जनगणना के कर्मचसरियों को अनेक घरों में जाति के कॉलम के बारे में पूछा जाता है, जिसके बारेे में वे सही जवाइ नहीं दे पाते हैं। गौरतलब है कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने संसद का स़त्र खत्म होने के बाद कहा था कि इस बार जनगणना में जाति की भी गणना की जाएगी।

लेकिन जिस फॉर्म को लेकर गणक घूम रहे हैं, उसमें जाति का कोई कॉलम ही नहीं है। उसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वे अन्य नाम से तीन कॉलम है। यानी आप या तो अनुसूचित जाति के हैं, या अनुसूचित जनजाति के हैं और इन दोनों में से कोई नहीं है, तो फिर आपको अन्य में शामिल कर दिया जाएगा।

जाति क्या इसमें पिछड़े वर्ग का भी उल्लेख करने के लिए कोई कॉलम नहीं बना है। सबकुछ पिछले साल जैसा ही है। इसके कारण बहुत लोगों को संदेह हो रहा है कि जाति जनगणना की घोषणा महज धोषणा है, जिसे अमल में नहीं लाया जा रहा है।

जाति का कॉलम न होने से अनेक लोग इसलिए भी आपत्ति कर रहे हैं, क्योकि मद्रास उ़च्च न्यायालय ने भी केन्द्र सरकार को जाति जनगणना का ओदेश दे रखा है। यदि जाति जनगणना नहीं होती है, तो यह अदालत की भी अवमानना मानी जाएगी। इसलिए बहुत लोगों को इस बात को लेकर आश्चर्य हो रहा है कि सरकार चाहे तो अपने किसी मंत्री की सार्वजनिक बयानबाजी को न माने, लेकिन वह अदालत की बात को मानने से कैसे इनकार कर देगी।

जनगणना के काम में लगे लोग प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक हैं। उन्हेे जाति जनगणना के बारे में अधिकारियो ने कुछ बताया ही नहीं है। उन्हें तो पूछ पूछ कर फार्म के कॉलम को भरने के लिए कहा गया है। इससे ज्यादा कुछ भी बता पाने में असमर्थता व्यक्त कर रहे हैं।

जनगणना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाद को बताया कि जनगणना का यह फार्म पहले ही छप गया था और अदालत का निर्णय बाद में आया है। केन्द्र सरकार ने भी औपचारिक रूप से इस पर कोई निर्णय नहीं किया है। यही कारण है कि जनगणना का काम पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है।

तो क्या फिर जाति जनगणना क्या अंततः नहीं हो पाएगी? यह सवाल पुछने पर अघिकारी ने कहा कि जनगणना का काम दो दौर में हाता है। अभी शुरुआती दौर है। इसमें घरों की गणना होती है। फिर इसमें प्राप्त आंकड़े को आधार बनाकर जनगणना का व्यापक कार्य अगले साल फरवरी महीने में ही होगा।

जाहिर है केन्द्र सरकार ने यदि निर्णय किया तो अगले साल फरवरी में होने वाली व्यापक जनगणना के लिए फार्म में जाति का कॉलम बना दिया जाएगा और इस तरह जाति की भी गणना हो जाएगी। पर फिलहाल पहले चरण की जनगणना में ं सिर्फ अनुसूवित जाति और अनुसूचित जनजातियों की संख्या का ही रिकार्ड तैयार किया जा रहा है। (संवाद)