राज्य सरकारों को इनके द्वारा चिन्हित किये गये जलाशयों की मरम्मत, पुनरूद्धार तथा पुन:स्थापना के लिए इस संदर्भ में जल संसाधन विकास मंत्रालय द्वारी जारी दिशानिर्देशों के अनुसार विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने की आवश्यकता होगी। घरेलू सहायता के तहत विशेष श्रेणी के राज्यों, ओड़िशा के अविभाजित कोरापुट, बोलांगीर तथा कालाहांडी जिले तथा अन्य राज्यों के सूखा संभावित/नक्सल प्रभावित/ जनजातीय क्षेत्र केंद्रीय सहायता में 90 प्रतिशत सहायता के पात्र हांेगे। अन्य परियोजनाएं उनकी कुल लागत की 25 प्रतिशत केंद्रीय सहायता पाने की पात्र होंगी। विदेशी सहायता वाली योजनाओं के तहत परियोजना की कुल लागत का 25 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करेगी तथा राज्य के हिस्से का 75 प्रतिशत संबंधित राज्य विश्व बैंक से ऋण के तौर पर लेेंगे।

योजना के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं :-

· पुन:स्थापन सहित जलाशयों का व्यापक सुधार।

· कार्यक्रम में शामिल किये गये जलाशयों के लिए सतत प्रबंधन के लिए स्वयं सहायता प्रणाली तथा सामुदायिक भागीदारी।

· जलाशयों के जल ग्रहण क्षेत्र में सुधार।

· भूजल का पुन:भरण।

· जलाशयों की क्षमता में वृद्धि।

· कृषि/ बागवानी उत्पादकता में वृद्धि।

· उन्नत जल उपयोग क्षमता के ज़रिए पर्यावरणीय लाभ।

· जलाशयों की पुन:स्थापना के ज़रिए सिंचाई लाभ।

· सतही तथा भूजल के उचित उपयोग को बढ़ावा देना।

· पर्यटन तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का विकास।

· पेयजल की बढ़ी हुई उपलब्धता।

परियोजना के प्रत्येक चरण पर नियमित निगरानी रखी जाएगी। निगरानी में भौतिकीय तथा वित्ताीय प्रगति के अनुरक्षण तथा परिणाम शामिल होंगे। निगरानी उचित स्तर पर पंचायतों की स्थाई समिति के साथ मिलकर की जाएगी। जल उपयोगकर्ता एसोसिएशन (डब्ल्यूयूए) जलाशय प्रणाली की योजना, कार्यान्वयन, पर्यवेक्षण एवं अनुरक्षण तथा अन्य आवश्यक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाएंगी।