गौरतलब है कि कुछ दिन पहले इलाहाबाद के जिलाधिकारी संजय प्रसाद ने एक सरकारी योजना के तहत 1500 मकान के आबंटियों को चुनाव में बसपा को वोट देने के लिए कहा। उनकी उस अपील को कैमरे में कैद कर लिया गया है। उन मकानों का आबंटन कांशीराम शहरी आवास योजना के तहत किया गया था।
कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सुश्री रीता बहुगुणा जोशी ने उक्त जिलाघिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा कि राज्य में नौकरशाही का राजनैतिककरण कर दिया गया है। जिलाघिकारी द्वारा बसपा को वोट देने की मांग को उन्होनें इसका एक उदाहरण मात्र बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांशीराम आवास योजना के तहत मकान सिर्फ बसपा समर्थकों को ही आबंटित किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जबसे बसपा की सरकार सत्ता में आई है अधिकारियों की भूमिका कठपुतलियों जैसी हो गई है। उन्होंने आरोल लगाया कि 22 साल की गैरकांग्रेसी सरकारों के दौरान नौकरशाही का राजनीतिकरण हो गया है और इसके लिए बसपा के साथ साथ उसके पहले की बनी सभी गैर कांग्रेसी सरकारें जिम्मेदार हैं।
राजनैतिक समीक्षकों का भी यही मानना है कि नौकरशाही का पूरी तरह से राजनीतिकरण हो गया है। वे कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा के घर पर हुए हमले का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जिस समय वह हमला हुआ था, उस समय पुलिस वाले वहां मौजूद थे, लेकिन उन्होनें बलवाइयों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
लोकनिर्माण विभाग के इंजीनियर एमके गुप्ता का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि बसपा विधायक को चंदा नहीं देने के कारण विधायक के लोग उन्हें थाने पर ले गए थे और वहीं उनके साथ मारपीट की गई थी। सच तो यह है कि बसपा विधायक शेखर तिवारी थाने का इस्तेमाल ही फिरौती वसूलने के लिए किया करते थे।
राजनैतिक पार्टियां आरोप लगा रही है कि बसपा के कार्यकर्त्ता और नेता थानों का इस्तेमाल लोगों से जबरन वसूली के लिए किया करते हैं। जो उन्हें पैसे नहीं देते उन्हें थाने पर ले जाया जाता है और वहां पुलिस से उसकी पिटाई करवाई जाती है।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने भी इलाहाबाद के जिलाधिकरी संजय प्रसाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि मायावती सरकार में अघिकारी सरकारी योजनाओं का फायदा सिर्फ बसपा समर्थकों को ही दिला रहे हैं।
समाजवादी पार्टी बसपा पर तो नौकरशाही के राजनीतिकरण का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन उसकी सरकार के दौरान भी स्थिति कोई अलग नहीं थी। नौकरशाह मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे के लिए हमेशा प्रस्तूत रहते थे और उनकी चापलूसी के लिए आपस में होड़ किया करते थे। वे पार्टी कायोलय में उपस्थित भी रहते थे और समाजवादी पार्टी के नेताओं के पक्ष में भाषण भी दिया करते थे।
भाजपा नेता भी नौकरशाही के राजनीतिकरण का रोना रो रहे हैं, लेकिन उनकी सरकारों के समय भी स्थिति भिन्न नहीं थी। उस समय भी नौकरशाही का राजनीतिकरण हो गया था और उसका एक परिणाम बाबरी मस्जिद का ध्वंस था। जाहिर है नौकरशाही के राजनीतिकरण का एक लंबा इतिहास है। (संवाद)
उत्तर प्रदेश में नौकरशाही का राजनीतिकरण
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सबसे ज्यादा मुखर
प्रदीप कपूर - 2010-08-07 11:00
लखनऊः मायावती सरकार में नौकरशाही का राजनीतिकरण एक राजनैतिक मुद्दा बनता जा रहा है। सभी विपक्षी पार्टियां मांग कर रही हैं कि इलाहाबाद के जिलाधिकारी को उनके पद से हटाया जाय, क्योंकि वे बसपा के एजेंट के रूप मे काम कर रहे हैं।