केरल देश की संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य, आदि क्षेत्रों में ही नहीं वरन् दुनिया में भी सर्वोपरि है। अभी हाल में जारी किये गये आंकड़ों से पता लगा है कि राज्य में एक लाख में से 19 माताएँ या तो बच्चे के जन्म देने के तुरंत बाद या गर्भावस्था के दौरान मर जाती हैं। यह दुखद है परन्तु आँकड़ा अमरीका से भी बेहतर है। उसके विपरीत उत्तरप्रदेश में 1 लाख में से 167, मध्यप्रदेश में 173 असम में 195 महिलाएँ मृत्यु को प्राप्त होती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में केरल की लगभग 100 प्रतिशत आबादी शिक्षित है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी इसी तरह पूरे देश में वह सर्वोच्च शिखर पर है। ऐसे प्रदेश में वहां के फिल्म जगत में काम करने वाली महिलाओं ने अपने साथ दुष्कर्म की शिकायत की।
उनकी शिकायत के चलते वहां की सरकार ने एक अवकाश प्राप्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया। इस आयोग ने वहां की सुप्रसिद्ध अभिनेत्रियों की शिकायत को सुना और यह आयोग इस नतीजे पर पहुंचा कि वहां की प्रसिद्ध अभिनेत्रियों की शिकायत सही है। इस आयोग की रिपोर्ट 2019 में मुख्यमंत्री को भेजी गयी थी। परंतु किन्हीं कारणों से मुख्यमंत्री ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया। इस बीच उन पर दबाव बढ़ता रहा और इस माह रिपोर्ट सार्वजनिक की गयी। रिपोर्ट सार्वजनिक करने में इतनी देर क्यों हुई इस संबंध में मुख्यमंत्री ने अनेक प्रकार के स्पष्टीकरण दिये हैं जिनमें एक स्पष्टकीरण के अनुसार उनका कहना था कि देरी के लिए आयोग के अध्यक्ष ने स्वयं रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने का सुझाव दिया था। कारण जो भी हो परंतु मलयालम में बनी फिल्में अद्भुत समझी जाती हैं। इन फिल्मों को बनाने में जिन अभिनेत्रियों का योगदान रहता है उनके साथ इस तरह का व्यवहार केरल को शर्मसार करने वाली घटना है।
हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते रहे हैं कि भारतवर्ष शीघ्र ही विश्वगुरू बनेगा। परंतु जो विश्वगुरू बनने वाला है उस देश की पिछली संसद में 40 प्रतिशत सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमें थे, जिनमें से 25 प्रतिशत के खिलाफ गंभीर आपराधिक आरोप थे। वर्तमान संसद में यह बढ़कर 46 प्रतिशत हो गयी है। चुने गये 543 सांसदों में से 251 के खिलाफ आपराधिक मुकदमें हैं तथा 27 को दे अदालतों द्वारा दोषी भी करार दिया गया है। इन मामलों में कुछ दुष्कर्म के भी मामले हैं। जिस देश की संसद में इतनी बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि अपराधों में शामिल हों वह कैसे विश्वगुरू बन पायेगा?
हमारे देश में इस समय महिलाओं के साथ दुष्कर्म और अनेक अपराधों की खबरें आ रही हैं। महाराष्ट्र में अभी हाल में जो घटना हुई उसकी तो कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। एक स्कूल की 4 साल की दो बच्चियों के साथ उसी स्कूल में काम करने वाले एक कर्मचारी ने दुष्कर्म किया। उसी महाराष्ट्र में कुछ दिनों बाद एक 7 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना की खबर सामने आयी। असम में भी ट्यूशन से घर वापिस आ रही एक बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना हुई। इसके विरोध में असम में पूरे राज्य में प्रदर्शन हुए। परंतु इस घटना को लेकर वहां के मुख्यमंत्री ने जो प्रतिक्रिया जाहिर की वह चैंकाने वाली है। इस बच्ची के साथ अपराध करने वाला व्यक्ति अल्पसंख्यक पाया गया। इस बात का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में यहां के मूल निवासी अपने आपको असुरक्षित महसूस करते हैं।
समाज में आये दिन सभी रिश्तों को तोड़ते हुए घटनाएं हो रही हैं। एक समाचार के अनुसार एक पत्नी ने अपने बेटे के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी। हत्या में तकिये का उपयोग किया गया। हत्या इसलिए की गयी क्योंकि अपने पति की इस दूसरी पत्नी की निगाह अपने पति के रिटायर होने पर मिली भारी रकम पर नज़र थी। उसको डर था कि उसका पति उनकी पहली पत्नी की संतानों को रकम का भारी हिस्सा दे देंगे। ऐसी स्थिति पैदा हो इसके पहले ही उसने अपने पति की हत्या कर दी। जिस पत्नी ने हत्या की उसने स्वयं अपने पहले पति को तलाक देकर दूसरी शादी की थी।
