कांग्रेस की सबसे शानदार जीत कसाब पेठ विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से हुई जिसे उसने भाजपा से छीन लिया।कांग्रेस के धंगेकर रवींद्र हेमराज ने कस्बा पेठ से भाजपा के हेमंत नारायण रसाने को 10,915 मतों के अंतर से हराया।
यह दो कारणों से महत्वपूर्ण है - पहला, महाराष्ट्र में वर्तमान में शिंदे गुट का शासन है जो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को विभाजित कर भाजपा की मदद से सत्ता में है।दूसरा यह निर्वाचन क्षेत्र जिले में भाजपा का गढ़ रहा है।
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 75,492 वोट (50.3 फीसदी) हासिल किए थे और सीट जीत ली थी, जबकि कांग्रेस केवल 47,296 वोट (31.52 फीसदी) ही हासिल कर पायी थी।कांग्रेस को इस बार 73,309 वोट (52.98 फीसदी) मिले जबकि बीजेपी को 62,394 वोट (45.09 फीसदी) मिले।इस सीट पर राजनीतिक भाग्य का पलटना न केवल भाजपा के लगभग पांच प्रतिशत समर्थन आधार के नुकसान के कारण महत्वपूर्ण है, बल्कि कांग्रेस को लगभग 22 प्रतिशत वोटों के उत्साहजनक लाभ के कारण भी है।यह इंगित करता है कि पुणे जिले के लोगसत्तारूढ़ गठबंधन से बहुत नाखुश हैं, जो सत्ता विरोधी लहर के साथ-साथ मतदाताओं को कांग्रेस और यूपीए के प्रति अधिक समर्थन को दिखाता है।
हालांकि भाजपा ने चिंचवाड़ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का उपचुनाव जीता जहां भाजपा के अश्विनी लक्ष्मण जगताप ने राकांपा उम्मीदवार विठ्ठल उर्फ नाना काटे को 36,168 मतों के अंतर से हराया, परिणाम स्पष्ट रूप से भाजपा के पतन और यूपीए के उदय को दर्शाता है।एनसीपी के 99,435 (34.63 प्रतिशत) के मुकाबले भाजपा को 1,35,603 वोट (47.23 प्रतिशत) मिले।भाजपा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार कलाते राहुल तानाजी के खिलाफ 1,50,723 वोट (54.17 प्रतिशत) हासिल किए थे, जिन्होंने 1,12,225 वोट (40.34 प्रतिशत) हासिल किए थे। तानाजी 2014 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना के उम्मीदवार थे औरउन्हें 23.29 फीसदी वोट मिले थे जबकि एनसीपी को 15.61 फीसदी और कांग्रेस को 3.17 फीसदी वोट मिले थे।ये सभी इंगित करते हैं कि शिवसेना में विभाजन सत्तारूढ़ शिंदे गुट के लिए अपने समर्थन आधार में कोई बदलाव नहीं ला सका, जबकि भाजपा के समर्थन आधार में गिरावट आयी है।एनसीपी के वोटों में 2014 में 15.61 प्रतिशत से 2023 में 34.63 प्रतिशत की वृद्धि पार्टी और महा विकास अगड़ी या यूपीए के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, हालांकि एनसीपी उपचुनाव हार गयी।यह निर्वाचन क्षेत्र भी पुणे जिले में है, और इसलिए दोनों उपचुनाव परिणाम भाजपा या एनडीए के उस क्षेत्र में घटते राजनीतिक भाग्य को दर्शाते हैं, जिसका प्रभाव महाराष्ट्र की राजनीति पर पड़ेगा।
झारखंड के रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में आजसू पार्टी की सुनीता चौधरी ने कांग्रेस उम्मीदवार बजरंग महतो को 21970 मतों के अंतर से हराया।इस सीट पर काबिज कांग्रेस का यह बड़ा नुकसान है।आजसू को कांग्रेस के 93,699 वोट (41.05 प्रतिशत) के मुकाबले 1,15,669 वोट (50.67 प्रतिशत) मिले।आजसू भाजपा की सहयोगी है, जबकि कांग्रेस झामुमो के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ महागठबंधन में है, और इसलिए, प्रथम दृष्टया, ऐसा लगता है कि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद इस राज्य में कांग्रेस और यूपीए कमजोर हो गये हैं।
