जहां तक राजनैतिक पार्टियों का सवाल है तो उनकी प्रतिक्रिया इस 8 सूत्री फार्मूले पर मिश्रित है। अलगावादी नेता गिलानी ने इसे दिखावा कहा है और उनकी मांग है कि कश्मीर से सेना को पूरी तरह से हटा लिया ही जाए। वे आंदोलन में गिरफ्तार युवकों की रिहाई की मांग भी कर रहे हैं। मध्यमार्गी इस फार्मूले पर चुप्पी साधें हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी इसकी आलोचना कर रही है। उसकी शिकायत है कि इस फार्मूले के तहत कश्मीर घाटी के लोगों का ध्यान तो रखा गया है, लेकिन जम्मू और लद्दाख के लोगों की उपेक्षा कर दी गई है। कांग्रेस ने इसे ऐतिहासिक करार दिया है, तो सीपीएम ने भी इसका स्वागत किया है। पीडीपी ने भी इसे पहला अच्छा कदम बताया है।
इस बार यह पैकेज सभी पार्टियों की कश्मीर यात्रा के दौरान तैयार किया है। उस यात्रा में पार्टियों के नेता कश्मीर के लोगों से मिले थे। उनसे प्राप्त फीडबैक के बाद ही यह पैकेज तैयार किया गया। केन्द्र संकेत देना चाहता है कि वह कश्मीर के लोगों की समस्या को हल करने में दिलचरूपी रखता है और वह इसके लिए गंभीर भी है। केन्द्र ने यह भी संकेत दे दिया है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हटाने का उसका कोई इरादा नहीं है। राहुल गांधी ने भी उमर हो हटाए जाने का विरोध किया था। जाहिर है उमर की कुर्सी सलामत रहने के पीछे राहुल का बहुत बड़ा हाथ है।
इस पैकेज का घाटी के लोगों के लिए क्या महत्व है? इसका पहला असर तो यह हुआ कि कश्मीर के स्कूल और कॉलेज खुले। 3 महीने से वे बंद पड़े थे। 27 सितंबर को वे खुल गए। सबसे बड़ी बात तो यह है कि स्कूल उसी दिन खुले, जिस दिन के लिए गिलानी कश्मीर बंद का आह्वान किया था।
इस पैकेज के तहत कश्मीर में स्कूल और कॉलेज खोलने के लिए 100 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। यह कदम स्वागत योग्य है, लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि घाटी में स्थिति सामान्य हो।
केन्द्र और राज्य सरकार ने लोगांे के प्रति संवेदनशील होने का एक उदाहरण और दिया है। पत्थरबाजी के आरोप में पिछले दिनों जिन युवकों को गिरफ्तार किया गया था, उनको बिना शर्त रिहा करने का निर्णय भी किया गया है। उन्हे छोड़ा जा रहा है। युवकों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करने के कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं। युवकों को हिंसा के रास्ते से दूर रखने के लिए अभी काफी प्रयास किए जाने की जरूरत है।
कश्मीर के लोगों से सतत बातचीत करने के लिए वार्ताकारों को नियुक्त करने की योजना है। संवादहीनता हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने का एक बहुत बड़ा कारण होती है। इसलिए बातचीत होती रहनी चाहिए। (संवाद)
भारत
कश्मीर पैकेज पर काम होना चाहिए
विश्वास का माहौल बनाना जरूरी
कल्याणी शंकर - 2010-10-01 10:43
क्या कश्मीर मसले पर केन्द्र सरकार द्वारा घोषित 8 सूत्री पैकेज कश्मीर की मौजूदा समस्या को हल करने में कारगर साबित हो पाएगा? या यह फार्मूला भी पहले के फार्मूलों की तरह की बेकार साबित होगा? क्या हिंसा से ग्रस्त कश्मीरियों के लिए कोई आशा की किरण कहीं है? क्या अलगाववादी अपनी हरकतों से बाज आएंगे और वहां के लोगों को चैन की जिंदगी जीने देंगे? अथवा क्या पाकिस्तान कश्मीर की गड़बड़ियों को बढ़ावा देना बंद करेगा? ये सब ऐसे सवाल हैं, जो आज कश्मीर समस्या से जुड़े सभी लोगों के जेहन में उठ रहे हैं। यह अब केन्द्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि इन सारे सवालों का सकारात्मक जवाब ढूंढ़ने के लिए आगे बढ़े।