जिस तरह से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रेसीडेंसी कॉलेज चेन्नई में वीपी सिंह की प्रतिमा के अनावरण के लिए केवल अखिलेश यादव को आमंत्रित किया, वह भी अखिलेश यादव की एक बड़े पिछड़े नेता के रूप में पहचान है जो राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।

इस अवसर पर बोलते हुए, अखिलेश यादव ने कहा कि वीपी सिंह की प्रतिमा का अनावरण निश्चित रूप से पूरे देश और विशेष रूप से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में संदेश देगा। अखिलेश यादव ने आगे कहा कि वीपी सिंह ने पीएम रहते हुए मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू करके पिछड़े वर्गों और वंचित वर्ग के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया।

लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए, समाजवादी पार्टी ने पार्टी का संदेश राज्य भर में फैलाने और जाति जनगणना की मांग करने और भाजपा सरकार के कुशासन को उजागर करने के लिए समाजवादी पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) साइकिल यात्रा का आयोजन किया। युवाओं से जुड़ी यह यात्रा 40 जिलों से होकर गुजरी और 202 विधानसभा क्षेत्रों और 42 लोकसभा सीटों से होकर 208 दिनों में 8500 किलोमीटर की दूरी तय की।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इटावा में पार्टी के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ यात्रा में शामिल लोगों को संबोधित किया और लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को अधिक सीटें देने के लिए पीडीए को मजबूत करने की अपील की।

इसी तरह उन्होंने सामाजिक न्याय और जाति जनगणना का संदेश फैलाने के लिए राज्य में सामाजिक न्याय यात्रा का आयोजन किय। यात्रा ने सात दिनों में 18 जिलों को कवर किया और पूरे मार्ग में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा उसका बहुत अच्छा स्वागत किया गया।

इन यात्राओं के साथ, अखिलेश यादव ने जनता तक पहुंचने और पार्टी का संदेश फैलाने और लोकसभा चुनावों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए मुख्य मुद्दों के बारे में मतदाताओं को जागरूक करने के लिए सड़कों पर उतरने का फैसला किया है।

गौरतलब है कि अन्य विपक्षी दल कांग्रेस भी लोकसभा चुनाव के लिए जनता का समर्थन हासिल करने के लिए संगठन को मजबूत करने और विभिन्न जातियों की गोलबंदी के जरिये जोरदार तैयारी कर रही है।

यूपीसीसी कार्यकारिणी की सूची से साफ हो गया है कि पार्टी हाईकमान ने भी पीडीए का फॉर्मूला अपना लिया है।

कांग्रेस ने पहली बार पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को प्रमुखता दी। पहले कांग्रेस ने ब्राह्मणों, दलितों और मुस्लिमों के कोर वोट के जरिये उत्तर प्रदेश में राज किया था। चूँकि कांग्रेस खुद को मुख्य पार्टी के रूप में पेश करना चाहती है जो भाजपा से मुकाबला करेगी, उसे शक्तिशाली पिछड़े समुदाय के समर्थन की आवश्यकता है जिसे संगठन में महत्वपूर्ण पद साझा करके ही आकर्षित किया जा सकता है।

इस व्यवस्था के अलावा, कांग्रेस पार्टी नेतृत्व पुराने नेताओं और पूर्व मंत्रियों, सांसदों और विधायकों तक पहुंचने में व्यस्त है ताकि वे अपने आराम क्षेत्र से बाहर आ सकें और पार्टी की मदद कर सकें। यूपीसीसी अध्यक्ष अजय राय ने अपने आक्रामक रवैये से पार्टी को चर्चा में ला दिया है। लेकिन ऐसी धारणा है कि लोकसभा चुनावों का सामना करने के लिए जिला और शहर इकाइयों को तैयार करने के लिए काफी प्रयासों की जरूरत है।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर सबकी नजर है। अगर कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रही तो इसका असर उत्तर प्रदेश में जरूर पड़ेगा। (संवाद)