मोदी से यह उम्मीद की जाती थी कि वह काफी गंभीर होने के कारण राहुल द्वारा लगाये गये आरोपों से बचने के लिए इस अवसर का उपयोग करेंगे, परनतुइसके बजाय उन्होंने ताने और जुमलेबाजी करने की अपनी सामान्य शैली का सहारा लेना पसंद किया।राहुल ने पीएम से अडानी के साथ अपने संबंधों के बारे में जानना चाहा है।

वास्तव में हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद, दुनिया भर के लोग, विशेष रूप से भारतीय उनके मुंह से सच्चाई जानने के इच्छुक थे।राहुल ने आरोप लगाया है कि मोदी की गोद में बैठे अडानी ने अकूत दौलत जमा कर ली है और वह दुनिया के तीसरे सबसे अमीर कारोबारी बन गये हैं।इसके बजाय मोदी ने अपने आरोपों को कुंद करने के लिए अपनी चुनावी जीत के पीछे शरण लेना पसंद किया।
राहुल ने अडानी के उदय के पीछे की घटना की जांच करने की बात कही थी।चौंकाने वाली बात यह है कि मोदी ने बहुसंख्यकवादी मिसाइल का इस्तेमाल कर लोकतांत्रिक मांग को दबाने के लिए खुले तौर पर दक्षिणपंथी रणनीति का सहारा लिया।ऐसा करके वह सबसे खतरनाक मिसाल कायम कर रहे थे।

इसमें कोई संदेह नहीं कि लोगों का जनादेश एक प्रमुख कारक है।लेकिन एक बार सत्ता में आने के बाद जो लोकतांत्रिक मानदंड और लोकाचार होते हैं वह सरकार के कामकाज का मार्गदर्शन और निर्देशन करते हैं।मोदी ने अपनी चुनावी जीत का इस्तेमाल लोगों की आवाज दबाने के लिये किया।उनके गैर-प्रतिबद्ध रुख ने फिर भी यह स्पष्ट कर दिया कि उनके लिए भ्रष्टाचार या सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा से इनकार ने अपनी प्रासंगिकता खो दी है।

उनके जवाब का सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि उन्होंने पूरी कार्यवाही को विनोदपूर्ण तरीके से लिया और व्यंग्य कवि काका हाथरसी की कविताओं का पाठ किया और यहां तक कि प्रसिद्ध हिंदी कवि दुष्यंत की कुछ पंक्तियाँ भी सुनायीं।मोदी के इस रवैये से एक कड़ा संदेश गया कि उन्हें आरोपों की कोई परवाह नहीं है।

तथ्यों को सदन के सामने रखने की उनकी अनिच्छा ने यह भी प्रकट किया कि चुनावी जनादेश उन घोटालों और धोखाधड़ी पर आंख मूंदने के लिए पर्याप्त था जो दोस्तों द्वारा किए जा रहे थे।फिर भी किसी न किसी स्तर पर उनके लापरवाह रवैये ने राहुल के इस आरोप का समर्थन किया कि मोदी ने अडानी की राह बनायी है।

पूरी निष्पक्षता में मोदी किसी एजेंसी या संयुक्त संसदीय समिति के माध्यम से जांच की अनुमति देकर संकट को आमंत्रण नहीं दे सकते थे, और वह आत्मघाती ही होता क्योंकि उससे पूरे घोटाले और उसमें शामिल लोगों का पर्दाफाश होता।

उनके एक घंटे के भाषण संकेत देते हैं कि राहुल ने जो कहा उसमें कुछ सच्चाई है;आरोप निराधार नहीं थे।क्या उनकी चुप्पी दर्शाती है कि वह राहुल के आरोप का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं थे?हास्य का लुत्फ उठाने के बीच वह सच्चाई बताकर देश की जनता को अपने भरोसे में लेने से बचते रहे।मोदी ने राहुल गांधी पर उनके 7 फरवरी के भाषण पर कटाक्ष किया, जहां उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार ने अडानी के पक्ष में नियमों को तोड़-मरोड़ कर बिना किसी पूर्व अनुभव के ही उनको हवाई अड्डों के विकास का काम दिया गया।

यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मोदी ने गेंद जनता के पाले में डाल दी है।इसी को ध्यान में रखते हुए मोदी यूपीए के दिनों में वापस गये और जी2 और कोयला जैसे घोटालों की गिनती की।उन्होंने लोगों को यह संदेश देने की भी कोशिश की कि उन्होंने अपने शासन के दौरान गैस, बिजली और पानी देकर उनका उपकार किया है।

उन्होंने कहा कि "3 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त घर मिला है, 9 करोड़ को मुफ्त गैस कनेक्शन मिला है, 11 करोड़ महिलाओं को शौचालय मिला है, 8 करोड़ परिवारों को समुचित जलापूर्ति मिली है और आयुष्मान भारत योजना से 2 करोड़ परिवार लाभान्वित हुए हैं।जिनको लाभ हुआ है वे आपके झूठ और अपशब्दों पर कैसे भरोसा करेंगे!

उन्होंने आरोप लगाया कि यूपीए शासन के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आयी।खुद को आम लोगों के रक्षक के रूप में पेश करने के लिए उन्होंने पिछली कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान देश की आर्थिक विकास दर को भी कम करके बताया।मोदी ने कहा कि भारत 2014 से पहले के दशक को खोये हुए दशक के रूप में हमेशा याद रखेगा।

इस संदर्भ में हमें पूर्व प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह की बातों का स्मरण करना चाहिए, जिन्होंने कहा था कि मोदी की अपनी भविष्य की योजनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की प्रवृत्ति रही है।डॉ सिंह ने मोदी द्वारा अतीत में की गयी कुछ टिप्पणियों पर भी नाराजगी जतायी।उन्होंने ध्यान दिलाया कि मोदी ने अक्सर कहा है कि उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले 70 वर्षों में कुछ भी नहीं किया गया था।लेकिन तथ्य यह है कि औसत आयु 31 से बढ़कर 71 वर्ष हुई, साक्षरता 18 से बढ़कर 76 प्रतिशत हुई और भारत ने भोजन में आत्मनिर्भरता प्राप्त की।"मैं चाहता हूं कि पीएम हमारे देश को बदनाम करने वाले बयानों का सहारा लिए बिना लोगों को प्रभावित करने के लिए और अधिक गरिमापूर्ण तरीके खोजेंगे", पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने कहा।

राहुल के सवाल करने से मोदी काफी डरे हुए हैं।इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत जोड़ो यात्रा ने उनके उत्साह को कुंद किया है।वरना संसद में अपने भाषण में श्रीनगर में राहुल द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने की घटना का उल्लेख करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।मोदी ने कहा,"मैं 25 साल से देश के लिए काम कर रहा हूं, आप अपने झूठ से इस भरोसे को नहीं तोड़ सकते।"

यह जानकर वास्तव में हैरानी हुई कि मोदी को अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ ईडी, सीबीआई और आईटी के इस्तेमाल पर कोई पछतावा नहीं है।उन्होंने कहा,"विपक्षी नेताओं को उन्हें एकजुट करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को धन्यवाद देना चाहिए"।यह समझ से परे है कि कोई प्रधानमंत्री ऐसा कैसे कह सकता है।(संवाद)