स्वीमिंग एवं दौडो़ में तथा कुश्ती में देश को सम्मानित करवाने वाले खिलाड़ियों का भी सम्मान होना आवश्यक है। उसी के साथ इस वर्ष राष्ट्र का सम्मान बढ़ाने वाले इन राष्ट्रकुल के खेलों को अन्य किसी भी नज़र से देखते हों लेकिन ये खेल होना ही हमारे देश को मिलना वाला सम्मान ही है जिसे ब्रिटेन ने हमें योग्य मानकर ही इन खेलो का आयोजन करने दिया जा रहा है। जहां तक इन खेलों में होने वाले घोटालों का सवाल है उनके मद्देनज़र उनके उजागर होने से हम सभी को सचेत हो जाना चाहिए। कुदरत की तरफ से वर्षा और बाढ़ का प्रकोप भी हम झेल रहे है। जो भी एजेन्सियां या संस्थाएं इसमें लगी हुई है उनके कर्मचारियों का हौसला अफजाई करने के बजाए इन खेलों के ना होने की बेवजह ही अफवाहें फैलाई जा रही है। पूरे विश्व में हम क्या संदेश देना चाहते हैं कि हम इतने कमजोर हैं कि इन खेलों का आयोजन नहीं कर सकते। जो भारत गुलामी की बेड़ियों को काट सकता है उसके पश्चात तीन-तीन युद्ध लड़ सकता है, जिस देश में श्रमशक्ति कोई कमी नहीं है उसके आयोजन करना कौन सी बड़ी बात है।
देश इससे पहले भी कई अंतराष्ट्रीय वाणिज्य तौर पर आयोजन कर चुका है। एशिया 1982 और 2002 में विश्व के दो बड़े आयोजन भारत में हो चुके हैं। जिन का श्रेय हमारे कर्मठ कार्यकर्ताओं को ही जाता है। भारत आत्म सम्मान के आगे किसी को कुछ नहीं समझता क्योंकि भारत ने हमेशा ही आत्म सम्मान के लिए कई कुरबानियां दी हैं। देश के तिरंगे का फहराया जाना और लहराया जाना विश्व में इस देश के आत्म सम्मान के साथ जुड़ा हुआ है। पहले ब्रिटेन से विक्टोरिया, महारानी एलिजाबेथ और अब पुनः प्रिंस चार्ल्स भारत में राष्ट्रकुल के खेलों के अवसर पर आगमन कर रहे है।
इस आयोजन पर 5000करोड़ खर्च का अनुमान लगाया जा रहा है। 4 अक्टूबर से लेकर 16 अक्टूबर तक इन खेलों का आयोजन होना है। दिल्ली में और उसके आसपास यानि एन.सी.आर को शोभायमान बनाने के लिए सुन्दर बनाया जा रहा है। कम से कम दिल्ली का ही विद्युतीकरण करने में और ठीक-ठाक करने में 1000 करोड़ का अनुमान लगाया जा रहा है। इस आयोजन के शुभारम्भ करने के आयोजन पर ही 350 करोड़ रूप्ए का व्यय का अनुमान लगाया जा रहा है। यातायात और उस पर दोैड़ाने के लिए वाहनों पर ही 250 करोड़ रूप्ए का अनुमान है। वातानुकूलित और ग्रीन बसों तथा अन्य वाहनों पर सरकारी एवं गैर सरकारी तौर पर व्यय इसमें शामिल है। आरम्भ के आयोजन में उड़ाए जाने वाले गुब्बारे की कीमत 30 करोड़ रूप्ए आंकी गयी है। यह गुब्बारा और शेरा दोनों इस कामनवेल्थ की शोभा बढ़ाने का काम करेंगे। प्रगति मैदान और एन.डी.एम.सी को चमकाने और मार्गो पर सजावट के काम के लिए भी 50 करोड़ जिसमें मीडिया पर होने खर्च को भी जोड़ा गया है। इस आयोजन को बीमानिगमित करने के लिए 750 करोड़ का अनुमान लगाया जा रहा है। इसमें सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने तथा सीवीटी कैमरे लगाने का खर्च ही एवं वालंटीयरों की नियुक्ति और उनकी वर्दी पर भी एवं स्टेशनरी, कुर्सियां सजावट के समान को भी जोड़ ले तो भी खाने पीने के समान पर 100 करोड़ के खर्च का अनुमान लगाया जा रहा है।
दिल्ली मेट्रो ट्रेनों और उसके आस-पास के हरियाली का अनुमान लगाएं तो आर्थिक तौर पर इस गरीब देश के लिए इस तरह का आयोजन कितने वर्ष के कर्ज को सहन करने की क्षमता है इस बात का भी पता चल जाएगा। जहां तक देश के युवाओं और बेरोजगारों को रोजगार देने का सिलसिला है तो यह कितने दिन चलेगा। दैनिक तौर पर हजारो-हजार बेरोजगार दो महीनें के लिए भी इसमें लगते हैं तो उनके वेतन और अन्य भत्तों का जोड़ लिया जाए तो भी वह 50 करोड़ से अघिक का भार होगा। प्रश्न उठता है कि इन सब के लिए क्या कामनवेल्थ प्रबंधकीय समिति या आयोजक खर्च उठा रहे हैं या फिर हमें केवल कर्ज दिया जा रहा है। यह भारतवर्ष की गरीब जनता के लिए जानना बहुत जरूरी है। दिल्ली के कांग्रेस सरकार और भारत की कांग्रेस समर्थित संयुक्त प्रगतिशील गठजोड़ इस बात का जवाब आम आदमी को देगी जोकि उनका मुख्य नारा बनता जा रहा है।
वैसे यह माना जा रहा है कि दिल्ली का अपना स्वरूप-आधुनिक तौर पर पहली बार बदला जा रहा है। इससे पहले दिल्ली 9 बार उजड़ी तथा संवरी है। भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा पाण्डव बंधुओ के लिए पहली बार इन्द्रप्रस्थ के रूप में बसाई गई थी और बाद में राजा हर्ष और पृथ्वीराज चौहान का नम्बर आता हैं ब्रिटिश शासन काल में नई दिल्ली का निर्माण हुआ था और कांग्रेस की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित के नेतृत्व में सज-संवर रही है।(कलानेत्र परिक्रमा)
भारत
राष्ट्र-कुल के खेल राष्ट्र का सम्मान
विजय कुमार मधु - 2010-09-30 10:16
अभी तक हमारे खिलाड़ी ओलम्पिक खेलों एवं सार्क,दक्षम और निर्गुट देशों के साथ क्रिकेट कुश्ती और टेबल टेनिस एवं बैडमिंटन में अपनी जीत हासिल करने में ही माहिर हैं। उसके साथ ही साथ लम्बी दोड़ में पी.टी. उषा तथा सुमन रंगानाथन जैसी उड़न बालाओं ने चांदी एवं सोने के मैडल लाने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी। अभी तक सुशील कुमार जो कि रेलवे के कर्मचारी हैं उन्होंने पिछले वर्षों की भान्ति इस वर्ष भी देश को स्वर्णिम सम्मान दिलवाया। रेलवे के मंत्री एचं रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने उन्हें 10 लाख की धनराशि का पुरस्कार भेंट किया और खेल मंत्री श्री मनोहर सिंह गिल ने भी उन्हें मन्त्रालय की ओर से सम्मानित किया।