मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने भी विधानसभा सत्र की कम होती अवधि को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि विधान सभा चलने की टाइमिंग फिक्स होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले शिमला और गुवाहाटी में स्पीकर्स के सम्मेलन हुए। इन सम्मेलनों में देश भर की विधान सभाओं के स्पीकर एक प्रस्ताव पर सहमत हुए हैं कि विधान सभाओं के संचालन का समय तय हो।

इस बार भी समय से पहले मध्यप्रदेश विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने और कार्यवाही के दरम्यान होने वाले हंगामों के लिए पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने इस सत्र को लेकर कहा कि जब भी विपक्ष गंभीर मुद्दों पर चर्चा करना चाहता है, सरकार उससे भागती है। सरकार विपक्ष की आवाज दबाती है। सदन में सत्ता पक्ष अपने साथियों से हल्ला करवा कर बात समाप्त करवा देता है। जिन सवालों से सरकार के घोटाले उजागर हो सकते हैं, उनका जवाब नहीं देते। ऐसे सवालों के जवाब में ‘‘जानकारी एकत्र की जा रही है’’ जैसे जवाब आते हैं। जबकि सत्ता पक्ष की ओर से चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने चर्चा में कहा कि विपक्ष सड़क पर चर्चा और सदन में हंगामा कर रहा है। वे सदन में चर्चा नहीं चाहते। हंगामे के बीच मध्यप्रदेश विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो जाने से पोषण आहार पर कैग की रिपोर्ट, महिलाओं एवं आदिवासियों पर अत्याचार और बारिश से फसलों के नुकसान जैसे मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पाई।

मध्यप्रदेश विधान सभा के मानूसन सत्र शुरू होने से महज 10 दिन पहले पोषण आहार वितरण पर सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की आई एक रिपोर्ट ने प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। इस रिपोर्ट के आते ही विपक्ष ने सड़क से लेकर सदन तक सरकार को घेरने की रणनीति बना ली। ऐसे में मानूसन सत्र के हंगामेदार होने की संभावना पहले से ही थी। मध्यप्रदेश में टेक होम राशन और मुफ्त भोजन योजना को लेकर सीएजी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि उसने 8 जिलों में सैंपल जांच में पाया है कि वर्ष 2018-21 के दौरान 8 जिलों की 48 आंगनबाड़ियों में रजिस्टर्ड बच्चों से ज्यादा को 110.83 करोड़ रुपए का राशन कागजों में बांट दिया गया। इन जिलों में करीब 97 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार स्टॉक में बताया था, जबकि करीब 87 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार बांटना बताया यानी करीब 10 हजार मीट्रिक टन आहार गायब था।

इस सत्र के लिए विपक्ष के पास यह सबसे बड़ा मुद्दा था। विपक्ष इस पर स्थगन प्रस्ताव स्वीकृत कराकर चर्चा कराना चाहता था। लेकिन उसके प्रस्ताव स्वीकार नहीं हुआ और सरकार को इस मसले पर जवाब देने की अनुमति मिल गई। इस पर सदन के नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने वक्तव्य में कहा कि पोषण आहार पर सीएजी की रिपोर्ट अंतरिम रिपोर्ट है, अंतिम रिपोर्ट नहीं और यदि इसमें गड़बड़ियां पाई गई, तो दोषी अधिकारियों को सजा जरूर मिलेगी। स्थगन स्वीकार नहीं होने और पहले मुख्यमंत्री के वक्तव्य होने से नेता प्रतिपक्ष ने अपना विरोध जताया।

इस बार कई ऐसे मुद्दे थे, जिसको लेकर विपक्ष सदन में सरकार से जवाब चाहता था। सत्र के पहले दिन कांग्रेसी विधायक लहसून की बोरी लेकर विधान सभा पहुंचे। उन्होंने कहा कि लहसून उत्पादन करने वाले किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है और किसान लहसून को सड़कों पर फेंक रहे हैं। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार उन्हें मुआवजा नहीं दे रही है। कांग्रेसी विधायकों ने प्रदर्शन करते हुए विधान सभा के गेट पर लहसून को बिखेर दिया। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में लहसून उत्पादक किसानों को 5 रुपए किलो का भी भाव नहीं मिल रहा है। सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस के विधायक हाथ में तख्तियां लेकर विधान सभा में पहुंच गए। बालिकाओं के साथ बलत्कार एवं अत्याचार और पोषण आहार घोटाले को लेकर उनके हाथों में तख्तियां थीं। तख्तियां लेकर विधान सभा के भीतर जाने से रोकने के दौरान सुरक्षाकर्मियों से विवाद हो गया। कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेड़ा ने सदन के भीतर कहा कि पुलिसकर्मियों ने उनका हाथ मरोड़ा, जमीन पर पटका और पजामा फाड़ दिया। इसके बाद सदन में भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा के साथ उनकी बहस हो गई। दोनों एक-दूसरे पर कॉलर पकड़ने का आरोप लगाए। यद्यपि विधान सभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सदन में तीसरे दिन कहा कि गेट पर तख्तियां लाने वाले वाले सदस्यों को सुरक्षार्मियों ने तख्तियों को अंदर ले जाने से मना किया था। जांच में प्रथम दृष्टया पाया गया है कि सदस्यों के साथ धक्का-मुक्की एवं कपड़े फाड़ने जैसी स्थिति नहीं हुई थी।

लेकिन इस मामले ने तूल पकड़ लिया और तीसरे दिन भाजपा एवं कांग्रेस दोनों के विधायकों ने सदन में हंगामा किया। कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेड़ा ने भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा पर मारपीट का आरोप लगाते हुए सदन में आसंदी का घेराव किया। कई विधायकों ने भी उनका साथ दिया। भाजपा की ओर से भी विधायक नारेबाजी करते रहे। इस बीच सदन अनुपूरक बजट एवं अन्य विधेयकों को पारित कराने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इन हंगामों के कारण न तो मुद्दों पर चर्चा हो पाई और न ही अनुपूरक बजट एवं विधेयकों पर। दूसरी ओर समय से पहले सत्रावसान के लिए पक्ष एवं विपक्ष एक-दूसरे को जिम्मेदरा ठहरा रहे हैं। (संवाद)