महाभारत में भगवान कृष्ण ने इसे शासक की कमजोरी और तीव्र राजनीतिक अंतर्विरोधों की अभिव्यक्ति के रूप में वर्णित किया था।ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स की छापेमारी कोई नई बात नहीं है।वास्तव में चिंताजनक बात यह है कि इन एजेंसियों द्वारा उनके राजनीतिक विरोधियों के ठिकानों पर छापे मारना और उन्हें जेलों में डालने को संस्थागत रूप दे दिया गया है।इसने बदसूरत आयाम हासिल कर लिया है।ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें विश्वास हो गया है कि ज़बरदस्ती, दमन और असंतोष का गला घोंटना ही राजनीति में उनके बने रहने का एकमात्र तरीका है।शासन करने की उनकी शैली इस धारणा को पुष्ट करती है कि देश के लोग और राजनेता रीढ़विहीन हैं और डंडों के शासन की अवहेलना करने से डरते हैं, तथा वह ऐसा कर दशकों तक शासन करते रहेंगे।

आमतौर पर एक राजनीतिक व्यवस्था चुनाव से ठीक पहले मतदाताओं को नाराज करने से बचती है।लेकिन मोदी और शाह जनता की प्रतिक्रिया और उनके प्रतिशोध से बेफिक्र हैं।उन्हें यकीन है कि हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का नारा चमत्कार करेगा तथा आरएसएस द्वारा कमान संभालने के बाद चुनाव जीतना सुनिश्चित है। 2024 लोकसभा चुनाव दरवाजे पर दस्तक दे रही है तथा मोदी और अमित शाह और अधिक आक्रामक हो गये हैं।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी ताजा मामला है।संयोग से सीबीआई के पास उसके खिलाफ पुख्ता सुबूत नहीं हैं, फिर भी उन्हें जेल में डाल दिया गया है।भले ही सीबीआई अदालत में उनके खिलाफ अपने आरोप साबित करने में विफल रहती है, लेकिन उनके जेल में रहने से उनका उद्देश्य पूरा हो जायेगा।वास्तव में यह अजीब बात है कि ईडी ने सिसोदिया को रद्द की जा चुकी आबकारी नीति में मनी-लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में दिल्ली की एक अदालत में सीबीआई मामले में उनकी जमानत अर्जी पर सुनवाई से ठीक एक दिन पहले गिरफ्तार किया।इसका तात्पर्य यह है कि सीबीआई और ईडी उन्हें परेशान करने पर तुले हैं।

इस संबंध में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन का मोदी को लिखा पत्र उल्लेखनीय हैः "मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि राज्यपाल के कार्यालय सहित जांच एजेंसियों और संवैधानिक कार्यालयों का दुरुपयोग कभी भी जीवंत लोकतंत्र को मजबूत नहीं कर सकता है। इस तथ्य पर ध्यान दिया जा सकता है कि पिछले नौ वर्षों में, जांच एजेंसियों की स्वतंत्रता को हर जगह लूटा गया है।केंद्र की सत्ता में पार्टी के हित शामिल हैं। इन एजेंसियों का निर्दयता से और बार-बार राजनीतिक प्रतिशोध के हथियार के रूप में केवल विपक्षी दलों के राजनीतिक नेताओं के खिलाफ दुरुपयोग किया गया है। तथ्यों से रहित मिलावटी आरोप इस तरह के खुले दुरुपयोग के उपकरण बन गये हैं।"

वयोवृद्ध कश्मीर नेता फारूक अब्दुल्ला को नजरबंद कर सात महीने की हिरासत के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।फारूक उन हजारों कश्मीरी नेताओं में शामिल थे, जिन्हें विवादित क्षेत्र से अर्ध-स्वायत्त दर्जा छीने जाने से एक दिन पहले नजरबंद कर दिया गया था।कश्मीर के पांच बार के मुख्यमंत्रीअब्दुल्ला को व्यापक रूप से राज्य में "भारत समर्थक" राजनेता माना जाता रहा है।मोदी सरकार पर आरोप है कि राज्य में "लोकतांत्रिक असंतोष का गला घोंटा जा रहा है"।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के अतिरिक्त निजी सचिव सीएम रवींद्रन को ईडी ने केरल के मुख्यमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव एम शिवशंकर आईएएस के बयानों के आधार पर तलब किया था, जो इस समय ईडी की हिरासत में हैं।विजयन अपने एपीएस के साथ खड़े हैं: "राज्य सरकार को उनके बारे में कोई संदेह नहीं है। कुछ वर्गों को कुछ पसंद आ सकता है लेकिन इससे परे कुछ भी नहीं है।"

