कांग्रेस ने संतोष बगरोडिया को निर्दलीय उम्मीदवार बनाया वहीं भाजपा ने निर्दलीय उम्मीदवार राम जेठमलानी को राजस्थान से अपना उम्मीदवार बना दिया। जिन्होंने 2004 में भाजपा के सशक्त उम्मीदवार अटलबिहारी वाजपेयी के खिलाफ लखनऊ से चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय उम्मीदवार राम जेठमलानी को इस बार राजस्थान से अपना उम्मीदवार बना दिया। हैं ना आश्चर्य की बात। यह सब आडवाणी की पकड़ आज भी भाजपा में मजबूत होने का सबूत देता है। दूसरे उम्मीदवार पांचजन्य के पूर्व सम्पादक और डा0 श्यामाप्रसाद मुखर्जी ट्रस्ट के निदेशक पद पर विराजमान तरूण विजय को राज्यसभा का उत्तरांचल से टिकट मिलना। मेजर जनरल ख्ंाडूरी और रावत को अपना टिकट कटते देखकर काफी आश्चर्य हुआ इसमें भी ना तो निशंक की चली और ना ही उत्तरांखण्ड के अध्यक्ष की और बाजी फिर सशक्त नेता लालकृष्ण आडवाणी की चली जो अपने इस राजनीतिक दत्तक पुत्र को राज्यसभा में लाने को शुरू से ही आतुर थे।

दूसरी तरफ पटना भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में भी जनता दल यू और भाजपा गठजोड़ की सरकार पर अंतःविरोध पर सशक्त नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपना पल्ला झाड़ लिया था लेकिन भाजपा की कार्यकारिणी पर इसके बादल अवश्य छाए रहे। नीतिश कुमार और नरेन्द्र मोदी की आपसी तकरार को भाजपा ने कोई तूल नहीं दिया और अपनी कार्यकारिणी को सफल बनाने पर ही ध्यान दिया तथा डा0 मनमोहन सिंह सरकार पर तथा पार्टी के गतिरोध को दूर करने पर सारा ध्यान देना पड़ा ताकि आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी का क्या रूख रहे। भारतीय जनता पार्टी के सहयोग सरकार चलाने वाले नीतिश कुमार को चिन्ता भाजपा से नहीं बल्कि अपने विरोधी दलों यानि राजद और लोजप के विधायकों को एक नया मुद्दा दे दिया है। आगामी विधानसभा चुनावों की चिन्ता केवल जनता दल यू को सता रही है। भाजपा इस मामले को तूल नहीं देने का मन बना चुकी है और किसी दबाव में वह कार्य नहीं करना चाहती इसलिए उन्होंने नीतिश और नरेन्द्र मोदी मामले पर चुप्पी साध रखी है। जहां तक पांच करोड़ की वापिसी की बात है उस पर बिहार की जनता ही फैसला आने वाले चुनावों में करेगी कि नीतिश कुमार ने ठीक किया या गलत!

भाजपा राज्यसभा में निर्विरोध तथा चुने जाने में एक चमत्कारिक मुद्दा ही मानते हैं। राजस्थान में रामजेठमलानी मुद्दे पर विधायक एकमत नहीं थे साथ ही विधानसभा में भाजपा की विपक्षी पद की नेता वसंुधरा राजे भी रामजेठमलानी की उम्मीदवार से नाराज थी और उन्हें हराने के लिए एकजुट थी लेकिन श्री लालकृष्ण आडवाणी के राजस्थान राज्यसभा के उम्मीदवारों को जिताने के लिए मोखिक व्हिप जारी होने की स्थिति में राम जेठमलानी को जिताना मजबूरी हो गयी। भाजपा के दो मत रद्द होने की स्थिति में कांग्रेस के किले में सेंध लगानी पड़ी और इसके लिए भाजपा को भारी कीमत चुकानी पड़ी। अभी तक राजस्थान भाजपा के लिए श्री राम जेठमलानी का जितना एक चमत्कार से कम नहीं था। कांग्रेस के उम्मीदवार संतोष बगरोडिया को पूरी उम्मीद थी कि वे राज्यसभा की सीट जीत जाएंगे लेकिन श्री अशोक गहलौत के राजनैतिक अंदाजे फेल हो गए। उनकी सरकार को सहयोग देने वाले दो निर्दलीय उम्मीदवार जबकि वे उनके मन्त्रिमण्डल में भी हैं। उन्होंने उन्हें सहयोग नहीं दिया ऐसा राजनैतिक विश्लेषक अनुमन लगा रहे हैं। (कलानेत्र परिक्रमा)