दरअसल पंजाब सरकार पर 65 हजार रुपए का कर्ज है। इस साल के अंत में यह कर्ज बढ़कर 71 हजार करोड़ हो जाएगा। 2012 में विधानसभा का चुनाव होना है। उस समय तक यह बढ़कर 78 करोड़ रुपए हो जाएगा।
वित्त मंत्री की हैसियत से मनप्रीत ने बयान जारी की दिया था कि केन्द्र सरकार पंजाब सरकार का आधा कर्ज माफ करने को तैयार है। शर्त यह है कि पंजाब सरकार केन्द्र की कुछ शर्तो को मान ले। वे शर्ते वित्तीय अनुशासन से जुड़ी हुई है। यानी केन्द्र सरकार चाहती है कि राज्य सरकार अनेक सब्सिडियों को वापस ले ले और कुछ ऐसे टैक्स भी लोगों के ऊपर डाले, जिससे राज्य सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सके और वह राजकोषीय संकट में दुबारा नहीं पडे।
पर वित्त मंत्री का वह बयान उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को नागवार गुजरा। उन्होंने मनप्रीत से पूछा कि वह यह बताएं कि राज्य सरकार के आधे कर्ज यानी 35 हजार करोड़ रुपए माफ करने का केन्द्र सरकार का प्रस्ताव किधर है। इसका कोई संतोषजनक जवाब मनप्रीत के पास था ही नहीं, क्योंकि केन्द्र सरकार की ओर से उन्हें कोई ठोस और लिखित प्रस्ताव मिला ही नहीं था।
केन्द सरकार ने एक समिति का गठन किया है, जिसका उद्देश्य पश्चिम बंगाल, केरल और पंजाब की राजकोषीय समस्या के हल के लिए उपाय तैयार करना है। उस कमिटी की एक बैठक हुई थी। पंजाब के वित्त मंत्री की हैसियत से मनप्रीत बादल ने उस बैठक में भाग लिया था। वह बैठक केन्द्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में हुई थी। बैठक में हुई बातचीत को आधार बनाकर ही मनप्रीत ने पंजाब के 35 हजार करोड़ रुपए के कर्ज की केन्द्र सरकार द्वारा माफी का प्रस्ताव कह दिया था।
उस बैठक में वित्त मंत्री के साथ राज्य के वित्त सचिव भी मौजूद थे। उन्होंने बैठक के बाद एक नोट भी तैयार किया था। नोट में उन्होंने लिखा था कि पंजाब की राजकोषीय समस्या को हल करने के लिए केन्द्र ने क्या क्या सुझाव रखे थे। उन सुझावों में राज्य सरकार की राजकोषीय नीतियों से संबंधित कुछ शर्ते थीं। उस नोट को वित्त मंत्रालय ने मुख्यमंत्री के पास भेजा। उस पर मुख्यमंत्री की क्या प्रतिक्रया रही, इसके बारे मे साफ साफ कुछ भी अभी तक नहीं कहा गया है।
कर्ज के आंकड़े को लेकर मनप्रीत, सुखबीर और प्रकाश सिंह बादल के दावे भी अलग अलग थे। एक दावे के अनुसार पंजाब पर केन्द्र का 35 सौ करोड़ रुपए का कर्ज है। यह दावा पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का है। उनका यह दावा गलत भी नहीं है। मु,ख्यमंत्री का कहना है कि जो कर्ज केन्द्र का है ही नहीं, उसे वह माफ कैसे कर सकता है।
पंजाब की सरकार बहुत साल से मांग कर रही है कि केन्द्र सरकार 35 सौ करोड़ रुपए के कर्ज को केन्द्र माफ करे, क्योंकि वे कर्ज राज्य के आतंकवाद के दिनों के है। उस समय लंबे अरसे तक पंजाब मे राष्ट्रपति शासन रहा था और वे खर्च आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के तहत लिए गए थे। मुख्यमंत्री का कहना है कि आतंकवाद एक राष्ट्रीय समस्या थी, इसलिए उसके खिलाफ किए गए खर्च को पूरा राष्ट्र उटाए।
35 सौ करोड़ रुपए माफ करना केन्द्र सरकार के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन इससे राज्य की समस्या हल नहीं हो जाती। इसलिए केन्द्र चाहता है कि पंजाब की राज्य सरकार राजकोषीय अनुशासन को बहाल करे, तभी उसे इस समस्या से छुटकारा मिलेगा। पंजाब की सरकार अपने कर्ज संकट को मिटाने के लिए केन्द्र सरकार की सहायता तो लेना चाहती है, पर राजकोषीय अनुशासन के उसके सुझाव पर खामोश है। (संवाद)
पंजाब का कर्ज संकट
सरकार वित्तीय अनुशासन पर खामोश
बी के चम - 2010-10-26 14:41
चंडीगढ़ः पंजाब के कर्ज संकट ने वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल को सरकार से ही नहीं, बल्कि अकाली दल से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया, पर अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि इस संकट का हल सरकार कैसे करेगी।