सामना के संपादक संजय राउत को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल में डाला गया। पीएमएलए अदालत पतरावाला चॉल मामले में ईडी की जांच के बारे में अपने अवलोकन में कठोर थी, और उसने टिप्पणी की कि राउत को "बिना किसी कारण के" अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया था।राउत सौ दिन जेल में रहे।ईडी ने दावा किया था कि राउत, जो शिवसेना सांसद भी हैं, वास्तव में मुख्य साजिशकर्ता थे और प्रवीण राउत उनके छद्म थे।

मानो इतना ही काफी नहीं था, इसने दिग्गज राजनेता शरद पवार को भी मामले में फंसाने की कोशिश की थी। अदालत ने ईडी के इस दावे को खारिज कर दिया कि तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत विलासराव देशमुख पात्रा चॉल मामले में शामिल थे।वास्तव में विशेष पीएमएलए अदालत ने मुख्य दोषियों राकेश कुमार वधावन और सारंग वधावन को गिरफ्तार नहीं करने के लिए ईडी की खिंचाई की।

ईडी ने 9 मार्च को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के सिलसिले में पूछताछ के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी एमएलसी के. कविता को तलब किया था।उन्हें हाल ही मेंगिरफ्तार हैदराबाद के कारोबारी अरुण पिल्लई के बयान के आधार पर तलब किया गया है।पिल्लई ने ईडी को बताया है कि वह कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले में कविता का बेनामी था।इसी मामले में दिसंबर 2022 में कविता से सीबीआई पहले ही पूछताछ कर चुकी थी।ईडी ने पिछले साल मामले में अपना पहला आरोप पत्र दायर किया था और अब तक लगभग 200 तलाशी अभियान चला चुका है।हालांकि बीआरएस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि ईडी द्वारा कविता के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का मुख्य कारण केसीआर का विपक्षी दलों को एकजुट करने का कदम है।

यह निश्चित रूप से संयोग नहीं है कि जिस दिन बीरभूम जिला टीएमसी के प्रमुख ममता बनर्जी के करीबी अनुब्रत मंडल को पूछताछ के लिए ईडी के आग्रह पर दिल्ली स्थानांतरित किया गया था, उसी दिन सीबीआई ने बीमार राजद सुप्रीमो लालू यादव से और पूछताछ की।दिल्ली में अपनी बेटी के घर पर चार घंटे से अधिक, जहाँ वह अपने किडनी प्रत्यारोपण के बाद स्वास्थ लाभ कर रहे हैं।लालू को जमीन घोटाले में फंसाया गया है।

विपक्षी नेताओं को डराने-धमकाने के अपने मिशन में बेपरवाह ईडी ने शुक्रवार को नौकरी के बदले जमीन मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के दिल्ली स्थित आवास पर छापा मारा।इसने लालू यादव की तीन बेटियों रागिनी यादव, चंदा यादव और हेमा यादव और राजद के पूर्व विधायक अबू दोजाना के परिसरों पर भी तलाशी ली, जो कि नौकरियों के लिए जमीन 'घोटाला' मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में है।

सूत्रों की मानें तो सीबीआई लालू को गिरफ्तार करने की योजना पर काम कर रही है।वह मंडल के जरिये भी ममता पर हाथ रखने की योजना बना रही है।ईडी कलकत्ता में मंडल से पूछताछ कर सकता था लेकिन उसने उसे दिल्ली ले जाने पर जोर दिया।ईडी की मंशा पर आशंका जतायी जा रही है।कलकत्ता उच्च न्यायालय में मंडल के खिलाफ शिकायत की सुनवाई के साथ, ईडी आराम की स्थिति में था।कानूनी और राजनीतिक हलके ईडी की जिद को डिकोड करने में लगे हैं।गौरतलब है कि ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, जो टीएमसी में दूसरे नंबर पर हैं, पहले से ही ईडी और एजेंसी के रडार पर हैं।उनसे दिल्ली में दो बार पूछताछ हो चुकी है।इससे पहले अभिषेक की पत्नी रुजिरा बनर्जी को ईडी ने कलकत्ता में तलब किया था।करीब छह घंटे तक उससे पूछताछ की गयी।आशंका यह भी जताई जा रही है कि ईडी मंडल से पूछताछ के दौरान ममता को मामले में फंसाने के लिए उनसे इकबालिया बयान ले सकती है।

लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही प्रमुख विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों द्वारा एक साथ छापेमारी तेज की जा रही है और यह एक रणनीति के तहत मई 2024 में लोकसभा चुनाव खत्म होने तक जारी रहेगा।(संवाद)