से अपरिचित नहीं। फिर भी वे कांवड़ यात्रा चाहते हैं।
यह सच है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है, लेकिन यदि तीसरी लहर फैली, तो उसका नुकसान चुनावों में भाजपा को ही होगा। वह नुकसान सिर्फ उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं होगा, बल्कि अन्य प्रदेशों में होगा, क्योंकि जब भी कोई लहर उठती है, तो वह राष्ट्रव्यापी होती है, किसी राज्य विशेष तक सीमित नहीं होती।
यह अच्छी बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। यूपी सरकार को बताना पड़ेगा कि उत्तराखंड द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद वह कांवड़ियों को हरिद्वार कैसे भेजेगी या गंगा के किस घाट से उन्हें गंगा जल लेने की इजाजत देगी? कोरोना फैलने से संबंधित सवाल का जवाब भी उत्तर प्रदेश की सरकार को देना होगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देगा। यह प्रतिबंध सिर्फ हरिद्वार से जल लेने वाली यात्राओं पर ही नहीं, बल्कि बिहार और झारखंड में निकलने वाली कांवड़ यात्रा पर भी लगाई जानी चाहिए। वैस बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उम्मीद की जाती है कि वे बिहार के सुल्तानगंज से देवधर की ओर जाने वाली कांवड़ यात्रा पर रोक लगा देंगें। (संवाद)
कांवड़ यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध ही उचित होगा
कुंभ वाली गलती दुहराना देश पर भारी पड़ेगा
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-07-14 09:57
कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने एक दूसरे से विपरीत निर्णय लिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तो इस मसले पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी कर दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी उसी तरह बनी हुई है, जैसे वे अधिकांश महत्वपूर्ण मसलों पर वे चुप्पी बना लेते हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं और दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा के विपरीत निर्णय ले ही नहीं सकते। वैसी हालत में दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के अलग अलग निर्णय आश्चर्यचकित करने वाले हैं।