कांग्रेसियों ने जीएल गुप्ता के लोकायुक्त बनाए जाने को लेकर हंगामा करना शुरू कर दिया है। इसी तरह का विवाद कर्नाटक में भी लोक आयुक्त के मसले पर उठा था और तब वहां के लोक आयुक्त ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया था। उस समय कर्नाटक सरकार की किरकिरी हो रही थी। भाजपा ने उस समय वहां की समस्या तो संभाल ली थी, लेकिन अब अशोंक गहलौत को भी उसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुशील शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान के कांग्रेसी लोक आयुक्त गुप्ता क इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। उनका कार्यकाल 2012 तक रहेगा, लेकिन जब से उनकी नियुक्ति की गई है, उसी समय से कांग्रेसियों द्वारा उनका विरोध भी हो रहा है। श्री गुप्ता जांच का काम काफी तेजी से कर रहे हैं और उसके कारण राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों के गठजोड़ को खतरा महसूस हो रहा है।

लोक आयुक्त द्वारा जांच का काम तेजी से चलाए जाने के कारण लोगों में भी उत्साह पैदा हुआ है और वे भ्रष्ट अघिकारियों के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा शिकायत लेकर सामने आ रहे हैं। असके कारण नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों के गठजोड़ में और भी बेचैनी व्याप्त हो गई है।

श्री गुप्ता किस तेजी से काम कर रहे हैं इसका अनुमान इसीसे लगाया जा सकता है कि जब वे अपने पद पर आए थे, तो उनके कार्यालय में 3040 मामले लेबित थे। उनमें से 12 67 मामलों का वे निष्पादन कर चुके हैं। उन मामलों में दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की वे अनुशंसा भी कर चुके हैं। उससे उत्साहित होकर लोग भारी संख्या में भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ शिकायत करने लगें हैं। उनके अपने पद पर आने के बाद 1556 नए मामले उनके सामने आए हैं।

लेकिन उनकी अनुशंसाओं पर क्या कार्रवाई की गई है, इसके बारे में सरकार ने अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं दी है। इसके कारण अनेक गैर सरकारी सेगठनों में बेचैनी है। वे संगठन चाहते हैं कि लोक आयुक्त को ज्यादा अधिकार दिए जाएं, ताकि उनकी द्वारा की गई मेहनत बेकार नहीं जाय और जांच में जिन्हें लोक आयुक्त ने दोषी पाया हो, उन्हें सजा मिल सके। (संवाद)