डीजल इलेक्ट्रिक इंजन के निर्माण के लिए अमेरिका की अमेरिकन लोकोमोटिव कंपनी के साथ प्रौद्योगिकी साझेदारी में सन् 1961 में इस संयंत्र की स्थापना हुई थी। डीएलडब्ल्यू ने तब से अबतक 4500 इंजनों का निर्माण किया है। प्रति वर्ष 150 इंजन तैयार करने की क्षमता के साथ डीजल लोकोमोटिव वक्र्स दुनिया में उत्तर अमेरिका के बाद सबसे बड़ा डीजल लोकोमोटिव विनिर्माता है।
सन् 1995 में भारतीय रेलवे ने डीजल लोकोमोटिव वक्र्स में 400 एचपी माइक्रोप्रोसेसर नियंत्रित, र्इंधन कार्यकुशल मालवाहक एवं यात्री इंजनों के निर्माण के वास्ते प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए अमेरिका के जनरल मोटर्स के साथ करार किया था। डीजल लोकोमोटिव वक्र्स में 4000 एचपी डब्ल्यूडीजी4 श्रेणी हैवी डयूटी मालवाहक इंजनों के श्रृंखलाबद्ध निर्माण एवं 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति वाले डब्ल्यूडीपी4 श्रेणी हाईस्पीड यात्री इंजनों का उत्पादन पहले ही शुरू हो गया है।
भारतीय रेलवे की आवश्यकताएं पूरा करने के अलावा डीएलडब्ल्यू बंदरगाह ट्रस्ट, इस्पात संयंत्रों और विद्युत उत्पादन संयंत्रों, उर्वरक संयंत्रों जैसे गैर रेलवे ग्राहकों को भी इंजनों की आपूर्ति करता रहा है। डीएलडब्ल्यू में निर्मित इंजन तंजानिया, वियतनाम, बंगलादेश, श्रीलंका, म्यांमा, और मलेशिया को भी सफलतापूर्वक निर्यात किये जाते हैं और इस प्रकार यह संयंत्र विविध प्रकार के ग्राहकों की जरूरतें पूरा कर रहा है।
2000 से अधिक उपकरण डीएलडब्ल्यू के संयंत्र में तैयार किए जाते हैं। इनमें एल्को टर्बो सुपरचार्जेज, स्नेहक ऑयल पंप, वाटर पंप, कैमशैपऊट, सिलिंडर हेड, क्रोम प्लेटेड सिलिंडर लाइनर, कनेकिं्टग छड़, तथा विविध प्रकार के गियर शामिल हैं। इसकी सुविधा संपन्न मशीन शॉप में टर्निंग, मिलिंग, गीयर हॉबिंग, ड्रिलिंग, और प्लानिंग जैसे कार्य होते हैं । डीएलडब्ल्यू में गुणवत्ता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए विविध प्रकार की विशेष उद्देश्य मशीनें और अत्याधुनिक सीएनसी मशीनें हैं। गर्मशोधन और इंडक्शन हार्डनिंग जैसी सभी संबंधित प्रक्रियाएं इस संयंत्र के अंदर ही होती हैं। सिलिंडर लाइनर के लिए पऊयूम एक्सट्रैक्शन सिस्टम तथा अन्य आधुनिक सुविधाओं से लैस पूर्णतया नयी क्रोम प्लेटिंग शॉप यहां स्थापित है।
डीएलडब्ल्यू 2.5 मेगावाट क्षमता वाले विविध प्रकार के डीजल जेनरेटिंग सेट (डीजी) का निर्माण कर रहा है। परमाणु विद्युत संयंत्र समेत विभिन्न ग्राहकों को 40 से अधिक डीजी की आपूर्ति की गयी है। डीएलडब्ल्यू भारतीय रेलवे में गुणवत्तापूर्ण एवं पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली की स्थापना में अग्रणी रहा है और वह आईएसओ 9001 2000 तथा आईएसओ 140011996 मानकों से प्रमाणित हो चुका है। अब इसने 2 से 2.5 मेगावाट के उच्च क्षमता वाले विभिन्न प्रकार के डीजी सेट बनाने शुरू कर दिए हैं। इन डीजी सेटों में माइक्रो प्रोसेसर नियंत्रित गवर्नर, टर्बाइन मोटर एयर स्टार्टर, सोलिड सेट प्रोटेक्शन रिले आदि की सुविधाएं हैं। ये सेट बिजली की आपूर्ति कट जाने के 10 सेंकेंड में अपने आप शुरू हो सकते हैं और इस समय में तीन प्रतिशत का उतार चढा़व शामिल है। वोल्टेड में 15 प्रतिशत की कमी आती है। इनमें अत्याधुनिक अल्टरनेटर भी लगे हुए हैं। डीएलडब्ल्यू ने भारतीय परमाणु विद्युत निगम को 12 डीजी सेट प्रदान किए हैं जिनमें माइक्रोप्रोसर नियंत्रण वाली गड़बड़ी जांच प्रणाली लगी हुई है।
