इस समय, खबरों में दो 'शाह' हैं। मध्य प्रदेश के शाह और गुजरात समाचार के शाह। मध्य प्रदेश के शाह ने सेना के एक 'हीरो' के खिलाफ़ उपहास और दुर्भावना से भरे शब्द कहे और गुजरात समाचार के शाह ने कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। मध्य प्रदेश के शाह एक आज़ाद पक्षी हैं। 73 वर्षीय गुजरात के शाह प्रवर्तन निदेशालय की सबसे बड़ी दुर्भावना के निशाने पर हैं!

अलग-अलग शाहों के लिए अलग-अलग चालें! एक मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, जिन्हें गिरफ़्तारी और कारावास से छूट है। दूसरे हर मायने में 'बाहुबली' हैं, जिनकी कलम तलवार से ज़्यादा शक्तिशाली है और इसलिए उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी के विचार में चुप करा दिया जाना चाहिए।

बाहुबली शाह और मध्य प्रदेश के शाह के साथ किये गये व्यवहार की तुलना करें तो भेदभाव विशाल पेड़ की तरह खड़ा है। उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश के शाह के खिलाफ़ स्वतः संज्ञान लिया और प्राथमिकी दर्ज की गयी। मामला सर्वोच्च न्यायालय तक भी पहुंचा।

मध्य प्रदेश के शाह खुलेआम घूम रहे मानो बेदाग हों। लेकिन 15 मई की देर रात प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुजरात के 'गुजरात समाचार' के मालिक बाहुबली शाह को वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास रखने वाले लोग, जिनसे मोदी सरकार सहमत नहीं है, बाहुबली शाह के साथ एकजुटता में सामने आये हैं।

बाहुबली शाह की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब देश में युद्ध चल रहा है। स्वतंत्र मीडिया बाहुबली शाह की ईडी द्वारा की गयी गिरफ्तारी को "अपराध" कहता है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन विमेंस प्रेस कोर, प्रेस एसोसिएशन, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स, सभी ने बाहुबली शाह की ईडी द्वारा की गयी गिरफ्तारी की निंदा की है।

बाहुबली शांतिलाल शाह लोक प्रकाशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं, जो 'गुजरात समाचार' प्रकाशित करता है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात से प्रकाशित होने वाला एक व्यापक रूप से प्रसारित दैनिक है।

गुजरात की एक अदालत ने 16 मई को बाहुबली शाह को अंतरिम जमानत दे दी। ईडी 2016 से बाहुबली शाह का पीछा कर रहा है। 2023 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कथित तौर पर धन के दुरुपयोग के लिए जांच शुरू की थी। इस बार भी ईडी ने लोक प्रकाशन के कई ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। आयकर (आई-टी) विभाग ने भी मुंबई, वडोदरा और अहमदाबाद में एक साथ छापेमारी की।

शाह के समर्थकों ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया। इस महीने की शुरुआत में, गुजरात समाचार के आधिकारिक 'एक्स' अकाउंट को बिना किसी कारण बताये बंद कर दिया गया था। धोखाधड़ी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। तथाकथित मोदी विरोधी मीडिया मोदी सरकार के प्रतिशोध से बच नहीं पाया है। नवीनतम "पीड़ितों" में 'द वायर' भी शामिल है, जिसे "ब्लॉक" कर दिया गया था।

यह तो पता नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'गुजरात समाचार' ने कब और कैसे निशाना बनाया या बदनाम किया, लेकिन विपक्षी दल इंडिया गठबंधन को यकीन है कि 'गुजरात समाचार' को सत्ता के सामने सच बोलने के लिए निशाना बनाया जा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि 'डराने की राजनीति' अब मोदी सरकार की 'पहचान' बन गयी है।

“मोदी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि आलोचना लोकतंत्र की आत्मा है। गुजरात समाचार 93 साल पुराना संगठन है। मोदी ने साबित कर दिया है कि आलोचकों को गिरफ्तार करना डरे हुए तानाशाह की पहली निशानी है! जो कोई भी इस सरकार के खिलाफ आवाज उठायेगा या भाजपा के साथ समझौता नहीं करेगा, उसे जेल जाना पड़ेगा,'' कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर आरोप लगाया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि यह गुजरात समाचार को 'खामोश' करने और न केवल एक अखबार, बल्कि पूरे लोकतंत्र की आवाज को दबाने की कोशिश है।

बाहुबली शाह को खराब स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत दी गयी। प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि गुजरात समाचार हमेशा सत्य के साथ खड़ा रहा है और भारत-पाकिस्तान युद्ध से निपटने के मामले में सरकार के तौर-तरीकों सहित "भाजपा सरकार और पीएम मोदी को आईना दिखाता रहा है"। बाहुबली शाह के एक रिश्तेदार ने कहा, "हमें नहीं पता कि वे हमारे साथ अंडरवर्ल्ड के लोगों जैसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं... इतने सालों के बाद अचानक क्या हो गया?"

गुजरात समाचार 97 साल पुराना है और इसे गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में पढ़ा जाता है। गुजरात समाचार वेबसाइट की औसत दैनिक पाठक संख्या 46 लाख है, लेकिन जब 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया गया, तो गुजरात समाचार के 'एक्स' हैंडल को निलंबित कर दिया गया! ईडी का कहना है कि "शाह से हिरासत में पूछताछ जरूरी है" और बाहुबली शाह के रिश्तेदार कांग्रेस के शब्दों को दोहराते हैं: "आलोचकों को गिरफ्तार करना एक डरे हुए तानाशाह का पहला संकेत है।"

फिलहाल, बाहुबली शांतिलाल शाह को अंतरिम जमानत मिल गयी है और अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाकई एक "डरे हुए तानाशाह" हैं, तो उनकी मुश्किलें अभी शुरू ही हुई हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि जो भी मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठायेगा और "बीजेपी से समझौता" नहीं करेगा, उसे जेल जाना पड़ेगा। बाहुबली शाह को इस नियति से बचने के लिए नियमित जमानत लेनी होगी। वह मध्य प्रदेश के शाह नहीं, बल्कि गुजरात समाचार शाह हैं! (संवाद)