उस समय हड़कंप मच गया जब उन्होंने कहा था कि दिल्ली के हाथ से राष्ट्रमंडल खेलों का जिम्मा छीना भी जा सकता है और यह कहीं अन्य जगह आयोजित करवाया जा सकता है। यदि ऐसा होता, तो इससे देश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती और दुनिया भर में माना जाता कि भारत इस तरह के आयोजन करवाने में सक्षम नहीं है।
इसलिए फेनेल को संतुष्ट करने की कोशिश की गई। उन्हें वायदे किए गए कि सबकुछ समय के अनुसार हो जाएगा। दिल्ली की शीला सरकार से बात नहीं बनी तो केन्द्र की मनमोहन सिंह सरकार तक ने फेनेल को यह आश्वस्त करने की कोशिश की कि सबकुछ समय पर तैयार हो जाएगा और खेल का आयोजन अभूतपूर्व ढंग से श्रेष्ठ होगा।
लेकिन अब जब राष्ट्रमंडल खेलों की शुरुआत के कुछ ही दिन बीते हैं तो माइक फेनेल को खेल की तैयारियों को देखकर पसीना छूट गया। दिल्ली खेलों के आयोजन के लिए तैयार नहीं दिखी। अनेक स्टेडियम में काम चल रहे हैं और बचे काम को दे,खकर यह मानना कठिन है कि सबकुछ समय पर सही ढंग से तैयार हो जाएगा।
पर अब फेनेल के लिए भारत के आयोजको को दोष देना आसान नहीं होगा, क्योंकि पिछले दफे के जायजे में उन्होंने सबकुछ ठीक होने का खुद दावा कर दिया था। अब तो कैग की रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितता मे माइक फेनेल का भी नाम आ गया है। राष्ट्रमंडल खेल महासंध के मुख्यकार्यकारी अधिकारी हूपर के नाम भी घोटाले में सामने आए।
आरोल लगे हैं कि इन दोनों के कहे अनुसार आयोजन समिति ने कुछ सलाहकार नियुक्त कर दिए और सलाह के नाम पर उनक नाम करोडों रुपए की राशि का भुगतान कर दिया, जबकि उनकी सलाह की कोई जरूरत ही नहीं थी। इस तरह माना जा रहा है कि खेल आयोजन की तैयारियों पर सकारात्मक राय देने के लिए फेनेल और हूपर को धूस दिए गए।
इसलिए अब फेनेल अथवा हूपर दिल्ली की तैयारियों के लिए सिर्फ दिल्ली के खेल आयोजकों की ही आलोचना नहीं कर सकते, क्योकि वे एक बाद उन्हें क्लीन चिट दे चुके हैं। अब आयोजन की तैयारियो की कमी के कीचड़ उनके कपड़े पर भी पड़ेंगे, इसलिए अब ज्यादा से ज्यादा वे यही उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाले समय में सबकुछ जल्द से जल्द संभल जाए।
तैयारियों का आलम यह है कि दिल्ली खुदी पड़ी है और मलवा सड़कों के किनारे पड़ा हुआ है। २शीला दीक्षित कह रही थीं कि 10 अगस्त तक मेट्रो अपना सारा मलवा सड़कों से हटा देगा। उसने मलवा तो हटाया नहीं, उल्टे दूसरी एजेंसियों और ठेकेदारों ने खोदखोदकर मलवों का अंबार 10 अगस्त के बाद ही लगाना शुरू कर दिया।
अब दिल्ली की मुख्यमंत्री कह रही हैं कि 31 अगस्त तक दिल्ली मलवा मुक्त हो जाएगी। वह यह भी कह रही है कि 31 अगस्त तक स्टेडियम के सारे निर्माण काम खत्म हो जाएंगे, लेकिन जिन्हें इस तरह का काम करने और करवाने का तजुर्वा है, वे यह मानने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि काम बहुत बाकी है और समय बहुत कम।
दिल्ली पुलिस को खेल के सुरक्षा इंतजाम देखने हैं। उन्हें सुरक्षा की पुख्ता रणनीति भी तैयार करनी है। इसके लिए उन्हें रिहर्सल भी करना है। लेकिन यह तो तब होगा, जब उन्हें खेल होने वाले सभी स्थान तैयार मिल जाए और वे सबको अपनी सुरक्षा में पहले से ही ले लें। अब तक तो उन्हे वे सारे स्टेडियम सुरक्षा की खातिर मिल भी जाने चाहिए थे, लेकिन जहां निर्माण काम ही पूरे नहीं हुए हों, वहां पुलिस वाले सुरक्षा की तैयारियों को क्या अंजाम देंगे।
यानी राष्ट्रमंडल खेलों के सफल और सुरक्षित आयोजन पर सवालिया निशान लग गए हैं और उसके कारण देश की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। अरबों रुपए के घोटाले का यह खेल दिल्ली वासियों की जिंदगी को पिछले 4 साल से पहले से ही तबाह कर रहा है। अब दिल्ली वाले एक दूसरे से पूछ रहे हैं कि क्या खेल आयोजित हो जाएंगे? (संवाद)
कैसे होंगे राष्ट्रमंडल खेल?
खुदी पड़ी है दिल्ली
उपेन्द्र प्रसाद - 2010-08-19 10:27
नई दिल्लीः राष्ट्रमंडल खेल महासंघ के अध्यक्ष माइक फेनेल ने एक बार फिर राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों का जायजा लिया। इसके पहले भी वे बहुत बार इस तरह का जायजा ले चुके हैं। पहली बार जायजा लेने के बाद तो उन्हें लगा था कि दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल आयोजित ही नहीं हो सकते, क्योंकि तैयारियां समय के अनुसार चल नहीं रही थीं।