कप्तान धोनी ने जो कुछ कहा उसे खारिज नहीं किया जा सकता। यह भी नहीं कहा जा सकता कि वे कोई झूठी बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने जो कुछ कहा उसमें सच्चाई है। जब शरीर पर कोई इतना दबाव डालेगा, तो वह ज्यादा दिनों तक बेहतर खेल नहीं सकता। आइपीएल के पिछले सत्र में कुछ दिनों तक आराम करके वापस आने के बाद धोनी ने जो दनादन बल्लेबाजी कर अपनी टीम को चैंपियन बना दिया, उसके पीछे मुख्य कारण यही था कि उन्हें कुछ समय तक आइपीएल से छुट्टी मिल गई थी।
कप्तान की ईमानदार स्वीकारोक्ति के बाद कुछ लोग कह रहे हैं कि धोनी हार के लिए बहानेबाजी कर रहे हैं। सवाल उठता है कि इसमें बहानेबाजी क्या है? क्या यह सच नहीं है कि आइपीएल में करीब 12 बजे रात तक मैच होता है? क्या यह सच नहीं है कि उसके बाद रात भर की पार्टियां होती है? क्या यह सच नहीं है कि पार्टियों के बाद खिालाड़ियों को अगले शहर के लिए कूच करना पड़ता है?
यदि कोई एक दिन या दो दिन इस तरह के मैच अथवा पार्टी होती हो, तब तो कोई बात नहीं, लेकिन यदि नियमित रूप से ऐसा ही होता हो, तो शरीर पर उसका बुरा असर पड़ेगा ही और बाद के दिनों में हुए मैचों में खिलाड़ियों का प्रदर्शन प्रभावित होगा। धोनी ने जो कुछ भी कहा वह कटु सत्य है और उसे कोई झुठला नहीं सकता।
हां, यह कहा जा सकता है कि खिलाड़ी यदि चाहें तो वे पार्टियों से अपने आपको अलग रख सकते हैं। उन्हें रात भर पार्टी में रहने के लिए कोई बाध्य नहीं कर सकता। वे पार्टियों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराके वहां से अपने कमरे में आराम करने के लिए खिसक सकते हैं। लेकिन ऐसा कहना आसान है पर करना कठिन।
आइपीएल की पार्टियां खिलाड़ियों के नाम पर ही दी जाती है और उन पार्टियों के मुख्य आकर्षण ही वही होते हैं। यदि कोई एक दो खिलाड़ी नींद का बहाना कर पार्टी छोड़कर चले जाएं, तो आयोजको को शायद बूरा नहीं लगेगाख् लेकिन यदि सभी के सभी पार्टियों से बाहर चले जाएं, तो आयोजकों को बुरा लग सकता है। आइपीएल की उन पार्टियों में इसके कारण रंग में भंग पड़ जाएगा।
वे पार्टियां सिर्फ मौज मस्ती के लिए ही नहीं होती हैख् बल्कि उनका व्यापारिक महत्व भी है। उनमें सौदागरों की संख्या भी अघिक होती है और किस्म किस्म की सौदेबाजी भी होती है। पैसे का खेल वहां भी होता है। इसलिए यदि वे पार्टियां न हों आइपीएल में पैसे का प्रवाह प्रभावित होगा और जब पैसे का प्रवाह प्रभावित होगा, तो फिर आइपीएल की जरूरत ही क्यों रह जाएगी।
यानी यह कहना आसान है कि खिलाड़ी यदि चाहें तों पार्टियों से अलग रह सकते हैं, लंकिन ऐसा हो पाना आसान नहीं हैं। आइपीएल के मालिक खिलाड़ियों को पार्टियों से बाहर रहने की शायद इजाजत ही नहीं दें और पार्टियों की चमक दमक और ग्लैमर से अपने आपको दूर रखना खिलाड़ियों के वश में है भी नहीं।
घोनी ने सिर्फ दोष पार्टियों पर ही नहीं डाला है, बल्कि आइपीएल मैच की टाइमिंह पर भी सवाल खड़ा किया है। आइपीएल का दूसरा मैच 8 बजे से शुरू होता है और यह साढ़े 11 बजे से 12 बजे तक समाप्त होता है। इक्के दुक्के मैच हो तो कोई आती नहीं, यह सिलसिला लंबे समय तक चलता है। इसलिए यदि पार्टियों का सिलसिला समाप्त भी हो जाए, तब भी आइपीएल खिलाड़ियों के सोने जागने का रूटीन खराब कर उनकी शारीरिक क्षमता को प्रभावित करने वाला साबित होगा।
यानी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत के खराब प्रदर्शन के लिए आइपीएल जिम्मेदार है। महेन्द्र सिंह धोनी जैसा साहसी कप्तान ही इसे स्वीकार कर सकता है। लेकिन उनकी स्वीकृति के बाद आइपीएल प्रतिष्ठान से जुड़े लोग बौखला गए हैं और वे उन्हें कप्तान के पद से हटाने की बात तक कहने लगे।
देश ूमें एक तबके द्वारा आइपीएल का विरोध किया जा रहा है। इसे पैसे का खेल ेहा जाता है और शुरू से ही कहा जा सहा है कि इससे क्रिकेट बर्बाद होगा। जो आइपीएल के विरोधी कह रहे थे, उसी बात को कप्तान धोनी ने कही है। उन्होंने कोई नई बात नहीं कही है, लेकिन उनका कहना इसलिए ज्यादा महत्व रखता है, क्योंकि वे खुद आइपीएल के पैसे के कायल हैं। आइपीएल के पिछले टूर्नामंेट की चैंपियन टीम के वे कप्तान भी रहे हैं।
यानी आइपीएल द्वारा भारतीय क्रिकेट के बर्बाद होने की बात अब आइपीएल के अंदर से भी उठ गई है। आइपीएल बीसीसीआई की संतान है और बीसीसीआई ही भारतीय क्रिकेट का प्रमुख अभिभावक भी है। जाहिर है कप्तान धोनी ने आइपीएल के खिलाफ बोलकर आफत को दावत दे दी है। उन्होंने अनेक प्रभावशाली लोगों को अपने खिलाफ कर लिया है। और इससे उनका अपना कैरियर भी प्रभावित हो सकता है। उन्हें टीम के कप्तान पद से हटाने की बात चल ही गई थी। अभी तो वे अपने पद पर सुरक्षित दिखाई पड़ रहे हैं, लेकिन आने वाले दिनों में उन्हें सच बोलने की कीमत चुकानी पड सकती है। (संवाद)
हार का ठीकरा आइपीएल पर
धोनी को यह साफगोई महंगी भी पड़ सकती है
उपेन्द्र प्रसाद - 2010-05-15 08:55
ट्वेंटी 20 विश्व कप में हार का ठीकरा भारतीय कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने आइपीएल की सिर पर फोड़ा है। उनका कहना है कि आइपीएल में आधी रात तक मैच होता है। मैच के बाद पार्टी होती है। पार्टी के बाद उन्हें आराम करने का समय नहीं मिलता। फिर उन्हें वहां से अगला मैच खेलने के लिए दूसरे शहर की ओर भागना पड़ता है। सफर के दौरान थकान और भी बढ़ जाती है। इस तरह बिना आराम किए कई सप्ताह तक मैच खेलना पड़ता है और इसके कारण शरीर पर उसका असर पड़ता है।