आइए, नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली 17 सदस्यीय अंतरिम सरकार के ताजा बयानों और कार्रवाइयों तथा 5 अगस्त के बाद से अब तक हुई कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं से कुछ संकेतों का आकलन करें। सबसे पहले, बीएनपी सुप्रीमो खालिदा जिया को रिहा कर दिया गया है तथा उन्होंने अपनी पार्टी के सहयोगियों के साथ बीएनपी के पुनर्गठन के बारे में चर्चा शुरू कर दी है, ताकि अंतरिम सरकार को प्रभावित करने में वह अग्रणी भूमिका निभा सके। उन्होंने अपने समर्थकों से सत्ता हासिल करने के लिए आगामी चुनावों के लिए तैयार रहने को कहा है। हालांकि बीएनपी आधिकारिक तौर पर अंतरिम सरकार में शामिल नहीं है, लेकिन बीएनपी नेतृत्व ने अंतरिम सरकार के कुछ सदस्यों के साथ मौजूदा स्थिति में आगे बढ़ने के बारे में चर्चा की है।
दूसरा, जिलों में कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के बारे में अंतरिम सरकार द्वारा दिये गये सभी आश्वासनों के बावजूद, स्थिति खराब है। पुलिस प्रशासन हतोत्साहित हो गया है। जिलों में, बीएनपी और जमात मौजूदा अवामी लीग विरोधी भावनाओं का फायदा उठा रहे हैं तथा कानून-व्यवस्था एजंसियों द्वारा किसी भी बाधा के बिना अवामी लीग कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे हैं। ऐसे में कट्टरपंथी तत्व कुछ स्थानों पर हिंदुओं पर हमला कर रहे हैं, लेकिन अल्पसंख्यक संगठनों के साथ-साथ छात्रों और नागरिक समाज के उदारवादी वर्ग द्वारा संगठित प्रतिरोध के कारण इसकी तीव्रता का मुकाबला किया गया है। अंतरिम सरकार को पुलिस प्रशासन में तुरंत मनोबल भरना होगा ताकि वे निष्पक्ष रूप से कार्य करें और उन सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस रखें जो अब अंतरिम सरकार के करीब होने की कोशिश कर रहे हैं।
पूर्ववर्ती हसीना सरकार की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी को भारत विरोधी विचारों वाली पार्टी के रूप में देखा जाता है, लेकिन ऐसा इसलिए था क्योंकि उनकी मान्यता के अनुसार अवामी लीग भारत से जुड़ी हुई है और शेख हसीना भारत सरकार के हित में काम करती हैं। बीएनपी में कई सांप्रदायिक तत्व हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह एक सही पार्टी है जो संसदीय लोकतंत्र में एक खिलाड़ी के रूप में काम कर सकती है। बीएनपी एक कट्टरपंथी पार्टी नहीं है। भारत दृष्टिकोण में मतभेदों के बावजूद इस पार्टी से तालमेल बिठा सकता है।
बांग्लादेश की राजनीति के लिए मुख्य समस्या हसीना सरकार के पतन और अचानक अवामी लीग विरोधी संगठनों के पास राजनीतिक सत्ता जाने के परिणामस्वरूप जमात-ए-इस्लामी का मजबूत होना है। जमात का चुनावी समर्थन आधार छोटा है, यह अनुमानतः मात्र 4 प्रतिशत है, लेकिन यह कैडर-आधारित और वैचारिक रूप से रूढ़िवादी है। मुस्लिम देशों, मुख्यतः सऊदी अरब के कई धार्मिक संस्थानों से प्राप्त धन के कारण जमात के पास बड़ी वित्तीय ताकत है। अवामी लीग के शासन के दौरान हसीना ने धन के कुछ मार्गों को बंद कर दिया था। अब उन्हें फिर से खोल दिया जायेगा और जमात के पास फिर से धन की भरमार हो जायेगी। अगर अंतरिम सरकार वास्तव में बांग्लादेश की 1750 लाख आबादी में से 130 लाख अल्पसंख्यकों को सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहती है, तो जमात को नियंत्रित करना उसकी प्रमुख गतिविधियों में से एक होना चाहिए।
अब अवामी लीग के बारे में क्या? अवामी लीग अब बदनाम हो चुकी है, लेकिन पार्टी के पास सबसे बड़ा समर्थन आधार है, जो अब शांत है। अभी तक, नयी सरकार अवामी लीग की भागीदारी के बिना आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है। अधिकांश प्रशासनिक शाखाओं के साथ-साथ न्यायपालिका और वित्तीय क्षेत्र में, हसीना के करीबी माने जाने वाले शीर्ष अधिकारियों को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। कई ने इस्तीफा दे भी दिया है। यह सफाई प्रक्रिया से कम नहीं है। यह सिलसिला जारी रहेगा क्योंकि मुखिया डॉ. यूनुस खुद हसीना के उत्पीड़न का बड़ा शिकार रहे हैं और वे इसे भूल नहीं सकते।
