और इन सब मामलों पर शाहरुख परिवार चुप है। शाहरुख की मैनेजर पूजा ददलानी का नाम भी इस मामले में सामने आ चुका है। उन पर 50 लाख की रिश्वत या फिरौती किसी डिसूजा को देने का आरोप है। कानूनन रिश्वत देना भी अपराध है। इसलिए जब इस राशि के देने और फिर वापस लेने की जांच होगी, तो पूजा ददलानी और फिर शाहरुख खान भी जांच के घेरे में आ जाएंगे। बसावी, डिसूजा और साइल के अलग अलग बयानों से यह स्पष्ट हुआ है कि आर्यन खान को समीर वानखेड़े की टीम द्वारा अपनी कस्टडी में ले लिए जाने के बाद पूजा ददलानी की डिसूजा और बसावी की मुलाकात हुई थी। लेन देन की बात भी हुई थी। 50 लाख रुपये भी दिए गए थे, लेकिन उसके बाद भी आर्यन की गिरफ्तारी हो गई और बकौल डिसूजा, उसने लिए गए 50 लाख रुपये पूजा ददलानी को वापस कर दिए।

अब सच क्या है, यह तो तभी पता चलेगा, जब पूजा ददलानी अपना मुंह खोलेगी। फिलहाल नवाब मलिक ने इस पूरे घटना को एक नया मोड़ दे दिया है। उनके अनुसार आर्यन खान की गिरफ्तारी नहीं हुई थी, बल्कि अपहरण हुआ था और शाहरुख खान से उनके बेटे को छोड़ने के लिए रिश्वत नहीं मांगी गई थी, बल्कि फिरौती मांगी गई थी और फिरौती के रूप में यदि उन्होंने 50 लाख रुपये दे भी दिए तो कोई गुनाह नहीं किया, क्योंकि अपहृत पुत्र का पिता भयभीत होकर इस तरह की फिरौती दे देता है और फिरौती देने से उस पर कानून तोड़ने या अपराध करने का आरोप नहीं लगता। हां, किसी सरकारी अधिकारी को रिश्वत देकर उससे गलत काम करवाना अपराध है। यदि शाहरुख का बेटा कोई अपराध करते हुए पुलिस के हाथों धरा गया हो और उसे गिरफ्तारी और मुकदमे से बचाने के लिए वे रिश्वत दे रहे हों, तो निश्चय ही उनपर भी मुकदमा चलेगा, लेकिन फिरौती देने वाले पर मुकदमा नहीं चलता।

आर्यन खान को जिस तरह से हिरासत में लिया गया और फिर गिरफ्तार किया गया, वह निश्चय ही गलत था। यदि एनसीबी की बात मानें, तो उसे सूचना मिली थी कि एक क्रूज पर ड्रग पार्टी होने वाली है। इसलिए उस पर छापा मारा गया, लेकिन यहां अहम बात यह है कि आर्यन खान की गिरफ्तारी क्रूज पर से हुई ही नहीं। वे क्रूज पर पहुंचने वाले थे, लेकिन वहां पहुंचे ही नहीं थे। उन्हें क्रूज के प्रवेश द्वार के बाहर ही गिरफ्तार कर लिया गया। और भी अनेक लोग प्रवेश द्वार से प्रवेश कर रहे होंगे, क्योंकि क्रूज पर 1800 से भी ज्यादा लोग थे। लेकिन आर्यन को ही पकड़ा गया, इसका मतलब है कि एनसीबी के लोग वहां आर्यन को पकड़ने गए थे, क्रूज पार्टी तो बहाना या कहिए एक ट्रैप थी। आर्यन को पकड़ने के बाद तलाशी ली गई। तलाशी में कोई ड्रग नहीं मिला।

तो फिर गिरफ्तारी क्यों हुई, इसका कोई वाजिब जवाब किसी के पास नहीं। ड्रग के इस्तेमाल या व्यापार से आर्यन के जुड़े होने की कोई हिस्ट्री सीट भी एनसीबी के पास नहीं है, जिससे वह कह सके कि आर्यन ड्रग के मामले में पहले भी पकड़े गए थे, इसलिए उन्हें फिर दबोचा गया। ड्रग लिया हुआ व्यक्ति कुछ असामान्य व्यवहार करता है और एनसीबी के लोगों को तो इतना पता ही होता है कि वह नशेड़ियों की पहचान कर लें, लेकिन उस समय आर्यन ने नशा भी नहीं किया हुआ था। हिरासत में लिए जाने के बाद आर्यन ने ड्रग लेने के बारे में क्या कुछ बताया, वह बाद की बात है। उसके मोबाइल फोन पर चैट देखकर एनसीबी को क्या पता चला, यह भी बाद की बात है। असली सवाल है कि उसे गिरफ्तार क्यों किया गया और शेष करीब 1800 लोगों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया, क्योंकि जब बिना किसी आधार के आर्यन को गिरफ्तार किया गया, तो उसी तरह अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया जा सकता था। क्या पता, उनमें से अनेक के मोबाइल चैट से अन्य अनेक तरह के अपराध सामने आ जाते।

जाहिर है, आर्यन खान को पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया था, लेकिन उसे जाल में पहुंचने ही नहीं दिया, बल्कि उसके पहले ही हिरासत में ले लिया गया। जाल बिछाकर हिरासत में लेने वालों से यहां चूक हो गई। यदि पार्टी होने दी जाती। आर्यन को वहां पहुंचने दिया जाता। ड्रग का सेवन करने दिया जाता। तब शायद उनके पास से भी कुछ ड्रग मिलते, तब तो एनसीबी का केस मजबूत हो जाता, लेकिन समय से पहले ही हिरासत में ले लिए जाने के कारण एनसीबी की टीम के इरादे जाहिर हो गए हैं। और इसके कारण ही हिरासत में लिए जाने की वह घटना अपहरण की घटना में तब्दील होती दिख रही है।

फिलहाल, अभी पिक्चर बाकी है। सुपरस्टार का प्रवेश इस मामले में अभी बाकी है। क्लाइमेक्स या अंटीक्लाइमेक्स का आना अभी बाकी है। नवाब मलिक ने एनसीबी और उसके नायक समीर वानखेड़े के खिलाफ मोर्चा संभाल रखा है और वानखेड़े की फर्जी जाति सर्टिफिकेट मामले में नौकरी जाना लगभग तय है, लेकिन अब 50 लाख की रिश्वत या फिरौती देने के मामले में सुपरस्टार शाहरुख खान का क्या होगा, यह देखना बाकी है। (संवाद)