अखिल भारतीय परिदृश्य में आंध्र प्रदेश एक अलग ग्रह की तरह है। टीडीपी और जन सेना ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन पर हस्ताक्षर करके मोदी के तीसरे कार्यकाल के प्रति निष्ठा की शपथ ली है। जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी को इसकी परवाह नहीं है कि मोदी बने रहें या मोदी बेदखल हो जायें। दो हिस्सों में बंटने के बाद से आंध्र प्रदेश ने एकाकी रास्ता बना लिया है। इसका एक कारण जगन मोहन रेड्डी की पूरी तरह से क्षेत्रीय छवि है। परन्तु ऐसा भी नहीं है कि प्रतिद्वंद्वी चंद्रबाबू नायडू "राष्ट्रीय" हैं।

आंध्र प्रदेश में 4.08 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से लगभग आधी महिलाएं हैं। 3,482 ट्रांसजेंडर मतदाता भी हैं। यहां 175 विधानसभा क्षेत्र और 25 संसदीय क्षेत्र हैं। मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी का कहना है कि वह सत्ता बरकरार रखेंगे। टीडीपी, जिसे 2019 में 23 प्रतिशत वोट शेयर मिला था, का मानना है कि वाईएसआरसीपी इस बार धूल चाटेगी। पवन कल्याण की जन सेना को 2019 में 1 प्रतिशत वोट-शेयर मिला।

175 विधानसभा सीटों और 25 लोकसभा सीटों के लिए वाईएसआरसीपी के उम्मीदवारों की सूची कई हफ्तों से जारी है। 50 प्रतिशत उम्मीदवार एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। नाम अप्रासंगिक हैं लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें पार्टी के कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है। साथ ही, टीडीपी भाजपा और जन सेना के साथ मिलकर आंध्र प्रदेश पर कब्ज़ा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस और वामपंथी दल कमजोर खिलाड़ी हैं।

टीडीपी, भाजपा और जनसेना के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बन गयी है। भाजपा को छह लोकसभा और 10 विधानसभा सीटें मिलीं। टीडीपी को 17 संसदीय और 144 विधानसभा सीटें मिलीं। पवन कल्याण की जन सेना को दो लोकसभा और 21 विधानसभा सीटें मिलीं। यदि गठबंधन विधानसभा जीतता है तो भाजपा सरकार में सबसे कनिष्ठ भागीदार होगी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिलचस्पी लोकसभा की गिनती में ज्यादा है। यदि टीडीपी उसे आवंटित सभी 17 लोकसभा सीटें जीतती है, तो इसकी कोई गारंटी नहीं है कि नायडू अपनी हैसियत से अधिक नहीं मांगेंगे।

नायडू को यकीन है कि टीडीपी-भाजपा-जनसेना की तिकड़ी वाईएसआरसीपी को आसानी से हरा देगी और आंध्र प्रदेश को जगन मोहन रेड्डी और उनकी ईसाई पार्टी से छुटकारा मिल जायेगा। आंध्र प्रदेश में धार्मिक रूपांतरण वर्षों से एक दुखदायी मुद्दा रहा है, लेकिन क्या यह एक चुनावी मुद्दा है, यह बाहरी लोगों के लिए स्पष्ट नहीं है, हालांकि आंध्र प्रदेश और पंजाब ईसाई धर्म प्रचार के केंद्र क्यों हैं, यह एक गंभीर छात्र के लिए एक दिलचस्प अध्ययन होगा।

कहा जा रहा है कि पवन कल्याण चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा उत्साहित हैं। जन सेना चुनाव होने और परिणाम घोषित होने का इंतजार नहीं कर सकती। पवन कल्याण के लिए 4 जून बहुत दूर है। यदि जन सेना अपनी दोनों लोकसभा सीटें जीतती है, तो राज्यव्यापी जश्न मनाया जायेगा। इसमें आवंटित 21 विधानसभा सीटों का एक अच्छा हिस्सा जोड़ें, और पवन कल्याण फिर कभी बीओ ब्लॉकबस्टर की मांग नहीं करेंगे।

