राज्य सरकार का जोर धार्मिक पर्यटन पर ज्यादा है, जबकि अन्य क्षेत्रों में भी संभावनाएं अपार है। उज्जैन के महाकाल लोक और महाकालेश्वर मंदिर, चित्रकूट, ओरछा, अमरकंटक, दतिया, भोजपुर शिव मंदिर और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जैसे स्थल को ज्यादा विकसित किया जा रहा है, जिसकी वजह से निवेशक भी इन्हीं क्षेत्रों में निवेश की योजनाएं बना रहे हैं। राज्य के पर्यटन में वन्यजीव और प्राकृतिक पर्यटन एक प्रमुख विशेषता है, जिस पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। कान्हा, बांधवगढ़, पेंच और सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान के साथ-साथ पचमढ़ी और तामिया जैसे हिल स्टेशनों में ईको-टूरिज्म की असीम संभावनाएं हैं। यहां जंगल सफारी, ट्रेकिंग, कैंपिंग और वाटर स्पोर्ट्स जैसी गतिविधियों में निवेश किया जा सकता है। राज्य का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन भी विश्व प्रसिद्ध है। खजुराहो के विश्व धरोहर स्थल मंदिर, सांची स्तूप, भीमबेटका गुफाएं, ग्वालियर किला और मांडू, चंदेरी एवं बुरहानपुर जैसे ऐतिहासिक शहर अपनी समृद्ध विरासत के लिए पहचाने जाते हैं। साहसिक पर्यटन की दृष्टि से भी मध्यप्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है। पचमढ़ी और सतपुड़ा में ट्रेकिंग, नर्मदा और बेतवा नदी में वाटर स्पोर्ट्स, और हनुवंतिया टापू पर जल महोत्सव जैसे आयोजन राज्य को एडवेंचर टूरिज्म का नया केंद्र बना रहे हैं। सरकार इन क्षेत्रों में ट्रेकिंग रूट्स, कैंपिंग साइट्स और वाटर स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रही है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश के अनेक अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 के दौरान, पर्यटन क्षेत्र में निवेश के लिए कई महत्वपूर्ण समझौते (एमओयू) किए गए। इस समिट में पर्यटन क्षेत्र में कुल 64,850 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिससे 1,23,799 नए रोजगार के अवसर मिलने की बात की जा रही है। इस दौरान कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने मध्यप्रदेश में पर्यटन विकास में रुचि दिखाई।
राज्य सरकार ने पर्यटन क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए एकल खिड़की मंजूरी प्रणाली, सब्सिडी और टैक्स छूट, और सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल जैसी योजनाएं लागू की हैं। साथ ही, हर जिले में पर्यटन विकास योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। इन प्रयासों से न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि यह लाखों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोलेगा। मध्यप्रदेश का पर्यटन क्षेत्र भविष्य में और अधिक विकसित होगा और इसे विश्व के प्रमुख पर्यटन स्थलों की सूची में स्थान दिलाने के लिए सरकार, निवेशक और स्थानीय समुदाय मिलकर कार्य कर रहे हैं। यह न केवल राज्य के विकास को गति देगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को वैश्विक पहचान दिलाने में भी सहायक सिद्ध होगा।
मध्यप्रदेश के तीन ऐसे शहर हैं, जिन्हें यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत का दर्जा मिलना चाहिए। चंदेरी अपनी समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वस्त्र परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। यह नगर प्राचीन काल से ही व्यापार, शिल्प, और स्थापत्य कला का केंद्र रहा है। यह ऐतिहासिक नगर न केवल अपने भव्य किलों और स्मारकों के लिए जाना जाता है, बल्कि विश्व प्रसिद्ध चंदेरी साड़ियों का भी प्रमुख केंद्र है। यहां स्थित चंदेरी किला, जिसे मुगल और बुंदेला शासकों ने सुदृढ़ बनाया था, पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। साथ ही, प्रसिद्ध जामा मस्जिद, कटी घाटी गेट, और बादल महल जैसे ऐतिहासिक स्मारक भी यहां के गौरवशाली अतीत की झलक प्रस्तुत करते हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 के दौरान चंदेरी को पर्यटन और हथकरघा उद्योग के केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण समझौते किए गए। मध्यप्रदेश का मांडू ऐतिहासिक धरोहरों, प्रेम कहानियों और अद्भुत स्थापत्य कला का जीवंत प्रमाण है। विन्ध्याचल की पहाड़ियों में बसा यह नगर अपनी अद्वितीय वास्तुकला