बुंदेलखंड एकीकरण समिति के संस्थापक अध्यक्ष और पूर्व सांसद पंडित विश्वनाथ शर्मा ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बुंदेलखंड की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसके सबसे बड़े कारण हैं इस भूभाग को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दो प्रांतों में बांटकर इसकी प्राकृतिक संपदा की बंदरबांट करना, यहां की सांस्कृतिक विरासत और पहचान को विखंडित करते हुए लोगों को दो हिस्सों में बांटकर राजनीतिक रुप से अपंग और निरीह बनाकर रखना, लखनऊ और भोपाल के अलावा केन्द्र की सत्ता द्वारा इस क्षेत्र का शोषण और इसकी घोर उपेक्षा करना और इसका विकास न करना है। इसलिए हमारा मानना है कि बुंदेलखंड की दयनीय स्थिति में सुधार के लिए इसे अलग राज्य बनाना ही एकमात्र विकल्प रह गया है, उन्होंने कहा।

पंडित शर्मा का कहना था कि उत्तर प्रदेश के झांसी, जालौन, ललितपुर, बांदा, हमीरपुर, महोबा, और चित्रकूट जनपदों तथा मध्य प्रदेश के सीमावर्ती दतिया, शिवपुरी, गुना, सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर और पन्ना जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य बुंदेलखंड का निर्माण किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड अलग राज्य की मांग हम बुंदेलखंड एकीकरण समिति की 1970 में स्थापना के समय से ही करते आ रहे हैं लेकिन दोनों राज्यों और केन्द्र की सरकारों ने न तो इस दिशा में समुचित कदम उठाये और न ही बुंदेलखंड की दुर्दशा को दूर किया। इसलिए बुंदेलखंड एकीकरण समिति ने बुंदेलखंड प्रांत के निर्माण के लिए आन्दोलन और तेज करने का निर्णय किया है।

अब तक चलाये गये जनचेतना अभियान के तहत लगभग 80 हजार लोगों ने न सिर्फ धन देकर सदस्यता हासिल की है बल्कि तन-मन-धन से आन्दोलन को गति देने का संकल्प कर इसमें सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। यात्राएं, रैलियां, सभाएं और प्रदर्शन बुंदेलखंड के चप्पे-चप्पे में किये जा रहे हैं।

इस आन्दोलन के तहत न सिर्फ राजनीतिक जनाकांक्षाओं बल्कि सामाजिक सरोकारों को भी साथ लेकर चलने की रणनीति बनायी गयी है। अनेक तरीकों से नागरिकों की सहायता की योजनाएं बनायी और कार्यान्वित की जा रही है, जिनमें बड़ी संख्या में नि:शुल्क चिकित्सा शिविर लगाना और छात्रवृत्तियां देना भी शामिल हैं। सामाजिक संस्थाओं को भी इसमें शामिल किया जा रहा है। इस वर्ष (2009 में) 50 लाख रुपये तो सिर्फ शैक्षणिक सहायता में खर्च किये जायेंगे। अन्य सामाजिक कार्यक्रमों को भी बढ़ावा देने की रणनीति बनायी गयी है।

आन्दोलन को गति देने के लिए जिला, तहसील, विकास प्रखंड, पंचायत और गांव के स्तरों पर समितियों का गठन किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड एकीकरण समिति इस अभिनव आन्दोलन को बुंदेलखंड अलग प्रांत हासिल होने तक जारी रखेगी चाहे हमें इसके लिए कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े।#