एक और मामले में एक पति ने अपनी पत्नी की हत्या करके स्वयं थाने को सूचित कर दिया कि उसने अपनी पत्नी की हत्या की है। कारण उसे अपनी पत्नी के चरित्र पर संदेह था। इस तरह की घटनाएँ आये दिन हो रही हैं। पति-पत्नी का रिश्ता अत्यधिक विश्वास का रिश्ता होता है। परंतु उसमें भी कभी भी खटाई पड़ जाती है और हत्या जैसे जघन्य अपराध हो जाते हैं। एक अखबार में खबर छपी है कि कुछ लोग महिलाओं के या बच्चियों के साथ दुष्कर्म का वीडियो बनाते हैं और फिर उस वीडियो को भारी कीमत पर बेचते हैं। इस अखबार के अनुसार यह एक बड़ा धंधा हो गया है। इसलिए इस तरह की खबरें पढ़ने को मिलती हैं कि महिला या बच्ची अपने को दुष्कर्म से मुक्त करने के लिए अपील करती हैं परंतु उसे बचाने के स्थान पर लोग उसका वीडियो बनाने में लगे रहते हैं। इस तरह की घटनाएं ही इस बात का सुबूत है कि इंसान की संवेदनशीलता में भारी पतन हो गया है। हम लाखों की संख्या में प्रवचन सुनने जाते हैं परंतु उन प्रवचनों से हमारी बड़ी संख्या की आत्मा पर कोई अच्छा असर होता हुआ भी नहीं प्रतीत होता।
अभी हाल में महाराष्ट्र में एक हिन्दू संत ने इस्लाम के पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक बातें की। उसकी प्रतिक्रिया में मध्यप्रदेश के छतरपुर नाम के स्थान पर मुसलमानों ने रोष प्रकट किया। थाने का घेराव किया और पुलिसकर्मियों को घायल किया। इस घटना के विरोध में पुलिस और प्रशासन ने सख्त कार्यवाही की। कार्यवाही के फलस्वरूप एक धनी मुस्लिम के मकान को नेस्तनाबूद कर दिया गया। न सिर्फ मकान को नेस्तनाबूद किया बल्कि जो वाहन वहां थे उनको भी तोड़ डाला। क्या वाहन भी प्रदर्शन में शामिल थे? फिर मकान को नेस्तनाबूद करने के पहले इस बात की भी जानकारी नहीं ली गयी कि उसकी कानूनी स्थिति क्या है। यह भी बताया गया कि इस विशाल मकान के भीतर जो मूल्यवान वस्तुएं थीं जैसे गहने, टीवी, फ्रीज उनका क्या हुआ। यदि मकान गैरकानूनी था तो जब वह बन रहा था तब उसका निर्माण क्यों नहीं रोका गया। इस तरह की घटनाएं मध्यप्रदेश के और स्थानों पर भी हुई हैं और उत्तरप्रदेश में तो बड़े पैमाने पर हो रही हैं।
ऐसी घटनाओं के बारे में क्या रवैया अपनाया जाये, विशेषकर तब जबकि उसके पीछे बड़े-बड़े प्रभावशाली व्यक्तियों के हाथ होने की बात कही जा रही है। कुल मिलाकर समाज में चाहे महिलाओं के साथ दुष्कर्म हो या अन्य अपराध हों लगभग कानून अपने हाथ में लिया जा रहा है। इनको रोकने के लिए क्या किया जा सकता है? यह एक विचारणीय प्रश्न है?
इस समय बुलडोजर ऐसे मकान पर भी चला दिया जाता है जिसमें रहने वाले परिवार के केवल एक सदस्य ने अपराध किया हो। एक व्यक्ति द्वारा किये गये अपराध की सज़ा पूरे परिवार को क्यों दी जाती है? फिर हमारे देश के कानून के अनुसार अपराधी को सज़ा देने का अधिकार न्यायपालिका का है न कि पुलिस का। परन्तु आये दिन बुलडोजर चलाकर सज़ा पुलिस वाले दे रहे हैं जो सरासर गैरकानूनी है।
ऐसी और भी घटनाएं हैं जो भारत में घोर नैतिक पतन का प्रमाण प्रस्तुत कर रही हैं। भारतीय समाज को अविलम्ब इसपर मंथन कर समुचित उपाय करना चाहिए। (संवाद)
भारत में जारी नैतिक पतन पर तत्काल ब्रेक लगाने की जरूरत
भारतीय समाज इसपर गहन विचारण कर समुचित उपाय करे
एल.एस. हरदेनिया - 2024-08-29 10:36
पश्चिम बंगाल और केरल सांस्कृतिक दृष्टि से देश के सर्वोपरि राज्य हैं। दोनों राज्यों में देश के महान संस्कृतकर्मियों ने योगदान दिया। बंगाल में रवीन्द्रनाथ टैगोर, मदर टेरेसा, सुभाषचन्द्र बोस, ज्योति बसु, आदि शामिल हैं। वहां अनेक कवियों, तथा सत्यजीत रे समेत अनेक फिल्मी हस्थियों ने जन्म लिया है। ऐसे महान राज्य में एक महिला डाक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या बंगाल के चेहरे पर कालिख है। घटना के बाद जो तथ्य सामने आ रहे हैं उनसे लगता है कि वह अनेक गुप्त बातों की जानकार थी जो मेडिकल प्रोफेशन में नहीं होनी चाहिए थी। वह इन बातों को उजागर करे उसके पहले ही उसकी हत्या कर दी गयी।