मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) का अनुच्छेद 25 कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति को कपड़ा, पोषण और चिकित्सा सेवा के उपभोग के साथ संतोषजनक जीवन स्तर के जीवन का अधिकार है। आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञा पत्र (सीईएससीआर) का अनुच्छेद मानता है कि जीवन स्तर में सतत् सुधार पर फोकस के साथ सभी के लिए समुचित आवास का अधिकार है। सभी प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों के सदस्यों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के अनुच्छेद 43वें में प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों के लिए आवास के अधिकार की चर्चा की गई है।

बड़े शहरों में बड़े पैमाने पर प्रवास नया नहीं है। यह एक वैश्विक परिदृश्य है और इसके अपने कारण और परिणाम हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण कृषि क्षेत्र पर फैले हुए संकट से है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। लोगों को बड़ी संख्या में रोटी, कपड़ा और मकान की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसलिए ना केवल हर किसी बड़े शहर के बाहरी हिस्सों में नए मोहल्ले अस्तित्व में आते हैं बल्कि झुग्गी-झोपड़ी बस्तियां वहां बसती है जहां अति शोषितों को रहने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। उनका जीवित रहने का संघर्ष कडुवाहट भरा होता हैं। वे सभी तरह की कठिनाइयों का सामना करते हैं, फिर भी वे शहरी जीवन और भारतीय सच्चाई का अभिन्न अंग बन गए हैं। सरकार के 2011 के जनसंख्या के आंकड़े बताते हैं कि भारत में 6.5 करोड़ लोग लगभग 10,800 झुग्गी-बस्तियों में रह रहे हैं। यह सभी की जानकारी में है कि वास्तविक संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा है।

समय के साथ यहां तक कि ये प्रवासी आबादी शहर के समृद्ध लोगों की जिंदगी के आराम से रहने के लिए अपरिहार्य अनिवार्यता बन जाती है। सभी तरह के मेहनत वाले काम इन बस्तियों में रहने वाले लोग अमीरों और कुलीनों के घरों में करते हैं। वे शहरी जीवन के लिए ड्राइवर, धोबी, फेरीवाले, घरेलू वर्कर, प्लम्बर, सिक्योरिटी गार्ड, माली, धोबी, कचरा बीनने वाले आदि हैं। कोई भी शहर इस तरह के कामों में लगे लोगों के जो कि हमारे श्रमतंत्र का एक बड़ा हिस्सा है, के बगैर टिकने की कल्पना नहीं कर सकता। कुछ खास मौकों पर शासक उनके कामों की सराहना खोखले विशेषणों से करते है। चुनावों के दौरान बड़े-बड़े नेता उनके पास वोटों के लिए जाते हैं और अगले दिन उन्हें भूल जाते हैं। उन्हीं के घरों के लिए ये बुलडोजर भेजे जा रहे हैं।

प्रशासन और भाजपा नेता अनाधिकृत निर्माण की बात करते हैं। इस तर्क के साथ वे अपनी बुलडोजर राजनीति को सही ठहरने की कोशिश करते हैं उन्हें इस बात की पूरी जानकारी है कि बड़े पैमाने पर अनाधिकृत निर्माण उन इलाकों में हो रहा है जहां शहरी अमीरों का घनत्व है। उनके मॉल, दुकानें, घर, थियेटर आदि वे जब चाहते हैं तब निर्मित होते हैं या उनके भवनों का फैलाव होता है। क्या सरकार यह कह सकती है कि ये जितना भी बड़ा निर्माण हो रहा है वह पूरे नियमों और कानूनों के हिसाब से हो रहा है? बुलडोजर राजनीति शासक वर्गों द्वारा अपनाएं गए दोगले मानकों का एक अन्य उदाहरण हैं। उनके अपने कानूनों के अलग-अलग मानक हैं जब वे अमीरों और गरीबों पर लागू किए जाते हैं। यहां तक कि तथाकथित अवैध निर्माण पर कार्रवाई के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय ने समय पर नोटिस देने एवं पुनर्वास जैसी बेदखली के मामले में पुनर्वास कार्य अपरिहार्य हैं।

भाजपा शासकों का मानव अधिकारों और जनतांत्रिक मूल्यों से सरोकार अर्थहीन है। वे किसी भी मामले को राजनीतिक बदले की भावना से लेते है। सांप्रदायिक असहिष्णुता उनका मार्गदर्शन करती है। वे अपनी तोड़-फोड़ के उन्माद में आस्था और भगवान को खींच लाते हैं। भले ही बुलडोजर राजनीति, गरीबों के चाहे वे किसी भी धर्म से हो, उनके आवास और आजीविका पर मार करती है पर आरएसएस और भाजपा इसे हिन्दू-मुसलमान के मुद्दे से रंगने की कोशिश करते हैं। सांप्रदायिक दंगे की कोशिश में उनके उपद्रवी अफवाहों और मनगढंत कहानियों का प्रचार कर रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी जो कि सभी तरह से असफल हुई है वह निराशा में लोगों के बांटने की कोशिश कर रही है, राष्ट्र पर किए अपने अपराधों को छिपाने के लिए। 2024 का चुनाव उनका लक्ष्य है। इसके लिए वे अपने धार्मिक अतिवादियों को अपने लड़ाके दस्ते के रूप में साधने की कोशिश कर रहे हैं। हालिया तोड़-फोड़ का एक विश्लेषण इस तथ्य को रेखांकित करता है। सरकार को गरीबों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बदले की भावना की राजनीति से बचना चाहिए। इस तरह के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय सरकार को दिए गए इस संदर्भ पर ध्यान देना चाहिए कि ‘‘जब तक पुनर्वास की अपील पर फैसला नहीं हो जाता तब तक उन निवासियों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न करने के द्वारा, मानवोचित ढंग से काम करे, जैसाकि एक ‘मॉडल सरकार’’ से आशा की जाती है’’। (संवाद)