हालाँकि, जो बात शायद चंद्रबाबू नायडू को परेशान करती है, वह टीडीपी के दावों के सामने जगन मोहन रेड्डी की समता है। टीडीपी कई निराश "सीट आशावानों" से भी लड़ रही है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार रैलियां कर रहे हैं। पवन कल्याण को मोदी की खातिर जन सेना को आवंटित दो लोकसभा सीटें जीतनी होंगी।

जगन मोहन रेड्डी का आत्मविश्वास मोदी और नायडू दोनों को परेशान कर रहा है। जगन की "कल्याण-निर्भर राज्यकला" में 70 के दशक के इन दोनों नेताओं के पसीने छूट रहे हैं। रेड्डी का नारा '175 क्यों नहीं' टीडीपी की नींद उड़ा रहा है। मोदी की घबराहट केवल गहरी होगी। क्या होगा अगर रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर ले? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरा कार्यकाल मिलेगा या नहीं, यह तय करने में जगन मोहन रेड्डी की भी भूमिका हो सकती है।

कांग्रेस पार्टी में वापसी का नेतृत्व जगन की बहन वाईएस शर्मिला कर रही हैं और वह बड़ी-बड़ी बातें कर रही हैं। कांग्रेस भी "सभी विधानसभा और लोकसभा सीटों" पर चुनाव लड़ रही है। वाईएस शर्मिला वाईएस जगन मोहन रेड्डी को चुनौती देने से नहीं कतरा रही हैं।

वाईएस शर्मिला वाईएस जगन मोहन से लड़ रही हैं। कांग्रेस कुछ विधानसभा सीटें जीतकर खुश होगी। आंध्र प्रदेश एकमात्र दक्षिण राज्य है जहां कांग्रेस बढ़त की तलाश में है। वह समय था जब इसने पैर जमाये थे और वे दिन बहुत दूर चले गये हैं। एनडीए के साझेदार अपने "कल्याणकारी भारी घोषणापत्र" के साथ चर्चा में हैं। नायडू ने किया तीनों सहयोगियों का सम्मान।

घोषणापत्र में कई कल्याणकारी योजनाओं के अलावा "सुपर सिक्स" भी हैं। "सुपर सिक्स" में 19-59 आयु वर्ग की महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक पेंशन शामिल है। साथ ही युवाओं के लिए 20 लाख नौकरियां और 3,000 रुपये मासिक बेरोजगारी वजीफा। साथ ही महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा। नायडू ने कहा कि भाजपा और जन सेना दोनों ने घोषणापत्र में योगदान दिया। हर घर में तीन मुफ्त एलपीजी सिलेंडर एक और "सुपर सिक्स" है। साथ ही, स्कूल जाने वाले बच्चों को 15,000 रुपये और प्रत्येक किसान को 20,000 रुपये की सहायता दी जायेगी।

तथ्य यह है कि घोषणापत्र में "युवा रोजगार" का वायदा किया गया है, यह इस बात का सुबूत है कि रोजगार सृजन के मोर्चे पर मोदी शासन फिसड्डी था। इतना ही नहीं, राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणापत्रों में नौकरियों का वायदा करने से बच नहीं सकते। नायडू के घोषणापत्र में "मेगा शिक्षक भर्ती अभियान", "वार्षिक नौकरी कैलेंडर" और "समर्पित रोजगार क्षेत्र" की बात की गयी है।

भाजपा के "राष्ट्रीय घोषणापत्र" का उल्लेख नायडू ने किया और विश्वास व्यक्त किया कि भाजपा गठबंधन धर्म निभायेगी क्योंकि लोगों का जीवन मायने रखता है। मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने घोषणापत्र का मजाक उड़ाया और कहा कि टीडीपी-भाजपा-जन सेना घोषणापत्र से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर गायब थी, जो एक कहानी बताती है। (संवाद)