वघा के पार यह एक आम धारणा हैकि पाकिस्तान की "समृद्धि" और "विकास" अल्लाह की जिम्मेदारी है। फिर यह केवल सोचने की बात है कि पाकिस्तान कुल मिलाकर नशा न करने के लिए तथा नशा न करने वालों का देश है।फिर भी, हर कोई इस तर्क को नहीं मानता। इशाक डार के इस तरह के बयान का आम पाकिस्तानी जनमानस में कोई महत्व नहीं है।
इसके विपरीत इशाक डार के इस सुझाव की घोर आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान उस गड्ढे में है जिसे पाकिस्तान ने खुद खोदा है। इशाक डार के लिए सब कुछ अल्लाह पर छोड़ देना उपहास और तिरस्कार दोनों को आमंत्रित करना है।मनुष्य की मूर्खता और आसक्ति के लिए अल्लाह को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, और उनमें से एक है पाकिस्तान की स्थायी रूप से ऋणग्रस्तता।
पाकिस्तान का वित्त एक शाही गड़बड़ी में डूबा है।ऐतिहासिक रूप से, हर राजनीतिक रंग के पाकिस्तानी वित्त मंत्री बड़े पैमाने पर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का सूक्ष्म कुप्रबंधन करने में सफल रहे हैं।लेकिन अल्लाह को जिम्मेदार ठहराते हुए डार और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ क्रिकेटर इमरान खान की नो बॉल और वाइड बॉल वाली सरकार को नहीं भूले हैं।जैसा कि कहा गया, "भगवान तो बहाना है, इमरान खान निशाना है"।
मीडिया द्वारा पेश किये जा रहे वर्णनों के अनुसार, इमरान खान को पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और राजनीति को प्रभावित करने वाली सभी बुराइयों के लिए दोषी ठहराया जा रहा है।शरीफ ने ये आरोप उस दिन लगाये जब पाकिस्तानी रुपये ने एक नयी अधोगति को छुआ: प्रति डॉलर के 262 रुपये।सही मायने में शरीफ और डार के पास अब बलि का बकरे भी खत्म हो रहे हैं।
आर्थिक संकट गहराता ही जा रहा है। बदनाम सरकार के पास आर्थिक पुनरुद्धार की कोई योजना नहीं है।प्रधान मंत्री ने यह कहना चुना कि पीटीआई सरकार के कुप्रबंधन और खान की अक्षमता के कारण पाइपलाइन में विभिन्न विकास परियोजनाएं रुकी हुई हैं।
सच तो यह है कि पाकिस्तान सरकार पूरी तरह अंजान है।हालात ऐसे कैसे हो गये, सरकार जानती है।गड़बड़ी से कैसे बाहर निकलना शरीफ एंड कंपनी के दिमाग से ही बाहर का क्षेत्र है।
प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ हाल ही में सऊदी अरब और अन्य देशों में आपातकालीन वित्तीय सहायता की मांग करने वाले नव-स्थापित पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर से जुड़ गये हैं।लेकिन चीजें वैसी नहीं हुईं जैसी दोनों चाहते थे।फिर डार को जीवन बचाने वाली पहेली बनानी पड़ी "सर्वशक्तिमान अल्लाहपाकिस्तान की समृद्धि और विकास के लिए जिम्मेदार है।"
शरीफ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से अंतिम समय में राहत पर निर्भर हैं।यदि आईएमएफ उसकी सहायता के लिए आगे आता है, तो अन्य ऋणदाता भी आगे बढ़ेंगे।आईएमएफ की एक टीम के शीघ्र ही पाकिस्तान पहुंचने की उम्मीद है।पाकिस्तान को तत्काल बेलआउट की जरूरत है।विदेशी मुद्रा भंडार संकट खतरनाक स्थिति में आ गयी है।
जो कुछ बचा है वह $ 4 बिलियन है जो एक महीने तक नहीं चलेगा।आयात ठप हो जायेगा।लोगों के पास "रोटी" का "आटा" नहीं है।एके-47 के पहरे के तहत दुर्लभ बोरे गेहूं के आटे का वितरण किया जा रहा है।कीमतें आसमान पर हैं।क्या अल्लाह महंगाई को काबू में कर सकता है?