और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। मांडू का सबसे प्रमुख आकर्षण रानी रूपमती महल और बाज बहादुर का महल है, जो प्रेम और वीरता की अमर कहानी को बयां करता है। मांडू को ‘भारत का अफगान स्थापत्य संग्रहालय’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां की इमारतों में अफगानी वास्तुकला की झलक मिलती है। जहाज़ महल, जो पानी से घिरा हुआ है, और हिन्डोला महल यहां के प्रमुख आकर्षण हैं। इसके अलावा, जामा मस्जिद, होशंग शाह का मकबरा, अशरफी महल जैसे ऐतिहासिक स्थल भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। बुरहानपुर मध्यप्रदेश का एक ऐतिहासिक नगर है, जो अपनी मुगलकालीन धरोहरों, आध्यात्मिक स्थलों और स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। मुगलों का यह प्रमुख प्रशासनिक और व्यापारिक केंद्र कभी दक्कन के प्रवेश द्वार के रूप में प्रसिद्ध था। बुरहानपुर का सबसे प्रसिद्ध स्थल शाही किला है, जहां से मुगलों ने दक्षिण भारत पर शासन किया। इसके अलावा, ताप्ती नदी के किनारे बना राजघाट, दरगाह-ए-हकीमी (जो दाऊदी बोहरा समुदाय का प्रमुख धार्मिक स्थल है), गुरूद्वारा, और खूनी भंडारा (प्राचीन जल प्रबंधन प्रणाली) भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
मध्यप्रदेश में पर्यटन की संभावनाओं के द्वार तभी खुल सकते हैं, जब पर्यटन से जुड़ी चुनौतियों का समाधान किया जाए। राज्य के कई पर्यटन स्थल दूरदराज और दुर्गम स्थानों पर स्थित हैं, जहां तक पहुंचने के लिए बेहतर सड़क, रेलवे और हवाई संपर्क आवश्यक है। कई ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों तक सीमित परिवहन सुविधाएं हैं, जिससे पर्यटकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अभी भी कई पर्यटन स्थलों पर बजट और लक्जरी होटल, होमस्टे और अन्य सुविधाओं की कमी है। विशेष रूप से जंगल सफारी, इको-टूरिज्म और हेरिटेज पर्यटन क्षेत्रों में बेहतरीन आवासीय सुविधाओं की आवश्यकता है। होम स्टे के माध्यम से इस कमी को पूरा करते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल दिया जा सकता है। प्रदेश में कई ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक स्थल मौजूद हैं, लेकिन उनका प्रचार-प्रसार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सीमित है। डिजिटल मार्केटिंग, सोशल मीडिया कैंपेन और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मेलों में भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि अधिक संख्या में पर्यटक आकर्षित किए जा सकें। पर्यटन स्थलों के आसपास रहने वाले स्थानीय समुदायों की भागीदारी सीमित है। यदि पर्यटन को समावेशी और टिकाऊ बनाना है, तो स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर देना, उनके पारंपरिक शिल्प और संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक है। प्रदेश में कई ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरें स्थित हैं, लेकिन इनका सही ढंग से संरक्षण और रखरखाव नहीं हो पा रहा है। पर्यटकों द्वारा अव्यवस्थित पर्यटन और कचरा प्रबंधन की समस्याएं भी धरोहर स्थलों की सुंदरता और स्वच्छता को प्रभावित कर रही हैं। विदिशा, बुरहानपुर जैसे शहर इसके उदाहरण हैं। पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है, विशेष रूप से महिला पर्यटकों के लिए। सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए बेहतर पुलिस व्यवस्था, जागरूकता अभियान और सीसीटीवी निगरानी की आवश्यकता है। (संवाद)
        
            
    
    
    
    
            
    क्या मध्यप्रदेश के पर्यटन क्षेत्र में आयेगा बदलाव
निवेश एवं प्राथमिकता से मध्यप्रदेश पर्यटन में बदलाव की संभावनाएं
        
        
              राजु कुमार                 -                          2025-02-27 12:30
                                                
            
                                            मध्यप्रदेश, जिसे ‘भारत का हृदय’ कहा जाता है, अपने समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। राज्य सरकार ने पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने और निवेश आकर्षित करने के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं। भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 से पर्यटन क्षेत्र एक बार फिर आशान्वित है।