डीएलडब्लयू की विनिर्माण गतिविधियों को दो प्रमुख खंडों- इंजन खंड और वाहन खंड में बांटा गया है। मशीन रखरखाव खंड तथा उपकरण खंड सीधे विनिमार्ण खंडों को सहयोग करते हैं। डिजायन एवं विकास विंग, प्रयोगशालाएं, उत्पादन नियोजन विंग तथा पदार्थ रखरखाव विंग की अवसंरचना इसे आत्मनिर्भर भारी इंजीनियरिंग संयंत्र बनाती है। इसमें सुव्यवस्थित सुविधाएं हैं जिनसे पदार्थ आसानी से इधर उधर पहुंचाये जाते हैं तथा विनिर्माण के एक चरण से दूसरे चरण तक संग्रहण एवं उपसंग्रहण का कार्य आसानी से होता है। इंजन एवं वाहन विनिर्माण के लिए पृथक क्षेत्र तय किया गया है।
वृहद विशेष उद्देश्य मशीनों का इस्तेमाल मशीनिंग कास्ट एवं फ्रैब्रिाकेटेड बोगी फ्रेम के लिए किया जाता है। उसी कार्य क्षेत्र में अत्याधुनिक सीएनसी मशीनों पर धुरा एवं पहिया डिस्क कार्य होता है। पहिया डिस्क संबंधी के आतंरिक व्यास को धूरी की बाहरी व्यास के आधार पर तय किया जाता है। बोगी फ्रेम, पहिया, धूरी, ब्रोक रिगिंग और ट्रैक्शन मोटर्स समेत पूर्ण बोगी को लोकोमोटिव संग्रहण के लिए भेजने से पहले इकट्ठा किया जाता है। ड्राइवर कैब, इंजन हुड तथा इलेक्ट्रिकल उपकरणों लिए कंपार्टमेंट समेत सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण के लिए धातु की चादर की सटीक कटिंग की जाती है और उसे उपयुक्त बनाया जाता है।
डीएलडब्ल्यू की स्थापना के समय से ही गुणवत्ता एक महत्वपूर्ण तत्व रहा है। आधुनिक उपकरण एवं मशीनों से कर्मचारियों को उच्च स्तर की गुणवत्ता कायम रखने में मदद मिलती है। आईएसओ 9002 प्रमाणन योजना के तहत उसके सभी जिग, फिक्सर, उपकरण और गेज का सावधानीपूर्वक तैयार योजना के तहत नियमित व्यास मापन होता है। डीएलडब्ल्यू के उच्च मानक को सुनिश्चित करने के लिए सभी उत्पादों की गुणवत्ता की जांच होती है और उन्हें उपयुक्त परीक्षण के बाद प्रमाणित किया जाता है। डीएलडब्ल्यू को उसकी संपूर्ण विनिर्माण गतिविधियों के लिए आईएसओ 9002 प्रमाणपत्र मिलना उसके लिए गौरव की बात है।
भारतीय रेलवे का शक्ति स्तंभ - डीजल लोकोमोटिव वर्क्स
हरीश कंवर - 2010-06-01 09:58
रेल मंत्रालय के अंतर्गत वाराणसी में स्थित निर्माण इकाई डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडब्ल्यू), दुनिया की उन चुनिंदा फैक्ट्रियों में से एक है जिसे सही मायने में समेकित डीजले लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र कहा जा सकता है। संपूर्ण इंजन, अंडरफ्रेम, सुपर स्ट्रक्चर, फ्रैब्राीकेटेड डिब्बे और 2000 से अधिक उपकरण यहां एक छत के नीचे प्लेट, धातु की चादर और पाइप जैसी निर्माण सामग्रियों से तैयार होते हैं। डीएलडब्ल्यू ने 2009-10 के दौरान 258 इंजन तैयार किए जबकि 2002-03 में इसने 112 इंजन ही तैयार किए थे।