राहुल के उस बयान के महज एक ही घंटे के अंदर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस महासचिव की बात को काटते हुए कहा कि सीमी और संघ में कोई तुलना ही नहीं है। संध एक राष्ट्रवादी संगठन है और वह राष्ट्रभक्ति के आदर्श से वह ओतप्रोत हैए जबकि सीमी एक आतंकवादी संगठन है।

अपनी यात्रा के दौरान राहुल ने मुख्य रूप से युवाओं से जुड़ने की कोशिश की। युवाओं में भी उनकी कोशिश दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यक समुदायों को उन्होंने तवज्जो दी। युवा पीढ़ी को अपनी ओर आकर्षित करने में वे सफल भी हुए। भारी संख्या में युवाओं ने उनके कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होेने युवाओं को युवा कांग्रेस में शामिल होने के लिए कहा। अपील करते समय उन्होने यह भी कहा कि वे भी युवा उनके संगठन में शामिल हों, जो आरएसएस और सीमी के आदर्शों में विश्वास नहीं करते।

उनकी इस अपील से भाजपा में काफी खलबली मची। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उस पर आपत्ति तो व्यक्त ही की, दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने भी सीमी और आरएसएस को एक चश्मे से देखने के राहुल के बयान की तीखी आलोचना की। लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि आरएसएस के किसी भी पदाघिकारी ने राहुल गांधी के उस बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की।

राहुल गांधी की प्रदेश यात्रा के बाद भाजपा के अनेक नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पीछे पड़ गए हैं। उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी को बेवजह ज्यादा महत्व दे डाला। यात्रा की पूर्व संध्या पर उन्होंने कहा कि राहुल गांधी राजकीय अतिथि होंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि सभी विपक्षी नेता, जो मध्यप्रदेश की यात्रा पर रहेंगे, राजकीय अतिथि माने जाएंगे और उनका सत्कार उसी तरह किया जाएगा। उस पर राज्य के भाजपा नेताओं की भौहें तनी हुई थीं और उनका कहना था कि मुख्यमंत्री के उस निर्णय से राज्य के खजाने पर बुरा असर पड़ेगा।

संघ के खिलाफ बयानबाजी के अलावा कुछ और भी कारण है, जिसके कारण भाजपा में बेचैनी है। एक कारण तो राहुल गांधी द्वारा दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश से संबंधित है। अल्पसंख्यकों को छोड़कर अन्य तबको का समर्थन भाजपा के लिए भी काफी मायने रखता है। इसके अलावा भाजपा को यह डर भी लग रहा है कि गुटबाजी की शिकार कांग्रेस में एकता लाने में राहुल सफल हो सकते हैं। पार्टी को पता है कि 2008 का चुनाव जीतने का एक कारण कांग्रेस की गुटबाजी थी।

दूसरी तरफ कांग्रेस में राहुल की यात्रा के बाद काफी खुशी है। इसका एक कारण युवाओं के बीच राहुल गांधी को मिला समर्थन है। राहुल गांधी ने साफ साफ कहा था कि देश की आबादी का 70 फीसदी 40 साल से कम उम्र के हैं और उनका मिशन है उन्हें राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित करना है।(संवाद)