फिरौती और उगाही के आरोपों में कितना दम है, इसका पता लगाना जांच एजेंसियों का काम है, लेकिन उससे भी बड़ा आरोप समीर वानखेड़े पर लग रहा है, वह है उनका गलत जाति प्रमाणपत्र बनाकर सरकारी नौकरी पाना। इसे साबित करने के लिए नवाब ने कई दस्तावेज जारी कर डाले हैं। उनकी जाति और धर्म को लेकर बहुत सी बातें की हैं। पहले यह मामला हिन्दू बनाम मुस्लिम चल रहा था। नवाब पर अनेक लोग आरोप लगा रहे थे कि एक मुस्लिम आर्यन खान को बचाने के लिए एक हिन्दू अधिकारी समीर वानखेड़े के पीछे वे पड़े हुए हैं। फिर बात सामने आई की नवाब के दामाद की भी गिरफ्तारी हुई थी और उसी खुन्नस में नवाब समीर वानखेड़े के पीछे पड़े हुए हैं।

लेकिन नवाब ने यह आरोप लगाकर सभी को दंग कर दिया कि समीर वानखेड़े का पूरा नाम समीर दाउद वानखेड़े है और वह हिन्दू नहीं, बल्कि मुस्लिम हैं। उन्होंने आरोप ही नहीं लगाए बल्कि समीर वानखेड़े का वह बर्थ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया, जिसमें उनका नाम समीर दाउद वानखेड़े लिखा हुआ है और उनके पिता का नाम दाउद और मां का नाम जहीदा है। फिर तो हिन्दू बनाम मुस्लिम का मामला ही नहीं रह गया, हालांकि समीर वानखेड़े इस बात पर अड़े रहे कि वे हिन्दू पिता के पुत्र होने के कारण हिन्दू ही हैं, भले उनकी मां मुस्लिम रही हो। उनकी पहली शादी एक मुस्लिम महिला से हुई है, जिनसे उनका तलाक हो चुका है। पहली शादी के बारे में उन्होंने बताया कि वह स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत अदालत में हुई थी। गौरतलब हो कि अदालत में हुई शादी में किसी प्रकार का धार्मिक कर्मकांड नहीं होता, इसलिए दोनों का एक धर्म का होना जरूरी नहीं है।

स्पेशल मैरेज एक्ट से हुई शादी की बात कर समीर वानखेड़े यह साबित करना चाह रहे थे कि उनकी शादी मुस्लिम तरीके या हिन्दू तरीके से नहीं हुई। मतलब उनकी पत्नी मुस्लिम बनी रही और वे हिन्दू बने रहे। लेकिन नवाब मलिक ने एक और बड़ा धमाका कर डाला। उन्होंने उनका निकाहनामा सार्वजनिक कर डाला, जिसमें उनका नाम समीर दाउद वानखेड़े और उनके पिता का नाम दाउद वानखेड़े है। उस निकाहनामे में उनके मुस्लिम बहनाई का गवाह की हैसियत से दस्तखत है। निकाह कराने वाले काजी भी सामने आ चुके हैं और वे कह रहे हैं कि समीर दाउद वानखेड़े का निकाह उन्होंने ही कराया और उस निकाहनामे पर उन्हीं का दस्तखत है। वे यह भी कह रहे हैं कि समीर ही नहीं, बल्कि उनका पूरा परिवारय ही मुस्लिम था। उनके अनुसार यदि समीर हिन्दू होते तो यह निकाह वे करवाते ही नहीं, क्योंकि शरिया के विरुद्ध होता। गौरतलब हो कि शरिया किसी गैर मुस्लिम से किसी मुस्लिम की शादी कराने की इजाजत नहीं देता।

यानी 7 दिसंबर, 2006 को अपने निकाह के दिन समीर वानखेड़े के मुस्लिम होने का अकाट्य सबूत मौजूद है, बर्थ सर्टिफिकेट के अनुसार तो वे पैदाइशी मुसलमान ही थे। उधर समीर की दूसरी बीवी कह रही है कि पहली बीवी से निकाह औपचारिकता मात्र थी, क्योंकि उनकी मुस्लिम मां वैसा चाहती थी और अपनी मुस्लिम मां को खुश करने के लिए वह निकाह भी कर लिया। हो सकता है, यह सच हो, लेकिन इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता है कि मुस्लिम समीर ही निकाह कर सकते थे, हिन्दू समीर नहीं, जैसा कि काजी का कहना है। हिन्दू की तरह मुस्लिम बहुत खुला धर्म नहीं है, जिसमें जिस रीति रिवाज से चाहो, शाही कर लो। इस्लाम में सबकुछ निर्धारित है और उसी के अनुसार ही वहां काजी शादी करवाते हैं, जो गैरइस्लामी हो, उसे वे नहीं कराते।

बर्थ सर्टिफिकेट और निकाहनामे की बीच जाति सर्टिफिकेट का मामला सामने आ गया है। यदि जाति सर्टिफिकेट का मामला नहीं होता, तो समीर वानखेड़े अपने को हिन्दू कहते या मुस्लिम या एक साथ दोनों कहते, इससे किसी को फर्क नहीं पड़ता। भारत का संविधान आस्था की आजादी देता है। यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह किसी तरह की आस्था रखता है। लेकिन अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट उसी को मिल सकता है, जो दलित परिवार में पैदा हुआ हो और दलित होने के साथ साथ वह हिन्दू, बौद्ध और सिख में से किसी एक धर्म का हो। यदि कोई दलित मुस्लिम या ईसाई बन गया है, तो उसकी जाति तो नहीं बदलती, लेकिन उसका एससी स्टैटस समाप्त हो जाता है। वह अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट नहीं बनवा सकता और उसकी सुविधा नहीं उठा सकता। लेकिन समीर ने एससी कोटे से ही सरकारी नौकरी पाई है, इसलिए वे एक साथ हिन्दू और मुस्लिम दोनों होने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं। यदि वे मुस्लिम हैं, तो वे एससी का फायदा नहीं ले सकते।

अब तक जो बातें सामने आई हैं, उनसे स्पष्ट है कि समीर दाउद वानखेड़े मुस्लिम परिवार में पैदा हुए। फिर उन्होंने अपनी मुस्लिम पहचान को छिपाकर अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट बनवा लिया। उसका फायदा उठाया और फिर शादी मुस्लिम तरीके से की। उस शादी के करीब डेढ़ साल बाद वे एससी सर्टिफिकेट के बूते ही भारतीय राजस्व सेवा का हिस्सा हो गए। यानी स्पष्ट है कि उनका एससी सर्टिफिकेट सिर्फ नौकरी पाने के लिए था और उन्होने फर्जीवाड़े से यह नौकरी हासिल की। (संवाद)