मध्यम वर्ग पर ध्यान सत्तारूढ़ भाजपा की राजनीतिक लाइन के लिए भी उपयुक्त है, जो अनिवार्य रूप से खुद को प्रभावशाली मध्य वर्ग के लोगों के साथ खड़ा करती है। शासक वर्ग के लिए यह लाभकारी हो सकता है, संख्या के मामले में नहीं बल्कि प्रभाव के मामले में, परन्तु यह समाज के अधिक कमजोर वर्गों के लिए बहुत हानिकारक है।
भाजपा को यह कहने में भी शोभा देता है कि पिछले कुछ वर्षों में मध्यम वर्ग का आकार बढ़ा है।कोई आश्चर्य नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद से अमीरों और गरीबों के बीच की खाई और चौड़ी हो गयी है।निर्मला सीतारमण ने जोर देकर कहा है कि भाजपा सरकार ने अपने किसी भी बजट में मध्यम वर्ग पर कोई नया कर नहीं लगाया है।मध्यम वर्ग की उम्मीदें ज्यादातर कर में छूट पाने पर केंद्रित होती हैं, खासकर व्यक्तिगत आय पर।
यह तथ्य कि हाल के बजट में करों के दायरे में कोई बदलाव नहीं किया गया है, मध्यम वर्ग के बीच असंतोष का एक आधार रहा है, जो मानक कटौती की सीमाको वर्तमान 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने के लिए उत्सुक है।निर्मला सीतारमण के बजट में यह देखने लायक बिंदु है।
एसोचैम सहित अन्य व्यापार निकायों ने सरकार से आयकर छूट की सीमा को कम से कम 5 लाख रुपये तक बढ़ाने का आग्रह किया है ताकि उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक अतिरिक्त आय बची रहे और अर्थव्यवस्था में खपत को बढ़ावा मिले और आगे इसे गति मिले।एसोचैम ने आगे मांग की है कि विनिर्माण में नये निवेश के लिए 15 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर की दर सेवाओं सहित सभी क्षेत्रों में लागू की जाये।
नये बजट में हमेशा की तरह रोजगार को लेकर बड़े-बड़े दावे किये जाने की संभावना है, लेकिन इस मोर्चे पर सरकार का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा है।सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में बेरोजगारी दर बढ़कर 8.3 प्रतिशत हो गयी, जो पिछले 16 महीनों में सबसे अधिक है, जो पिछले महीने में 8 प्रतिशत थी।आंकड़ों से पता चलता है कि शहरी बेरोजगारी दर दिसंबर में बढ़कर 10.09 प्रतिशत हो गयी, जो पिछले महीने 8.96 प्रतिशत थी, जबकि ग्रामीण बेरोजगारी दर 7.55 प्रतिशत से घटकर 7.44 प्रतिशत हो गयी।इसका मतलब यह है कि सुधार के बारे में सरकार के लंबे-चौड़े दावे कि व्यापार करने में आसानी बढ़ी है तथा विकास के सभी संकेतक मजबूतहैं, का जहां तक रोजगार सृजन का संबंध है, जमीन पर कोई भी अनुरूप वास्तविक प्रभाव नहीं पड़ा।
जैसे-जैसे बजट तैयार किया जा रहा है, वैसे-वैसे दबाव समूहों की तरफ से जोरदार पैरवी चल रही है और ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां नयी पहल की उम्मीद है।डिजिटल लेन-देन पर कर एक उत्सुकता से देखा जाने वाला क्षेत्र है।इस संबंध में, बजट से उम्मीद की जाती है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था में कराधान के मुद्दे से निपटने के लिए 'पिलर 2' समाधान, जो ओईसीडी के समावेशी ढांचे और जी20 का हिस्सा है, की शुरुआत के लिए एक रोड मैप का संकेत दिया जायेगा।पिलर 2 समाधान पर भारत सहित 137 सदस्य देशों ने सहमति व्यक्त की है।
क्रिप्टोकरेंसी एक अन्य क्षेत्र है जिसके बावत बजट पर उत्सुकता से नजर रखी जा रही है।सरकार ने 2022 के बजट में क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार से होने वाली आय पर 30 फीसदी टैक्स लगाया था।2022 में इस क्षेत्र ने संघर्ष किया।पिछले साल वीडीए कर लागू होने के बाद ट्रेडिंग वॉल्यूम 90 प्रतिशत तक गिर गया।इसलिए, इस क्षेत्र को उम्मीद है कि इस साल के बजट में मित्रवत नीतियां होंगी, जिसमें बहुत अधिक कर को युक्तिसंगत बनाना भी शामिल है।
उद्यम पूंजी उद्योग गंभीर संकट से गुजर रहा है क्योंकि पिछले वर्ष की तुलना में फंडिंग में 70 प्रतिशत तक की कमी आयी है।उद्यमी स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सरकार से समर्थन में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं, जहां देश को आने वाले दशकों में लचीला भविष्य के विकास के लिए स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश करने की आवश्यकता है।
इसी तरह ऑटो सेक्टर, खासकर ईवी मैन्युफैक्चरिंग को बजट से बड़ी उम्मीदें हैं।देश में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटो बाजार है और 2022 में इस क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि देखी गयी थी।इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण से लेकर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के नियमों को आसान बनाने और सेमीकंडक्टर मिशन शुरू करने तक, ऑटो सेक्टर ने कई चीजें पहली बार देखी हैं।ईवी उद्योग इन उपलब्धियों को मजबूत करने की मांग कर रहा है और इसलिए चाहता है कि इसके विकास में और बाधाएं दूर हो जायें।(संवाद)
एक और मध्यवर्गीय केंद्रित बजट कमजोर तबकों के लिए कच्चा सौदा होगा
मोदी सरकार के तहत रोजगार सृजन का नुकसान जारी
के रवींद्रन - 2023-01-21 10:40
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का 'कबूलनामा' कि वह मध्यम वर्ग के दबावों को समझती हैं क्योंकि वह खुद उस वर्ग के लोगों से संबंधित हैं और वह उनके कल्याण के लिए काम करना जारी रखेंगी। यह 2024 के आम चुनावों से पहले मोदी सरकार के अंतिम पूर्ण बजट की दिशा का संकेत देती है।इसके अतिरिक्त वित्त मंत्री ने पहले ही संकेत दे दिया है कि वह भाजपा के पिछले बजटों की 'भावना' का पालन करेंगी।