और अब सरकार ने राज्य के किसानों के लिए दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। ये दिशा निर्देश खेती के निण् शुभ समय से संबंघित है। किसी वैज्ञानिक आघार पर नहीं, बल्कि हिंदू पंचागों को आधार बनाकर ये दिशा निर्देश जारी किए गए है। ये दिशा निदेश राज्य सरकार के वेबसाइट पर जारी किए गए हैं।
वेबसाइट में एक पूरा सेक्शन है जिसका नाम है खेती के लिए शुभ मुहूर्त। वेबसाइट में किसानों को कहा गया है कि यदि उसमें बताए गए मुहूर्त में उन्होंने अपनी फसल लगाई तो उनकी फसल काफी अच्छी होगी। उसमें कहा गया है कि किसी भी दिन खेती का शुभ समय पौने बारह बजे से 12 बजकर 11 मिनट तक रहता है। कहा गया है कि यदि वे इस समय का सम्मान करेंगे तो उन्हें खेती में रिकार्ड सफलता मिलेगी।
इसमें यह भी कहा गया है कि किसानों को अपने खेत की जुताई सोमवार, बुधवार और गुरूवार को ही करनी चाहिए, जब सूरज मूल, विशाखा, मृगशिरा, रोहिनी, रेवती, चित्रा, हस्ता अथवा अश्विीनी नक्षत्र नक्षत्र चल रही हो।
साइट में बीजारोपण के लिए दिन और राज की शुभ घड़ियों का उल्लेख करता है। गेहूं कब बोना चाहिए और धान की रोपनी कब होनी चाहिए, इन सबके बारे में साइट पर चिस्तार से बताया गया है। इसमें कहा गया है कि किसानों को अपना हल या ट्रैक्टर शनिावार, रविवार, और मंगलवार को तो छूना भी नहीं चाहिए।
और सरकार इस प्रकार के दिशानिर्देशों के लिए कोई गिला भी नहीं पालती। जब राज्य के कृषि मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह से इसके बारे ेमें पुछा गया तो उन्होंने बताया कि हिंदू परंपराओं के अनुसार सारे काम शुभ समय पर शुरू किए जाने चाहिए। उनके अनुसार वेदों और पुराणों में यही कहा गया है।
मंत्री व अन्य अघिकारियों को शायद यह पता नहीं है कि वे जों कुछ भी कर रहे हैं, वह संबिधान के खिलाफ है, जिसने राज्य को यह जिम्मेदारी दे रखी है कि वह लोगों के बीच वैज्ञानिक सोच पैदा करेगा और अंधविश्वास को मिटाने का काम करेगा। (संवाद)
मघ्यप्रदेश में हिंदुत्वकरण का जोर
खेती करने के लिए शुभ समय का दिशानिर्देश जारी किया गया
एल एस हरदेनिया - 2010-08-02 10:31
भोपालः मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार प्रशासन के हिन्दुत्वकरण का शायद कोई ही अवसर गंवाना चाहती है। हिन्दुत्वकरण का उसका एक तरीका तो यह है कि सरकारी योजनाओं का नामकरण वह हिन्दु देवी देवताओं और कर्मकांडों के आधार पर करती है। इसके कारण राज्य के जल संरक्षण कार्यक्रम का नाम रखा गया है जलाभिषेक। उसी तरह लड़कियों के कल्याण के लिए चल रही एक योजना का नाम रखा गया है लाड़ली लक्ष्मी। ग्रामीण विकास की एक योजना का नाम रखा गया है गोकुल ग्राम। गरीब परिवार की लड़कियों की शादी के समय सहायता की एक योजना का नाम रखा गया है कन्यादान।