जो भी हो विपक्ष ने लोकसभा में अपनी आवाज़ वापस पाई जो एक सकारात्मक घटनाक्रम था। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बहस में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री की कमियों को उजागर किया। उन्होंने हिंदू और भाजपा के हिंदुत्व के बीच अंतर को भी उजागर किया। कांग्रेस नेता राहुल, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में हावी रहे मुख्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया और यह दृश्य भी नया था कि लोकसभा में भाजपा के सदस्य, प्रधानमंत्री के लिए अपनी सामान्य मेज थपथपाने के बावजूद, अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में नहीं थे। वहाँ एक बेचैनी थी।
अगला सत्र इसी महीने के तीसरे सप्ताह में शुरू होने वाला है। मुख्य ध्यान 2024-25 के पूर्ण बजट पर होगा, जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय तथा एनडीए, विशेष रूप से भाजपा, पुनर्जीवित इंडिया ब्लॉक का सामना करने में मदद करने के लिए उपयोग करना चाहता है। पीएमओ और पीएम के थिंक टैंक ने भाजपा द्वारा किये गये चुनाव के बाद की समीक्षा को ध्यान में रखते हुए बजट प्रस्तावों में सुधारात्मक उपाय करने के लिए कुछ क्षेत्रों की पहचान पहले ही कर ली है। सभी संकेतों से पता चलता है कि युवाओं को रोजगार, किसानों के मुद्दे और महिलाओं के लिए कुछ और सुविधाएं देना आदि नये कार्यक्रमों का मूल आधार होगा। भाजपा की समीक्षा से यह भी पता चला है कि देश के युवाओं ने पिछले चुनावों की तरह नरेंद्र मोदी के पक्ष में मतदान नहीं किया और रोजगार संकट ने भाजपा के युवा वोट बैंक पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
इंडिया ब्लॉक को यह याद रखना चाहिए कि नरेंद्र मोदी चौबीसों घंटे सक्रिय रहने वाले राजनेता हैं और अब वह एक घायल बाघ हैं। वह अपनी वर्तमान कमजोर होती स्थिति पलटने के लिए बेताब हैं और वह तथा उनकी भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों में विपक्ष को परास्त करके ही ऐसा कर सकते हैं। भाजपा आलाकमान ने पहले ही अग्रिम तैयारियां कर ली हैं और महाराष्ट्र को छोड़कर उनका कार्यक्रम सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है। भाजपा नेतृत्व की ओर से प्रधानमंत्री स्वयं तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं। कुछ कारणों से गृह मंत्री अमित शाह लो प्रोफ़ाइल रख रहे हैं।
हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में 2024 के अंत तक और दिल्ली और बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। पहले चरण में, लोकसभा चुनाव परिणामों के आधार पर, इंडिया ब्लॉक लाभप्रद स्थिति में है। महाराष्ट्र में एमवीए द्वारा लोकसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद, गठबंधन ने विधान परिषद चुनावों में भी नयी जीत दर्ज की। महाराष्ट्र के बारे में सबसे खास बात यह है कि इंडिया गठबंधन के साझेदारों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर पहले से ही सहमति बन चुकी है - कुल 288 सीटों में से 96-96 सीटों पर चुनाव लड़ने की। कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनावों में साझेदारों के बीच सबसे अधिक सीटें हासिल करने के बावजूद अधिक सीटों पर जोर न देकर राष्ट्रीय विपक्ष के मुख्य नेता के रूप में परिपक्वता दिखायी है। यह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और राहुल गांधी के बीच सही समझ के कारण संभव हुआ है। एमवीए की आगामी राज्य विधानसभा चुनावों में शानदार जीत की संभावना अब साफ है, बशर्ते चुनावों से पहले एमवीए द्वारा अंतिम समय में कोई गड़बड़ी न की जाये।
हरियाणा और झारखंड में भी इंडिया ब्लॉक के लिए स्थिति समान रूप से सकारात्मक है। मुख्यमंत्री बदलने के बावजूद हरियाणा में भाजपा नेतृत्व मुश्किल में है। 2024 के लोकसभा चुनावों में दस में से 5 सीटें हासिल करने में सफलता के बाद कांग्रेस संगठन को बड़ा बढ़ावा मिला है। भूपेंद्र हुड्डा उन असंतुष्ट कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संगठित करने में सफल रहे हैं जो पहले पार्टी छोड़ने की सोच रहे थे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और एआईसीसी सचिव प्रियंका गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में एकता बहाल करने के लिए कड़ी मेहनत की। कांग्रेस पार्टी संगठनात्मक रूप से भाजपा से मुकाबला करने की स्थिति में है। लोकसभा चुनाव में आप के साथ उसकी सहमति, बातचीत के आधार पर विधानसभा चुनाव में भी जारी रह सकती है। हालांकि, आप के समर्थन के बिना भी कांग्रेस अब अपने बल पर जीतने की स्थिति में है।