शेख हसीना ने अभी कहा है कि वह बांग्लादेश वापस जायेंगी और आवामी लीग चुनाव लड़ेगी। इससे पहले उनके बेटे ने कहा था कि वे राजनीति छोड़ देंगी। ऐसा लगता है कि बांग्लादेश के आवामी लीग के नेता जो अभी भी लड़ना चाहते हैं, उन्होंने उन्हें अपना पिछला फैसला बदलने के लिए राजी कर लिया है। यह एक सच्चाई है कि उनके नेतृत्व के बिना आवामी लीग के लिए एक मजबूत पार्टी के रूप में उभरना मुश्किल होगा। लेकिन अगर हसीना दिल्ली छोड़कर बांग्लादेश जाती हैं, तो इस बात की पूरी संभावना है कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया जायेगा और उन्हें और भी कड़ी सजा दी जायेगी, जो नयी बांग्लादेशी सरकार उन्हें देना चाहेगी। पहले ही बांग्लादेश की अदालत में उन पर हत्याओं का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया जा चुका है। यह बहुत संभव है कि बांग्लादेश उन्हें स्वतंत्र नहीं रहने देगा और उनके नेतृत्व के बिना आवामी लीग एक मजबूत ताकत के रूप में उभर नहीं पायेगी।
अब बांग्लादेशी राजनीति में तीसरी ताकत का क्या? क्या वे छात्र जो राजनीतिक दलों को बाहर रखने की बात कर रहे हैं, देश में स्थापित राजनीतिक दलों के बाहर प्रगतिशील, गैर-सांप्रदायिक ताकतों का तीसरा मोर्चा बनाने में नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं? यह एक बड़ा सवाल है। बांग्लादेश में वामपंथी दलों की संख्या बहुत अधिक है। वे सभी हाशिये की पार्टियां हैं। गुटबाजी में उलझी हैं। उनका अपना कोई आधार नहीं है। लेकिन अकादमिक समुदाय और सांस्कृतिक दुनिया में उनका अच्छा प्रभाव है। कुछ सूत्रों का कहना है कि डॉ. यूनुस चुनाव एक नयी पार्टी बना सकते हैं। यह निश्चित नहीं है कि 84 साल की उम्र में डॉ. यूनुस यह जोखिम लेंगे या नहीं। उनका बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिकी रणनीतिकार भविष्य को किस तरह देखते हैं।
पिछले हफ्ते, अवामी लीग के सूत्रों ने शेख हसीना के हवाले से कहा है कि उन्हें इसलिए बाहर कर दिया गया क्योंकि उन्होंने बंगाल की खाड़ी में चटगाँव के सेंट मार्टिंस द्वीप को अमेरिका को आधार के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सौंपने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने अमेरिकी प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता तो वे वहीं रहतीं। निश्चित रूप से यह उनके निष्कासन का एकमात्र कारण नहीं था, जो बड़े पैमाने पर हुए उभार के कारण हुआ, लेकिन यह मानने के कारण हैं कि अमेरिका की भूमिका थी।
अमेरिका और पश्चिमी देश बीएनपी को अधिक धर्मनिरपेक्ष अवामी लीग के मुकाबले अधिक पसंद करते हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद से हटाये गये इमरान खान ने 2022 के शासन परिवर्तन में अमेरिकी हस्तक्षेप के बारे में यही बात कही। पाकिस्तान में भी, स्थिति अपने आप विकसित हुई, लेकिन अमेरिका ने इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभायी। आने वाले दिनों में, अमेरिका निश्चित रूप से बांग्लादेश पर हावी होने और उसके अनुसार घटनाओं को प्रभावित करने की अपनी एशिया-प्रशांत रणनीति के अनुसार अपनी भूमिका निभायेगा। चीन एक द्वितीयक खिलाड़ी के रूप में कार्य करेगा।
क्या दोनों महाशक्तियाँ हसीना और अवामी लीग की भागीदारी के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में रुचि रखती हैं, यह देखना होगा। फिलहाल, भारत को दूर से ही घटनाक्रम पर नजर रखनी चाहिए। नई दिल्ली के लिए एकमात्र कार्य बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र से भी सभी प्रकार की मदद मांगना है। (संवाद)
बांग्लादेश अभी भी अस्थिर, कोई स्पष्ट राजनीतिक दिशा नहीं दिख रही
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा यूनुस सरकार का प्राथमिक कार्य होना चाहिए
नित्य चक्रवर्ती - 2024-08-17 11:07
पांच अगस्त को बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटाये जाने, जिसके लिए छात्रों और अन्य विपक्षी दलों द्वारा उनके नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के 15 साल के शासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर विद्रोह किया, के बाद उनके पतन के कारणों और उनके सत्ता से हटने में योगदान देने वाले संभावित कारकों के बारे में बहुत कुछ लिखा जा चुका है। अब हम उन विभिन्न घटनाओं पर नज़र डाल सकते हैं जो अंतरिम सरकार द्वारा आम चुनाव आयोजित किये जाने तक उभर सकती हैं।