श्री रमेश ने कहा कि हाथियों की गणना और संरक्षण के लिये वैज्ञानिक तौर तरीके अपनाए जाएंगे । उन्होंने खनन, विद्युत और सिंचाई परियोजनाओं से जुड़े क्षेत्रों में हाथियों के संरक्षण के बारे में कार्यबल के सुझावों का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि इन पर यथासंभव ध्यान दिया जाएगा । पर्यावरण मंत्री ने 2011 में अंतरराष्ट्रीय हाथी सम्मेलन आयोजित किए जाने के सुझाव का भी स्वागत किया ।

एशियाई हाथी से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिये पर्यावरण और वन मंत्रालय ने डॉ. महेश रंगराजन की अध्यक्षता में एक विशिष्ट कार्य बल का गठन किया था । रिपोर्ट पेश करते हुए डॉ. रंगराजन ने कहा कि हाथी को गौरवपूर्ण महत्व दिया जाना उसका अधिकार है । उसे राष्ट्रीय धरोहर पशु का स्थान दिया जाना सर्वथा उपयुक्त है, क्योंकि इससे संस्कृति और पारिस्थितिकी का आपस में जुड़ाव होता है । जन भागीदारी से ही पशुओं को बचाया जा सकता है ।