झारखंड में भी भाजपा की तीन लोकसभा सीटों की हार के बाद, राज्य विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही इंडिया ब्लॉक का बोलबाला बढ़ गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता हेमंत सोरेन जमानत पर रिहा हो गये हैं, और फिर मुख्य मंत्री बनने वाले हैं। पांच महीने बाद उनके जेल से रिहा होने से आदिवासियों में व्यापक प्रभाव पड़ा है। हेमंत बड़े पैमाने पर प्रचार कर रहे हैं और वे आदिवासियों तथा उनके अधिकारों की रक्षा करने वाले नेता के रूप में उभरे हैं।
झारखंड में झामुमो, कांग्रेस, राजद और वामपंथी दलों, खासकर भाकपा (माले) लिबरेशन के बीच अच्छी समझ है, जिसका राज्य के कई इलाकों में सक्रिय आधार है। हेमंत के प्रियंका और राहुल के साथ अच्छे समीकरण हैं। उम्मीद है कि जल्द ही सीट बंटवारे की बातचीत शुरू होगी और सहमति बन जायेगी। भाजपा मौजूदा झामुमो सरकार को हटाकर झारखंड को वापस पाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी, लेकिन हेमंत की रिहाई के बाद अब इंडिया ब्लॉक भी उतना ही मजबूत है।
अगर इंडिया ब्लॉक 2024 में तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में एनडीए और भाजपा की हार का कारण बन सकता है, तो 2025 में राजनीतिक स्थिति में एक उत्प्रेरक परिवर्तन होगा। उस साल फरवरी तक दिल्ली में चुनाव हो जायेंगे। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने के बावजूद, आप 2020 के विधानसभा चुनावों की तरह भाजपा को हराने की स्थिति में होनी चाहिए। अगर इंडिया ब्लॉक इन चारों चुनावों में जीत हासिल कर लेता है, तो विपक्ष नरेंद्र मोदी सरकार को एक निष्क्रिय सरकार में बदल सकता है।
बिहार में 2025 के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। हालांकि अभी एनडीए लोकसभा चुनाव के बाद आरामदायक स्थिति में है, लेकिन राज्य विधानसभा का प्रदर्शन अलग हो सकता है। राजद नेता तेजस्वी यादव लगातार मजबूत होते जा रहे हैं। वे राज्य में भाजपा विरोधी ताकतों को एकजुट करने वाले के रूप में उभरे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हैसियत पहले ही कम हो चुकी है। बिहार को विशेष राज्य घोषित करने की उनकी मांग को अभी भी पीएम मोदी की मंजूरी नहीं मिली है। विधानसभा चुनाव से पहले 2025 तक एनडीए में स्थिति खराब हो सकती है।
इंडिया ब्लॉक ने भाजपा को लोकसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने का मौका दिया है। अल्पमत वाली भाजपा के पास केवल 240 सीटें हैं - बहुमत के आंकड़े से 32 कम। विधान सभा में जीतने की स्थिति में इंडिया ब्लॉक अन्य 52 सदस्यों का समर्थन हासिल कर सकती है, जिनमें से ज्यादातर एनडीए से हैं, खासकर 16 सदस्यों वाली टीडीपी और 12 सदस्यों वाली जेडी(यू)। ये दोनों ही दल वैचारिक रूप से भाजपा से जुड़े नहीं हैं, बल्कि इनका इंडिया ब्लॉक से अधिक समानता है। राजनीति संभवनाओं की कला है। भाजपा से मुकाबला करने के लिए इंडिया ब्लॉक को अगले पांच साल अर्थात् 2029 तक इंतजार नहीं करना चाहिए।
इस साल तीन विधानसभा चुनावों के बाद स्थिति में बदलाव आना तय है। इंडिया ब्लॉक को जन मुद्दों के स्तर पर और मोदी के अस्थायी सहयोगियों के स्तर पर काम करना होगा। अगर राजनीतिक स्थिति अनुकूल होती है, तो इसका पूरा फायदा उठाया जाना चाहिए। इंडिया ब्लॉक जितना अधिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पद पर बने रहने देगा, लोकतंत्र और संवैधानिक मानदंडों के लिए उतना ही बड़ा खतरा होगा। लोकतांत्रिक तरीकों से तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी को हटाने का कोई भी मौका नहीं गंवाना चाहिए। इंडिया ब्लॉक को यह बात स्पष्ट रूप से ध्यान में रखनी होगी। (संवाद)
आगामी विधानसभा चुनाव हारने पर 2026 में गिर जायेगी मोदी सरकार
संसद में प्रधानमंत्री को घेरने के अलावा विपक्ष चुनावी तैयारियों पर पूरा ध्यान दे
नित्य चक्रवर्ती - 2024-07-04 11:07
18वीं लोकसभा का पहला छोटा सत्र अभी-अभी समाप्त हुआ है। तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर यह आभास दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कुछ भी अलग नहीं हुआ है, तथा वह 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद की बहुमत वाली पार्टी भाजपा के वही अपराजित नेता बने हुए हैं। मोदी ने इस छोटे सत्र में विपक्ष के साथ वैसा ही व्यवहार किया जैसा उन्होंने पहले किया था और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के लिए लोकसभा में उनके जवाब ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह वही बहुसंख्यकों वाले नेता बने हुए हैं, न कि पूरे देश के प्रधानमंत्री।