स्थिति से पता चलता है कि भाजपा और आजसू ने 2019 में अलग-अलग 14.26 और 31.86 प्रतिशत (कुल 46.12 प्रतिशत) जीत हासिल की थी।इसका मतलब है कि एनडीए में केवल मामूली सुधार हुआ था।दूसरी ओर कांग्रेस को 44.7 फीसदी वोट मिले थे जो इस बार मामूली गिरावट के साथ 41.05 फीसदी रह गये हैं।उपचुनाव के नतीजे बताते हैं कि झारखंड में कांग्रेस और महागठबंधन को बीजेपी और एनडीए को टक्कर देने के लिए और अधिक समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
तमिलनाडु में, इरोड ईस्ट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव हुआ, जहां कांग्रेस के ई.वी.के.एस.एलंगोवन ने अन्नाद्रमुक के केएस थेनारासू को 66233 मतों के भारी अंतर से हराया।सत्तारूढ़ डीएमके द्वारा कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन किया गया था, जो लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा से सफलतापूर्वक मुकाबला करने के उनके भविष्य के गठबंधन का संकेत देता है। यह क्षेत्रीय राजनीतिक दल की तुलना में कांग्रेस की स्वीकार्यता और संबंधों में सुधार का भी संकेत देता है।
चुनाव परिणाम आने के बाद, मुख्यमंत्री और डीएमके नेता एमके स्टालिन ने इसे "ऐतिहासिक और भव्य जीत" कहा है।उन्होंने यह भी कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में द्रमुकके नेतृत्व वाले सेक्युलर प्रोग्रेसिव अलायंस (एसपीए) की और भी बड़ी जीत के लिए जमीन तैयार की जा रही है।
पश्चिम बंगाल में सागरदिघी विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के बायरन बिस्वास ने टीएमसी के देवाशीष बनर्जी को 22986 मतों के अंतर से हराकर सीट जीत ली।यह सत्तारूढ़ टीएमसी के लिए एक झटका था क्योंकि यह सीट उसके पास थी।टीएमसी के 64,681 (34.94 प्रतिशत) के मुकाबले कांग्रेस को 87,667 वोट (47.35 प्रतिशत) मिले।यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि 2021 के चुनावों में कांग्रेस को कुल 19.45 प्रतिशत वोट मिले थे।टीएमसी के 50.95 फीसदी के मुकाबले।उपचुनाव के परिणाम ने इस प्रकार टीएमसी की तेज गिरावट और कांग्रेस की वृद्धि का खुलासा किया है।
भाजपा काफी समय से पश्चिम बंगाल में पैर जमाने की कोशिश कर रही है, परन्तु इस उपचुनाव के नतीजों ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।भाजपा को इस सीट पर 2021 में 24.08 फीसदी वोट मिले थे लेकिन अब सिर्फ 13.94 फीसदी वोट ही हासिल कर सकी है।
अरुणाचल प्रदेश में लुमला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव को भाजपा उम्मीदवार मायरालबॉर्न सिएम के पक्ष में निर्विरोध घोषित कर दिया गया।क्या यह उत्तर पूर्व में भाजपा के बढ़ते दबदबे को दर्शाता है?नहीं, क्योंकि, उत्तर पूर्व के मतदाता और पार्टियां केंद्र में सत्तारूढ़ किसी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन या समर्थन करने की प्रवृत्तिरखते हैं, और इसलिए गत 9 वर्षों से, यह भाजपा के लिए फायदेमंद रहा है।(संवाद)
उपचुनाव के नतीजे बताते हैं कि राज्यों में मजबूत होती जा रही है कांग्रेस
महाराष्ट्र की सीटों पर भाजपा की हार भगवाधारियों के लिए गंभीर चेतावनी
डॉ. ज्ञान पाठक - 2023-03-04 11:30
चार राज्यों - महाराष्ट्र, झारखंड, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु - की विधानसभाओं की पांच सीटों के लिए हुए उपचुनावों में कांग्रेस की तीन विधानसभा सीटों पर जीत और भाजपा और उसके सहयोगी दलों की दो सीटों पर जीत, तुलनात्मक रूप से कांग्रेस के मजबूत होकर उभरने का एक स्पष्ट संकेत है - भाजपा की तुलना में, और इस तरह यूपीए मजबूत हो रहा है एनडीए के मुकाबले।