वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में पार्टी के एक शिष्टमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। शिष्टमंडल में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली समेत पार्टी सांसद और प्रदेश प्रमुख आदि शामिल थे।

राष्ट्रपति से मुलाकात के बात आडवाणी ने संवाददाताओं से कहा, मुख्य विपक्षी दल होने के नाते महंगाई के इस महत्वपूर्ण विषय पर जो भी कदम उठाने चाहिए, हमने उठाए हैं। कुछ दिन पहले अभूतपूर्व भारत बंद के बाद आज हमने राष्ट्रपति को महंगाई के विरोध में 10 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर सौंपे हैं। मंहगाई को संवैधानिक दायित्व के निर्वहन में विफलता नहीं मानने की सरकार की दलील पर उन्होंने कहा, ‘‘महंगाई को नहीं रोक पाना सरकार की विफलता नहीं तो और क्या है। आम आदमी की बात करने वाली इस सरकार की विफलता को हमने लोगों के सामने लाने का काम किया है। विपक्ष में रहते हुए इससे अधिक क्या किया जा सकता है।’’

दूसरी तरफ कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बीजेपी पर प्रपंच रचने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष संवैधानिक गैर जिम्मेदारी की नई उचांइयों नापने में लगा हुआ है। संसदीय लोकतंत्र में इसके परिणाम दुखद हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष ने जो रूलिंग दिया है उसका अनुपालन विपक्ष को करना चाहिए। लेकिन उल्टे विपक्ष जोर जबर्दस्ती कर वीटो का अधिकार अपने हाथ में ले रहा है। विपक्ष ने व्यवस्था के प्रति जो अनादर दिखाया है उसके दूरगामी दुष्प्रभाव हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के व्यवहार के चलते संसद का एक सप्तााह बरबाद हेा गया है।
उन्होंने विपक्ष की एकता पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह एकता अवसरवादी और राजनीति मतलब साधने के लिए है। उन्हेांने कहा कि बीजेपी गुजरात और कर्नाटक से ध्यान हटाने के लिए यह प्रपंच कर रही है।