खेल मंत्रालय ने उक्त पत्र अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक परिषद की सिफारिशों के अनुपालन में भेजा है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ की गोष्ठी फरवरी 2008 में आयोजित की गई थी जिसका विषय ओलंपिक और खेल गतिविधियों के संदर्भ में सुशासन एवं बुनियादी सार्वभौम सिद्धांत था। इन सिफारिशों का अनुमोदन अक्टूबर 2009 में आयोजित होने वाली 13वीं ओलंपिक कांग्रेस में किया गया था। प्रमुख सिफारिशों का ब्योरा नीचे दिया जा रहा है:‑

· खेल निकायों का चुनाव स्वच्छ, पारदर्शी और न्यायसंगत होने चाहिए (हमारे दृष्टिकोण से इसके लिए एक सही मतदान सूची होनी चाहिए और लोगों को इसके बारे में पहले ही जानकारी दे देनी चाहिए, चुनाव पर्यवेक्षक की नियुक्ति की जानी चाहिए और गुप्त मतदान होना चाहिए)।

· ऐसी समुचित नियमावली होनी चाहिए जो हितों के टकराव को अस्तित्व में नहीं आने दे।

· कार्यकाल एक सीमित समय का होना चाहिए ताकि पदाधिकारियों का चयन नियमित रूप से होता रहे और नए उम्मीदवारों के लिए रास्ता खुल सके।

· स्वायत्तता कायम रखने के लिए सरकार से सहयोग, समन्वय और सलाह मश्वरा किया जाता रहना चाहिए।

सरकार ने भारतीय ओलंपिक संघ से यह भी कहा है कि वह कार्यकारी परिषद और आम सभा के सदस्यों को उक्त पत्र से अवगत कराए क्योंकि चर्चा और निर्णय करते समय न्यायालय के आदेश, संसद के निर्देशों और आम जनता की आकांक्षाओं को मद्देनजर रखा जा सके ताकि देश 21वीं सदी में खेल के मैदान में अग्रणी भूमिका निभाने में सफल हो।