पर अब वही स्कूल बच्चों को दिल्ली से बाहर घुमाने के लिए ट्रिप की योजनाएं बना रहे हैं। ट्रेवेल एजेंसियों के साथ मिलकर अनेक स्कूलों ने देश के भिन्न भिन्न इलाकों में बच्चों को घुमाने का अलग अलग पैकेज पेश किया है। उनसे पूछा जा रहा है कि वे कहां जाना पसंद करेंगे। यानी छुट्टी दी गई है खेल देखने के लिएए लेकिन स्कूल बच्चों को दिल्ली के बाहर का दशेन् कराना चाहते हैं।
सिर्फ स्कूल वाले ही अपने बच्चों को बाहर घुमाने की योजना नहीं बना रहे हैं, बल्कि अनेक दिल्लीवासी खुद भी खेलों के दौरान दिल्ली से बाहर रहने की योजना बना रहे है। जो घनी हैं, वे विदेशों का टिकट कटा रहे हैं और जो मध्य आय वर्ग के हैं वे ज्यादातर दक्षिण भारत का रुख कर रहे हैं। अनेक लो अपने पैतृक आवास जाने की योजना बना रहे हैं।
यानी खेलों के दौरान दिल्ली से बाहर जाने वालों की संख्या अच्छी खासी होगी। राष्ट्रमंडल खेलों को देखने के लिए दूसरे देश के लोग भारत आएंगे और उसी दौरान दिल्ली के कई लोग विदेश चले जाएंगे। डेंगू के कारण दिल्ली की छवि विदेशों में फिलहाल डरावनी बन रही है, इसलिए उम्मीद है कि उम्मीद के मुताबिक विदेशी भारत मैच देखने के लिए आएं ही नहीं। डर है कि खेल के दौरान दिल्ली आने वाले विदेशियों की तुलना में उसी समय दिल्ली से विदेश जा रहे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा न हो जाए। यानी भारत विदेशी पर्यटकों से जितनी विदेशी मुद्रा अर्जित करेगा, हो सकता है उससे ज्यादा विदेशी मुद्रा भारत के लोग विदेशों में न खर्च कर आएं।
खेल के आयोजक विदेशी लोगों को आकर्षित करने के लिए विज्ञापन पर करोडों रुपए खर्च कर रहे हैं, लेकिन खुद दिल्ली के लोग ही दिल्ली छोड़कर इस दौरान बाहर रहना चाहते हैं। यानी दिल्ली वासियों में राष्ट्रमंडल खेलों के प्रति उत्साह का माहौल ही नहीं रहा। उन्हें देखने की उनकी रूचि ही नहीं रही। यह राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजको के ऊपर एक विपरीत टिप्पणी है।
दरअसल दिल्ली के लोग राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर उतसाहित नहीं, बल्कि आतंकित है। उन्हें आतंकवादियों का डर नहीं सता रहा, बल्कि उन्हें इस बात का डर है कि खेल के दौराप पूरी दिल्ली ही ठप्प हो जाएगी। खिलाड़ियों और विदेशियों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा एजेंसियां जगह जगह ट्रेफिक को रोक देंगी। मार्ग बदल दिए जाएंगे। मेट्रो स्टेशनों पर भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कि कारण यात्रियो को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
दिल्ली के लोगों का डर सता रहा है कि खेलों के दौरान दिल्ली की जिंदगी ठहर जाएगी। यही कारण है कि लोग अभी से यह तैयारी करने लगे हैं कि वे उस दौरान की मुश्किलों से कैसे बचें। जो दिल्ली से बाहर जा सकते हैं, वे बाहर का रास्ता देख रहे हैं और जो दिल्ली में रहेंगे, वे भी उस दौरान एक जगह से दूसरी जगह आने जाने में परहेज रखना चाहेंगे। (संवाद)
भारत
राष्ट्रमंडल खेल का असर
खेलों के दौरान दिल्ली छोड़ देंगे अनेक दिल्लीवासी
उपेन्द्र प्रसाद - 2010-08-31 10:16
नई दिल्लीः अगले महीने की 3 तारीख से दिल्ली में राष्ट्रमंडल से खेल शुरू होंगे और दो सप्ताह तक चलेंगे। इस दौरान दिल्ली के स्कूलों में छुट्टियां घोषित कर दी गई हैं। स्कूल में बच्चों को बताया गया था कि खेल के दौरान छुट्टियां इसलिए घोषित की गईं, ताकि वे राष्ट्रमंडल खेलों का लुत्फ उठा सके।