उन्होंने कहा कि कोटा प्रणाली पहले से ही स्थापित है। यह संविधान में है लेकिन लोग कोटे की और मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 50 फीसदी से अधिक कोटा नहीं दिया जा सकता। इसलिए हमें कुछ दूसरे रास्ते तलाशने की जरूरत है। ऐसे रास्ते जो सकारात्मक कदमों के जरिए उपलब्ध है।
सलमान खुर्शीद ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि कमजोर वर्गों केा रोजगार देने में सकारात्मक कदम उठाने के लिए निजी क्षेत्र में और बहस करनी होगी। इस समय कानून सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में अनुसूचित जाति ,जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण प्रदान कराता है।
उन्होंने कहा कि वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और सामाजिक न्याय मंत्री मुकुल वासनिक दोनों ही आदिवासियों एंव दलितों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निजी क्षेत्रों को सकारात्मक कदम उठाने के लिए कह चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इस मामले पर कुछ आंकड़े जुटाने की जरूरत है। विभिन्न समूहों एवं समितियों द्वारा सुझाव दिए जा रहे हैं, लेकिन हमें कुछ ऐसा तलाशना है जो स्वीकार्य एवं टिकाऊ हो।