अभी पाकिस्तान में गृहयुद्ध के हालात हैं।राजनीतिक रूप से भी पाकिस्तान कमजोर है।प्रधान मंत्री शाहबाज़ शरीफ की एक नज़र आर्थिक राहत के लिए जीसीसी देशों पर है और दूसरी नज़र आंतरिक राजनीतिक स्थिति पर है।सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए, उनकी गठबंधन सरकार घेरे में है।
इमरान खान के रुकी हुई परियोजनाओं को दोष देना ही एकमात्र सहारा बचा है।शरीफ चीन से बिगड़ते संबंधों के लिए इमरान खान की पीटीआई को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।शहबाज शरीफ के लिए, इमरान खान चीन के साथ हाल के सभी मतभेदों की जड़ में हैं।
पाकिस्तान भारत से क्या चाहता है, इस पर शहबाज की उलझन बता रही है। उसमें हताशा है।इस महीने की शुरुआत में, शहबाज शरीफ ने एक अरबी मीडिया मंच से कहा था कि "पाकिस्तान ने भारत के साथ युद्धों से अपना सबक सीखा है"।वह कबूलनामा एक घंटे तक चला;फिर यह कश्मीर वापस आ गया था!
भारत सरकार ने भारत में एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो दोनों को आमंत्रित किया है, लेकिन दोनों इस तरह से विरोध कर रहे हैं जैसे कि उनके पास यात्रा के लिए नवीनतम फैशन वाले पठानी सूट नहीं है।निश्चित रूप से, अगर ये दोनों आगे आते हैं, तो भारत-पाक के मुद्दे एससीओ को हाईजैक कर लेंगे।
लेकिन फिर, यह भी हो सकता है कि दोनों घर के हालात को लेकर परेशान हों।अफगानिस्तानी तालिबान अपना वजन बढ़ा रहे हैं और बलूचिस्तान में विद्रोही पाकिस्तानी सेना के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।इसके अलावा, पीओके है, जो अशांत है और स्थिति में बदलाव के लिए भारत की ओर देख रहा है।
कुल मिलाकर समय पाकिस्तान के पक्ष में नहीं है। बाढ़ ने पाकिस्तान को कमजोर कर दिया है। बच्चे विशेष रूप से घोर कष्ट में हैं।अल्लाह एक मजबूत हस्तक्षेप करेगा और करना भी चाहिए।पाकिस्तान को अपने छोटे से जीवन में पहले से कहीं अधिक मदद की जरूरत है।तानाशाह जिया उल हक ने एक बार कहा था "हम घास खायेंगे लेकिन परमाणु बम बनायेंगे!"आज हालात यहां तक आ गये हैं कि पाकिस्तानियों के पास घास ही रह जायेगी।
शायद भारत फायदा उठा सकता है और ईश्वर प्रदत्त भूमिका निभा सकता है, कम से कम कोशिश तो करे ही।हमारे प्रधानमंत्री विश्वगुरु बनना चाहते हैं और यह उनकी परीक्षा की घड़ी है।यह नहीं हो सकता कि आप अपना पेट पूरा भरें और पड़ोसी के बच्चे भूखे पेट रहें।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सहायता करने की दैवी भूमिका निभाने का इससे बेहतर मौका कभी नहीं मिलेगा! (संवाद)
पाकिस्तान की आर्थिक गिरावट लंबी उपेक्षा की पराकाष्ठा
आर्थिक रूप से तबाह देश के लिए आईएमएफ बेल-आउट एकमात्र व्यवहार्य विकल्प
सुशील कुट्टी - 2023-01-30 10:39
बाढ़ से तबाह, आर्थिक रूप से दिवालिया, और राजनीतिक रूप से खोखला। पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार को बलि का बकरा मिल गया है। सर्वशक्तिमान ईश्वर!डार ने अपना पिंड छुड़ाते हुए कहा– क्योकि अल्लाह ने पाकिस्तान बनाया है, अल्लाह को ही पाकिस्तान को इस गड्ढ़े से बाहर निकालना होगा, इसे समृद्ध बनाना होगा और इसे विकसित करने में मदद करनी होगी।